यूपी: सड़कों के किनारे लगेंगे आम, जामुन, इमली और बेल के 7 करोड़ पौधे, वन विभाग चिह्नित कर रहा जमीन
लखनऊ, 21 अप्रैल 2025: उत्तर प्रदेश सरकार ने पर्यावरण संरक्षण और हरित पट्टी को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना की घोषणा की है। इसके तहत प्रदेश भर में सड़कों के किनारे आम, जामुन, इमली और बेल जैसे फलदार और छायादार पेड़ों के 7 करोड़ पौधे लगाए जाएंगे। इस मेगा वृक्षारोपण अभियान को सफल बनाने के लिए उत्तर प्रदेश वन विभाग ने उपयुक्त जमीन की पहचान शुरू कर दी है। यह पहल न केवल पर्यावरण को लाभ पहुंचाएगी, बल्कि स्थानीय समुदायों को फल और छाया के रूप में दीर्घकालिक लाभ भी प्रदान करेगी।
योजना का उद्देश्य और महत्व
उत्तर प्रदेश सरकार की इस पहल का मुख्य उद्देश्य वायु प्रदूषण को कम करना, जैव विविधता को बढ़ावा देना, मृदा अपरदन को रोकना और जल संरक्षण को प्रोत्साहित करना है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में चल रही ‘पेड़ लगाओ, पेड़ बचाओ जन अभियान’ और ‘एक पेड़ मां के नाम’ जैसी योजनाओं के तहत यह अभियान पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक और कदम है।
वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सड़कों के किनारे फलदार पेड़ लगाने से न केवल पर्यावरण को लाभ होगा, बल्कि ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में लोगों को स्थानीय स्तर पर फल उपलब्ध होंगे। आम, जामुन, इमली और बेल जैसे पेड़ अपनी कठोर प्रकृति और कम रखरखाव के कारण उत्तर प्रदेश की जलवायु और मिट्टी के लिए उपयुक्त हैं। ये पेड़ स्थानीय वन्यजीवों को आकर्षित करने और जैव विविधता को बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
किन पेड़ों को चुना गया?
इस अभियान के लिए चार प्रमुख फलदार और छायादार पेड़ों का चयन किया गया है:
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आम (मैंगो): उत्तर प्रदेश में आम की खेती पहले से ही लोकप्रिय है। यह पेड़ गर्म जलवायु में अच्छी तरह पनपता है और इसके फल स्थानीय स्तर पर भोजन और आय का स्रोत होंगे। लखनऊ, सहारनपुर और बुलंदशहर जैसे जिले आम उत्पादन में अग्रणी हैं।
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जामुन: जामुन के पेड़ सूखा प्रतिरोधी होते हैं और विभिन्न प्रकार की मिट्टी में उग सकते हैं। इसके फल पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं और स्थानीय वन्यजीवों, विशेष रूप से पक्षियों को आकर्षित करते हैं
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इमली (टैमरिंड): इमली का पेड़ अपनी चौड़ी छतरी के लिए जाना जाता है, जो सड़कों के किनारे छाया प्रदान करेगा। इसके फल का उपयोग खाद्य पदार्थों और पारंपरिक दवाओं में होता है
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बेल: बेल का पेड़ सूखा सहनशील और कम रखरखाव वाला है। इसके फल और पत्ते औषधीय गुणों के लिए प्रसिद्ध हैं और इसे धार्मिक महत्व भी प्राप्त है।
ये पेड़ न केवल पर्यावरणीय लाभ प्रदान करेंगे, बल्कि स्थानीय समुदायों के लिए आर्थिक और सामाजिक लाभ भी सुनिश्चित करेंगे।
वन विभाग की भूमिका और जमीन की पहचान
उत्तर प्रदेश वन विभाग इस अभियान को लागू करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा है। विभाग ने सड़कों के किनारे, राजमार्गों, एक्सप्रेसवे और ग्रामीण क्षेत्रों में खाली पड़ी जमीन की पहचान शुरू कर दी है। इसके अलावा, अमृत सरोवर, नदी तटों और मंडी समितियों जैसे स्थानों पर भी वृक्षारोपण की योजना है।
वन विभाग के अतिरिक्त मुख्य वन संरक्षक पी.पी. सिंह ने बताया कि सड़कों के किनारे पौधरोपण के लिए उन क्षेत्रों को प्राथमिकता दी जाएगी जहां मिट्टी की उर्वरता और जल उपलब्धता उपयुक्त हो। इसके लिए विभाग स्थानीय प्रशासन, ग्राम पंचायतों और जल शक्ति-सिंचाई विभाग के साथ समन्वय कर रहा है। विभाग यह भी सुनिश्चित करेगा कि पौधों की सुरक्षा के लिए ट्री गार्ड लगाए जाएं और उनकी नियमित देखभाल की जाए।

पिछले रिकॉर्ड और उपलब्धियां
उत्तर प्रदेश ने वृक्षारोपण के क्षेत्र में पहले भी कई रिकॉर्ड बनाए हैं। वर्ष 2024 में, ‘पेड़ लगाओ, पेड़ बचाओ जन अभियान-2024′ के तहत राज्य ने एक दिन में 36.51 करोड़ पौधे लगाकर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया था। इसके अलावा, 2021 में भी यूपी ने एक दिन में 25 करोड़ से अधिक पौधे लगाए थे, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड था। इन अभियानों में नीम, पीपल, बरगद, अर्जुन, सहजन और औषधीय पौधों को भी शामिल किया गया था।
सड़कों के किनारे पौधरोपण में उत्तर प्रदेश पहले भी उत्कृष्ट प्रदर्शन कर चुका है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, यूपी में सड़कों के किनारे लगाए गए पेड़ों का जीवित रहने की दर 91-100% है, जो देश में सर्वश्रेष्ठ है। इस बार भी सरकार का लक्ष्य है कि नए पौधों की जीवित रहने की दर को अधिकतम रखा जाए।
सामुदायिक भागीदारी और जागरूकता
इस अभियान की सफलता के लिए सामुदायिक भागीदारी को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी विभागों, स्कूलों, सामाजिक संगठनों और स्वयंसेवकों से इस मेगा वृक्षारोपण अभियान में हिस्सा लेने की अपील की है। इसके लिए जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं, जिसमें लोगों को पेड़ों के महत्व और उनकी देखभाल के बारे में बताया जा रहा है।
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के 2.62 करोड़ लाभार्थियों को भी इस अभियान से जोड़ा जाएगा। साथ ही, आंगनवाड़ी केंद्रों और प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभार्थियों को सहजन जैसे पौधे वितरित किए जाएंगे, जो कुपोषण से लड़ने में सहायक हैं।
पर्यावरणीय और सामाजिक लाभ
इस वृक्षारोपण अभियान से कई दीर्घकालिक लाभ मिलने की उम्मीद है:
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वायु प्रदूषण नियंत्रण: लखनऊ, कानपुर और गोरखपुर जैसे शहरी क्षेत्रों में वायु प्रदूषण की समस्या गंभीर है। ये पेड़ हानिकारक गैसों को अवशोषित कर हवा की गुणवत्ता में सुधार करेंगे।
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जलवायु परिवर्तन पर प्रभाव: पेड़ कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित कर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने में मदद करेंगे।
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मृदा अपरदन रोकथाम: सड़कों और नदी तटों के किनारे पेड़ लगाने से मिट्टी का कटाव रुकेगा और कृषि योग्य भूमि सुरक्षित रहेगी।
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आर्थिक लाभ: फलदार पेड़ स्थानीय समुदायों के लिए आय का स्रोत बनेंगे। जामुन और आम जैसे फल बाजार में अच्छी कीमत पर बिक सकते हैं।
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जैव विविधता संरक्षण: ये पेड़ पक्षियों, कीटों और अन्य वन्यजीवों के लिए आवास प्रदान करेंगे, जिससे जैव विविधता बढ़ेगी
चुनौतियां और समाधान
हालांकि यह योजना महत्वाकांक्षी है, लेकिन इसे लागू करने में कुछ चुनौतियां भी हैं। सड़कों के किनारे पौधरोपण में पेड़ों की सुरक्षा, नियमित सिंचाई और रखरखाव प्रमुख मुद्दे हैं। इसके लिए वन विभाग ने निम्नलिखित कदम उठाने की योजना बनाई है:
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ट्री गार्ड की स्थापना: पौधों को पशुओं और अन्य नुकसान से बचाने के लिए ट्री गार्ड लगाए जाएंगे।
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जल प्रबंधन: सूखा प्रभावित क्षेत्रों में ड्रिप इरिगेशन और जल संरक्षण तकनीकों का उपयोग किया जाएगा।
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सामुदायिक निगरानी: स्थानीय समुदायों और ग्राम पंचायतों को पेड़ों की देखभाल की जिम्मेदारी दी जाएगी।यूपी: सड़कों के किनारे लगेंगे आम, जामुन, इमली और बेल के 7 करोड़ पौधे, वन विभाग चिह्नित कर रहा जमीन