यूपी: बलिया में तेल व गैस उत्खनन – सागरपाली और रट्टूचक में खोदाई का खाका तैयार, तीन हजार मीटर तक होगा काम
बलिया, 2 अप्रैल 2025: उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में एक नया इतिहास लिखा जा रहा है। ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉर्पोरेशन (ONGC) ने जिले के दो प्रमुख स्थानों – सागरपाली और रट्टूचक – में कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस के भंडार की खोज के लिए खोदाई का खाका तैयार कर लिया है। इस परियोजना के तहत 3,000 मीटर से अधिक गहराई तक ड्रिलिंग की जाएगी, जिससे क्षेत्र में ऊर्जा संसाधनों की संभावनाएं तलाशी जाएंगी। यह खोज न केवल बलिया के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है, क्योंकि इससे भारत की ऊर्जा आत्मनिर्भरता में बड़ा योगदान मिल सकता है।
खोदाई की शुरुआत और सर्वेक्षण का आधार
ONGC ने पिछले कुछ वर्षों से गंगा बेसिन क्षेत्र में व्यापक सर्वेक्षण किया है। बलिया से लेकर प्रयागराज तक फैले इस क्षेत्र में सैटलाइट, भू-रासायनिक, गुरुत्वाकर्षण-चुंबकीय और मैग्नेटो-टेल्यूरिक (एमटी) सर्वेक्षण के जरिए तेल और गैस के भंडार होने के संकेत मिले थे। इन सर्वेक्षणों की रिपोर्ट में पुष्टि हुई कि गंगा बेसिन की गहराई में कच्चा तेल और प्राकृतिक गैस का विशाल भंडार मौजूद हो सकता है। इस आधार पर ONGC ने केंद्र और राज्य सरकारों से आवश्यक अनुमति (एनओसी) हासिल कर सागरपाली और रट्टूचक में खोदाई शुरू करने का निर्णय लिया।
सागरपाली गांव, जो स्वतंत्रता सेनानी चित्तू पांडेय के वंशजों की जमीन के पास स्थित है, और रट्टूचक, जो गंगा नदी के किनारे वैना ग्राम सभा में है, इन दोनों स्थानों को प्राथमिक ड्रिलिंग साइट के रूप में चुना गया है। ONGC के अधिकारियों के अनुसार, इन क्षेत्रों में 3,000 से 3,001 मीटर तक की गहराई तक बोरिंग की जाएगी। इस प्रक्रिया में अत्याधुनिक मशीनों और क्रेनों का उपयोग किया जा रहा है, जो असम और अन्य स्थानों से मंगवाए गए हैं।
खोदाई का खाका और तकनीकी तैयारी
ONGC ने इस परियोजना के लिए व्यापक तकनीकी तैयारी की है। सागरपाली में करीब 6.5 एकड़ जमीन को स्वतंत्रता सेनानी चित्तू पांडेय के परिवार से तीन साल के लिए 10 लाख रुपये सालाना के किराए पर लिया गया है। वहीं, रट्टूचक में भी लगभग 8 एकड़ क्षेत्र को घेरकर ड्रिलिंग की तैयारी की गई है। दोनों स्थानों पर खोदाई के लिए रोजाना 25,000 लीटर पानी का उपयोग हो रहा है, जो इस प्रक्रिया की जटिलता और विशालता को दर्शाता है।
खोदाई क्षेत्र को कंटीले तारों से घेरा गया है और सुरक्षा के लिए चौबीसों घंटे सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं। ड्रिलिंग के दौरान निकलने वाले रासायनिक तत्वों को सुरक्षित रखने के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। ONGC के इंस्टॉलेशन मैनेजर मनीष कुमार ने बताया, “हमारा लक्ष्य अप्रैल 2025 के अंत तक बोरिंग का काम पूरा करना है। इसके बाद यदि सकारात्मक परिणाम मिलते हैं, तो गंगा बेसिन के अन्य चिह्नित स्थानों पर भी इसी तरह की परियोजनाएं शुरू की जाएंगी।”

स्थानीय प्रभाव और आर्थिक संभावनाएं
इस परियोजना से बलिया के स्थानीय समुदाय में उत्साह की लहर है। यदि खोदाई सफल होती है, तो यह न केवल क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को बदल सकती है, बल्कि किसानों और युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर भी पैदा कर सकती है। चित्तू पांडेय के वंशज नील पांडेय ने कहा, “अगर तेल मिलता है, तो ONGC आसपास की जमीनों का भी अधिग्रहण करेगी। इससे किसानों को उनकी जमीन की ऊंची कीमत मिलेगी और वे आर्थिक रूप से सशक्त होंगे।”
स्थानीय निवासियों का मानना है कि यह परियोजना बलिया को एक नया औद्योगिक केंद्र बना सकती है। रट्टूचक के निवासी विनय पांडेय ने कहा, “हमारे खेतों में अगर तेल का भंडार है, तो यह हमारे लिए सपनों के सच होने जैसा है। ONGC ने हमें आश्वासन दिया है कि अगर तेल नहीं मिलता, तो जमीन को कृषि योग्य बनाकर वापस कर दिया जाएगा।”
राष्ट्रीय महत्व और ऊर्जा आत्मनिर्भरता
ONGC के अधिकारियों का दावा है कि बलिया में मिलने वाला तेल और गैस का भंडार 300 किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हो सकता है, जो सागरपाली से प्रयागराज के फाफामऊ तक विस्तृत है। यदि यह अनुमान सही साबित होता है, तो यह भारत के लिए एक गेम-चेंजर साबित हो सकता है। देश की कच्चे तेल और गैस की आयात पर निर्भरता कम होगी और कई दशकों तक ऊर्जा आपूर्ति सुनिश्चित हो सकेगी।
उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री दयाशंकर सिंह ने इस खोज पर खुशी जताते हुए कहा, “यह परियोजना राज्य और देश के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी। हम ONGC के प्रयासों का समर्थन कर रहे हैं और उम्मीद करते हैं कि यह बलिया को विकास के नए रास्ते पर ले जाएगी।”
चुनौतियां और भविष्य की योजना
हालांकि, इस परियोजना के सामने कुछ चुनौतियां भी हैं। 3,000 मीटर से अधिक गहराई तक ड्रिलिंग एक जटिल प्रक्रिया है, जिसमें तकनीकी विशेषज्ञता और भारी निवेश की जरूरत होती है। इसके अलावा, तेल और गैस की मात्रा और गुणवत्ता की पुष्टि के लिए अभी और परीक्षण की आवश्यकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि शुरुआती संकेत सकारात्मक हैं, लेकिन अंतिम परिणाम अप्रैल के अंत तक ही स्पष्ट होंगे।
ONGC ने यह भी संकेत दिया है कि यदि सागरपाली और रट्टूचक में सफलता मिलती है, तो गंगा बेसिन के अन्य चार चिह्नित स्थानों पर भी ड्रिलिंग शुरू की जाएगी। इसके लिए पहले से ही सर्वेक्षण और योजना तैयार की जा रही है।
