यूपी न्यूज़: सीएम योगी के निर्देश, रविवार को भी खुले रहेंगे गेहूं क्रय केंद्र; पंजीकरण से लेकर हर अपडेट
लखनऊ, 27 अप्रैल 2025: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किसानों की सुविधा के लिए एक अहम निर्देश जारी किया है। उनके आदेश पर राज्य में गेहूं क्रय केंद्र रविवार को भी खुले रहेंगे। यह फैसला रबी सीजन 2025-26 के दौरान गेहूं खरीद को और सुगम बनाने के लिए लिया गया है, ताकि किसानों को अपनी उपज बेचने में किसी तरह की परेशानी न हो। इसके साथ ही, गेहूं खरीद प्रक्रिया से जुड़े कई अन्य अपडेट भी सामने आए हैं, जो किसानों के लिए राहत भरे हैं।
गेहूं क्रय केंद्र रविवार को भी खुले रहेंगे
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गेहूं खरीद प्रक्रिया को तेज करने और किसानों को अधिक से अधिक सुविधा देने के लिए यह निर्देश दिया है कि सभी क्रय केंद्र रविवार और अन्य छुट्टियों के दिन भी खुले रहेंगे। यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए अतिरिक्त समय मिल सके। पहले रविवार को केंद्र बंद रहते थे, जिसके कारण कई किसानों को अपनी फसल बेचने में देरी का सामना करना पड़ता था। अब इस नए नियम से किसानों को सप्ताह के सातों दिन अपनी फसल बेचने का मौका मिलेगा।
गेहूं खरीद की प्रगति और लक्ष्य
रबी सीजन 2025-26 के लिए उत्तर प्रदेश में गेहूं खरीद की प्रक्रिया 17 मार्च 2025 से शुरू हो चुकी है और यह 15 जून 2025 तक चलेगी। अप्रैल के पहले सप्ताह में ही राज्य में 1 लाख टन से अधिक गेहूं की खरीद हो चुकी थी, जो पिछले सालों की तुलना में एक रिकॉर्ड है। इस सीजन में सरकार ने 31 मिलियन टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य रखा है, जिसमें से उत्तर प्रदेश का बड़ा योगदान अपेक्षित है। अप्रैल के मध्य तक राज्य में 1.42 लाख टन गेहूं की खरीद हो चुकी थी, जो इस बात का संकेत है कि खरीद प्रक्रिया सही दिशा में आगे बढ़ रही है।
पंजीकरण और बिक्री की प्रक्रिया
किसानों को अपनी फसल बेचने के लिए पहले पंजीकरण करना अनिवार्य है। गेहूं बिक्री के लिए पंजीकरण की प्रक्रिया 1 मार्च 2025 से शुरू हो चुकी है, और अब तक 2.65 लाख से अधिक किसानों ने अपना रजिस्ट्रेशन करा लिया है। पंजीकरण खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के पोर्टल (fcs.up.gov.in) या यूपी किसान मित्र मोबाइल ऐप के जरिए किया जा सकता है। इस साल बटाईदार किसानों को भी पंजीकरण और अपनी फसल बेचने की अनुमति दी गई है, जो एक बड़ा कदम है।
यूपी सरकार ने गेहूं खरीद नीति में बदलाव करते हुए 100 क्विंटल तक की बिक्री को सत्यापन से मुक्त कर दिया है। अब पंजीकृत किसान बिना किसी सत्यापन के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर अपनी उपज सीधे सरकार को बेच सकते हैं। एमएसपी इस साल 2,425 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित की गई है। सत्यापन के बाद, किसान अपनी उत्पादन क्षमता का तीन गुना तक गेहूं बेच सकते हैं, ताकि सत्यापन या दस्तावेजों में समस्याओं के कारण उनकी बिक्री प्रभावित न हो।

अन्य सुविधाएं और निर्देश
मुख्यमंत्री योगी ने यह भी निर्देश दिया है कि सभी क्रय केंद्रों पर किसानों के लिए मूलभूत सुविधाएं जैसे बैठने की व्यवस्था, साफ पेयजल, और छाया की व्यवस्था की जाए। इसके अलावा, गेहूं खरीद के बाद किसानों को 48 घंटे के भीतर भुगतान सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है। भुगतान सीधे किसानों के आधार से जुड़े खातों में पब्लिक फाइनेंशियल मैनेजमेंट सिस्टम (PFMS) के जरिए किया जा रहा है।
प्रदेश में 6,500 क्रय केंद्र स्थापित किए गए हैं, जहां खाद्य विभाग सहित आठ खरीद एजेंसियां गेहूं की खरीद कर रही हैं। इसके अलावा, गांवों में मोबाइल क्रय केंद्र भी तैनात किए गए हैं, ताकि किसानों को अपनी फसल बेचने के लिए मंडियों तक लंबी दूरी तय न करनी पड़े। यह कदम छोटे और मझोले किसानों के लिए खास तौर पर मददगार साबित हो रहा है।
मौसम की चुनौतियां और सरकार का रुख
हाल के दिनों में उत्तर प्रदेश में मौसम ने भी गेहूं खरीद प्रक्रिया को प्रभावित किया है। 27 अप्रैल 2025 से राज्य के कई जिलों में बारिश, वज्रपात और ओलावृष्टि की चेतावनी दी गई है। इस स्थिति को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि सभी क्रय केंद्रों पर गेहूं को सुरक्षित भंडारण की व्यवस्था की जाए। बारिश प्रभावित क्षेत्रों में जल निकासी की प्राथमिकता के आधार पर व्यवस्था करने के लिए भी कहा गया है।
मार्च 2025 में भी लखनऊ और कई अन्य जिलों में ओलावृष्टि से फसलों को नुकसान पहुंचा था, जिसके बाद सीएम योगी ने राहत कार्य तेज करने और मुआवजे का ऐलान किया था। इस बार भी सरकार ने किसानों को आश्वासन दिया है कि मौसम से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए त्वरित कार्रवाई की जाएगी।
किसानों की प्रतिक्रिया
किसानों ने इस नए नियम का स्वागत किया है। एक स्थानीय किसान ने कहा, “रविवार को केंद्र खुलने से हमें बहुत राहत मिलेगी। पहले छुट्टियों के कारण हमें इंतजार करना पड़ता था, लेकिन अब हम अपनी फसल आसानी से बेच सकेंगे।” हालांकि, कुछ किसानों ने यह भी मांग की है कि भुगतान प्रक्रिया को और तेज किया जाए, क्योंकि कई बार तकनीकी कारणों से भुगतान में देरी हो जाती है।
