• May 9, 2025

यूपी बिजली विभाग: फेशियल अटेंडेंस पंजीकरण में लापरवाही, जूनियर इंजीनियर और उपकेंद्र के तकनीकी कर्मचारी सबसे आगे

लखनऊ, 3 मई 2025: उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) द्वारा लागू की गई फेशियल अटेंडेंस सिस्टम में नियमित कर्मचारियों की ओर से व्यापक गैर-अनुपालन की खबरें सामने आ रही हैं। सूत्रों के अनुसार, इस सिस्टम का पंजीकरण न करने वालों में जूनियर इंजीनियर (JE) और उपकेंद्रों (सब-स्टेशन) पर तैनात तकनीकी कर्मचारी सबसे अधिक हैं। यह स्थिति तब सामने आई है, जब UPPCL ने कर्मचारियों की उपस्थिति को डिजिटल और पारदर्शी बनाने के लिए फेशियल रिकग्निशन आधारित अटेंडेंस सिस्टम को अनिवार्य किया था। इस लापरवाही ने विभागीय अनुशासन और कार्यकुशलता पर सवाल खड़े किए हैं।
फेशियल अटेंडेंस सिस्टम की पृष्ठभूमि
UPPCL ने कर्मचारियों की उपस्थिति को ट्रैक करने और अनुपस्थिति या देरी की समस्याओं को कम करने के लिए फेशियल अटेंडेंस सिस्टम लागू किया था। इस सिस्टम के तहत, कर्मचारियों को अपने चेहरे के स्कैन के माध्यम से कार्यालय या कार्यस्थल पर अपनी उपस्थिति दर्ज करानी होती है। यह प्रणाली पारंपरिक बायोमेट्रिक या मैनुअल अटेंडेंस की तुलना में अधिक विश्वसनीय और त्वरित मानी जाती है। हालांकि, कर्मचारियों की ओर से इस सिस्टम का पंजीकरण और उपयोग करने में उदासीनता देखी जा रही है।
जूनियर इंजीनियर और तकनीकी कर्मचारियों की लापरवाही
UPPCL के आंतरिक आंकड़ों के अनुसार, फेशियल अटेंडेंस सिस्टम में पंजीकरण न करने वालों में सबसे अधिक संख्या जूनियर इंजीनियरों और उपकेंद्रों पर कार्यरत तकनीकी कर्मचारियों (जैसे टेक्निकल ग्रेड कर्मी और सब-स्टेशन ऑपरेटर) की है। एक अनुमान के मुताबिक, लगभग 30-40% नियमित कर्मचारियों ने अभी तक इस सिस्टम में पंजीकरण नहीं किया है, जिसमें JE और तकनीकी कर्मचारी प्रमुख हैं।
जूनियर इंजीनियर, जो UPPCL में तकनीकी कार्यों की निगरानी और प्रबंधन के लिए जिम्मेदार होते हैं, इस सिस्टम को अपनाने में सबसे अधिक अनिच्छा दिखा रहे हैं। इसी तरह, उपकेंद्रों पर तैनात तकनीकी कर्मचारी, जो बिजली आपूर्ति और रखरखाव के लिए महत्वपूर्ण हैं, भी पंजीकरण से बच रहे हैं।
लापरवाही के कारण
कर्मचारियों की ओर से इस गैर-अनुपालन के कई कारण सामने आए हैं:
  1. तकनीकी जागरूकता की कमी: कुछ कर्मचारी, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यरत तकनीकी कर्मचारी, फेशियल अटेंडेंस सिस्टम के उपयोग से परिचित नहीं हैं। उन्हें डर है कि यह सिस्टम उनकी नौकरी की निगरानी को और सख्त कर देगा।
  2. विरोध का रवैया: जूनियर इंजीनियरों और तकनीकी कर्मचारियों के बीच यह धारणा है कि फेशियल अटेंडेंस सिस्टम उनकी स्वतंत्रता को सीमित करता है। कुछ कर्मचारी इसे अनावश्यक निगरानी मानते हैं।
  3. बुनियादी ढांचे की कमी: कई उपकेंद्रों पर फेशियल अटेंडेंस मशीनें या इंटरनेट कनेक्टिविटी की कमी है, जिसके कारण कर्मचारी पंजीकरण और उपयोग में कठिनाई का सामना कर रहे हैं।
  4. प्रशासनिक ढिलाई: कुछ क्षेत्रों में UPPCL के स्थानीय अधिकारियों ने इस सिस्टम को लागू करने में सख्ती नहीं बरती, जिसके कारण कर्मचारी इसे गंभीरता से नहीं ले रहे हैं।
UPPCL की प्रतिक्रिया
UPPCL के अधिकारियों ने इस गैर-अनुपालन को गंभीरता से लिया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि विभाग जल्द ही उन कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करेगा, जिन्होंने फेशियल अटेंडेंस सिस्टम में पंजीकरण नहीं किया है। संभावित कार्रवाइयों में नोटिस जारी करना, वेतन रोकना, या अनुशासनात्मक कार्रवाई /*#__
कानूनी और सामाजिक संदर्भ
यह खबर ऐसे समय में आई है, जब उत्तर प्रदेश में बिजली विभाग और अन्य क्षेत्रों में कई महत्वपूर्ण विकास हो रहे हैं। हाल ही में, UPPCL ने कानपुर में बिजली उपभोक्ताओं के लिए व्हाट्सएप और ई-मेल के जरिए शिकायत दर्ज करने की सुविधा शुरू की है। इसके अलावा, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मेट्रो परियोजनाओं (कानपुर, आगरा, लखनऊ) को समय पर पूरा करने और भवन मानचित्रों के लंबित प्रकरणों का निस्तारण करने के निर्देश दिए हैं। मुजफ्फरनगर में राकेश टिकैत के साथ हुई धक्का-मुक्की और सिसौली में चल रही भाकियू महापंचायत ने भी सामाजिक माहौल को गरम रखा है। इन सबके बीच, बिजली विभाग में फेशियल अटेंडेंस की लापरवाही अनुशासन और कार्यकुशलता के प्रति गंभीर सवाल उठाती है।
सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे पर चर्चा हो रही है। एक एक्स पोस्ट में लिखा गया, “UPPCL में फेशियल अटेंडेंस से कर्मचारियों की भारी नाराजगी। JE और तकनीकी कर्मचारी इसे क्यों नहीं अपना रहे? क्या यह अनुशासन की कमी है या सिस्टम में खामियां?”
आगे की कार्रवाई
UPPCL ने सभी कर्मचारियों को एक सप्ताह के भीतर फेशियल अटेंडेंस सिस्टम में पंजीकरण करने का अल्टीमेटम दिया है। इसके लिए विशेष शिविर आयोजित किए जा रहे हैं, और तकनीकी सहायता प्रदान की जा रही है। साथ ही, विभाग ने उपकेंद्रों पर इंटरनेट और मशीनों की उपलब्धता सुनिश्चित करने का दावा किया है।
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