टोटल फूड फैक्ट्री मालिक पर केस दर्ज: नूडल्स की फैक्टरी में हुआ था विस्फोट, घरेलू सिलेंडर का हो रहा था प्रयोग
गोरखपुर, 24 अप्रैल 2025: गोरखपुर के गीडा (गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण) सेक्टर-13 में स्थित टोटल फास्ट फूड प्राइवेट लिमिटेड फैक्ट्री में 23 अप्रैल 2025 को हुए विस्फोट के बाद फैक्ट्री मालिक हिमांशु मणि त्रिपाठी के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। इस हादसे में सात मजदूर गंभीर रूप से घायल हो गए, जिनमें से दो की हालत नाजुक बनी हुई है। जांच में पता चला है कि फैक्ट्री में नूडल्स उत्पादन के दौरान घरेलू गैस सिलेंडर का उपयोग किया जा रहा था, जो सुरक्षा मानकों का उल्लंघन है। इस घटना ने औद्योगिक सुरक्षा और अवैध प्रथाओं पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
हादसे का विवरण
23 अप्रैल 2025 को शाम करीब 4:30 बजे, गीडा सेक्टर-13 के प्लॉट नंबर डी-20 पर स्थित टोटल फास्ट फूड प्राइवेट लिमिटेड फैक्ट्री में जोरदार विस्फोट हुआ। यह विस्फोट इतना तेज था कि इसकी आवाज दो किलोमीटर दूर तक सुनाई दी। विस्फोट के कारण फैक्ट्री की चारदीवारी और टिनशेड ढह गए, और परिसर धुएं और मलबे से भर गया। प्रारंभिक जांच में सामने आया कि विस्फोट का कारण फैक्ट्री का बॉयलर फटना था, जिसमें घरेलू गैस सिलेंडर का उपयोग किया जा रहा था।
हादसे में बिहार के अररिया जिले के सात मजदूर घायल हुए, जिनकी पहचान उमर फारूक, मुबारक, माजिद, ईशा, लड्डू, बिलाल, और सलमान के रूप में हुई है। इनमें उमर फारूक और माजिद की हालत गंभीर है, क्योंकि उनके शरीर का अधिकांश हिस्सा जल गया। सभी घायलों को तत्काल पिपरौली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) ले जाया गया, जहां से उन्हें बीआरडी मेडिकल कॉलेज, गोरखपुर रेफर किया गया।

फैक्ट्री मालिक पर केस दर्ज
हादसे के बाद गोरखपुर पुलिस ने फैक्ट्री मालिक हिमांशु मणि त्रिपाठी के खिलाफ लापरवाही और सुरक्षा मानकों के उल्लंघन के तहत मामला दर्ज किया है। पुलिस सूत्रों के अनुसार, फैक्ट्री में घरेलू गैस सिलेंडर का उपयोग औद्योगिक कार्यों के लिए करना गैरकानूनी है, क्योंकि यह सुरक्षा नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है। इसके अलावा, फैक्ट्री के बोर्ड पर भ्रामक जानकारी थी—हिंदी में “गत्ता-दोना पत्तल फैक्ट्री” लिखा था, जबकि अंग्रेजी में “टोटल फास्ट फूड प्राइवेट लिमिटेड” लिखा था, और वास्तव में वहां नूडल्स का उत्पादन हो रहा था।
एसपी नॉर्थ जितेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि फोरेंसिक और फूड विभाग की टीमें घटनास्थल से साक्ष्य एकत्र कर रही हैं। उन्होंने कहा, “प्रारंभिक जांच में घरेलू सिलेंडर के उपयोग की बात सामने आई है, लेकिन सिलेंडर फटने का कोई ठोस सबूत नहीं मिला है। बॉयलर के रखरखाव और सुरक्षा मानकों की भी जांच की जा रही है।”
सुरक्षा मानकों पर सवाल
टोटल फास्ट फूड प्राइवेट लिमिटेड में गत्ता, पत्तल, दोना के अलावा “जूनियर” ब्रांड के तहत चाउमीन (नूडल्स) का उत्पादन होता था। जांच में पता चला कि फैक्ट्री में मजदूरों को ठेकेदार के जरिए काम पर रखा जाता था, और वहां सुरक्षा उपायों का घोर अभाव था। हादसे के समय बिजली के तार टूटकर जमीन पर गिर गए थे, और फैक्ट्री की बिजली काटने में देरी हुई, जिससे दूसरा हादसा होने का खतरा पैदा हो गया था। एसपी नॉर्थ ने तत्काल बिजली कटवाकर स्थिति को नियंत्रित किया।
फूड विभाग की टीम ने फैक्ट्री से नमूने एकत्र किए हैं ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या उत्पादन में कोई अवैध सामग्री का उपयोग हो रहा था. तकनीकी विशेषज्ञों की एक टीम भी घटनास्थल का निरीक्षण कर रही है ताकि बॉयलर विस्फोट के सटीक कारणों का पता लगाया जा सके।
फैक्ट्री की भ्रामक पहचान
हादसे के बाद यह भी सामने आया कि फैक्ट्री का कोई स्पष्ट बोर्ड बाहर नहीं लगा था, जिसके कारण स्थानीय लोग और पुलिस को शुरुआत में यह समझने में कठिनाई हुई कि यह किस तरह की फैक्ट्री है। बोर्ड पर गत्ता-दोना पत्तल फैक्ट्री का उल्लेख था, लेकिन वास्तव में नूडल्स का उत्पादन हो रहा था। यह भ्रामक जानकारी प्रशासनिक अनुमतियों और लाइसेंसिंग में गड़बड़ी की ओर इशारा करती है।
पहलगाम हमले से जोड़कर देखा गया संदर्भ
यह हादसा ऐसे समय में हुआ है जब देश जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए आतंकी हमले से आहत है, जिसमें 26 लोग मारे गए थे। हमले के बाद भारत सरकार ने सभी पाकिस्तानी नागरिकों को 48 घंटे में देश छोड़ने का आदेश दिया है। हालांकि, टोटल फूड फैक्ट्री का मामला आतंकी हमले से सीधे तौर पर जुड़ा नहीं है, लेकिन इसने औद्योगिक क्षेत्रों में सुरक्षा और अनुपालन की कमी को उजागर किया है। गोरखपुर प्रशासन ने सभी औद्योगिक इकाइयों में सुरक्षा मानकों की जांच तेज करने का निर्देश दिया है।
मजदूरों की स्थिति और प्रतिक्रियाएं
घायल मजदूरों का इलाज बीआरडी मेडिकल कॉलेज में चल रहा है। स्थानीय लोगों और मजदूर संगठनों ने फैक्ट्री मालिक की लापरवाही की कड़ी निंदा की है और घायलों के लिए मुआवजे की मांग की है। एक मजदूर के रिश्तेदार ने कहा, “फैक्ट्री में कोई सुरक्षा इंतजाम नहीं थे। मजदूरों को बिना किसी प्रशिक्षण के खतरनाक मशीनों पर काम करने को मजबूर किया जाता था।”
कानूनी कार्रवाई और जांच
पुलिस ने फैक्ट्री मालिक हिमांशु मणि त्रिपाठी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 304A (लापरवाही से मृत्यु का कारण बनना), 337 (लापरवाही से चोट पहुंचाना), और 338 (गंभीर चोट पहुंचाना) के तहत मामला दर्ज किया है। इसके अलावा, औद्योगिक सुरक्षा नियमों और फूड सेफ्टी स्टैंडर्ड्स के उल्लंघन के लिए अलग से जांच की जा रही है। प्रशासन ने फैक्ट्री को अस्थायी रूप से सील कर दिया है, और मालिक का फोन बंद होने की वजह से उनसे संपर्क नहीं हो सका है।
