जानवरों की प्यास बुझाने 97 लाख से तीन माह पहले बनाए तीन तालाब, बारिश में तोड़ा दम

 जानवरों की प्यास बुझाने 97 लाख से तीन माह पहले बनाए तीन तालाब, बारिश में तोड़ा दम

कोरबा/पाली, 02 अगस्त । कटघोरा वनमंडल में पूर्ववर्ती शासनकाल के दौर से नित नए- नए भ्रष्ट्राचार के अध्याय लिखे जा रहे हैं, जहां भ्रष्ट कार्य इस कदर सिर चढ़कर बोल रहा है कि सरकार की ओर से विभाग को आबंटित राशि से गुणवत्ताहीन कार्य कराकर एक बड़े हिस्से की बंदरबांट हो रही है। जिसके कई मायने पूर्व में भी सामने आ चुके हैं और वर्तमान में भी आ रहे हैं। लेकिन शासन की ओर से कार्रवाई में उदासीनता के फलस्वरुप कटघोरा वनमंडल के अधिकारियों के हौसले आसमान की बुलंदियों पर जाकर हवा से बातें कर रही है। ताजा मामले में जंगली जानवरों को गर्मी के सितम से बचाने के लिए तालाब बनवाया गया था। लेकिन उसमें भी भ्रष्टाचार हो गया। अब आलम ऐसा है कि पहली बरसात में ही निर्मित तालाब बह गया। जिसमें अधिकारी निर्माण कार्य पूर्ण नहीं होने की बात कह रहे हैं।

ग्रीष्मकालीन समय में पानी की तलाश में वन्यप्राणियों को भटकना न पड़े और जंगल छोड़ रिहायशी इलाकों की ओर रुख न कर सकें, इसके लिए पाली वन परिक्षेत्र के मुरली सर्किल अंतर्गत रतिजा बीट के कक्ष क्रमांक- 599, रतिज व अंडीकछार के जंगल में पोस्ट डिपोजिट फंड से 97 लाख के तीन तालाब निर्माण की स्वीकृति मिली। जिन तालाबों को तीन माह पहले विभाग ने बनवाया। लेकिन वन्यप्राणियों को गर्मी से बचाने के लिए उठाया गया यह कदम विफल साबित हो गया। ऐसा इसलिए क्योंकि भ्रष्ट्राचार से निर्मित तालाबों ने पहले ही बारिश में दम तोड़ दिया। रतिजा में निर्मित तालाब का बारिश के पानी से मेढ़ फूट गया व पिचिंग भी बह गया। ग्रामीण दुबराज सिंह ने बताया कि उक्त तालाब निर्माण में एक से डेढ़ मीटर खोदाई का कार्य मशीन के माध्यम से कराया गया है। जिसमें नियमों को ताक पर रखकर पानी निकासी के लिए बनाए गए उलट नाला से तालाब का पानी नहीं निकल पाने के नतीजतन भराव के दबाव में मेढ़ के बीचोबीच का एक बड़ा हिस्सा टूट कर बह गया। वहीं इस तालाब निर्माण में पानी ठहराव के लिए एक ही मेढ़ तैयार किया गया है।

ग्रामीणों का आरोप है कि वन्य प्राणियों के लिए तालाब निर्माण की आड़ में सरकारी धन से घटिया काम कर अधिकतर राशि का गबन किया गया है। इसी प्रकार अंडीकछार के जंगल में बने दाे अन्य डबरीनुमा तालाब भी बारिश से क्षतिग्रस्त हो गए हैं। जिन निर्माण को देखकर लगता है कि स्वीकृत 97 लाख का आधा राशि भी खर्च नहीं हुआ होगा। इस तरह वन विभाग द्वारा लाखों रुपये से निर्मित भ्रष्ट्राचार का तालाब पानी में बह गया।

निर्माण कार्यों के जानकारी से संबंधित नही लगाते सूचना बोर्ड

किसी भी शासकीय निर्माण मे निर्माण स्थल पर कार्य से संबंधित सूचना बोर्ड लगाना अनिवार्य होता है, जिससे पता चल सके कि जो कार्य अमुक जगह पर हो रहे अथवा हुए हैं वह कौन से योजना, कितने लागत की है। लेकिन वन विभाग के अधिकतर निर्माण कार्यों के सूचना बोर्ड नहीं लगाए जाते ताकि कार्य के स्वीकृत राशि के बारे में किसी को जानकारी न हो सके और विभाग के भ्रष्ट्राचारियों द्वारा अपने मनमौजी से कारनामा करते हुए निर्माण कार्य पूर्ण करके पैसे आहरण कर लिया जाता है। जिसमें बिना ऊपरी संरक्षण इस तरह के भ्रष्टाचार संभव नहीं है।

मामले में क्या बोले जिम्मेदार ?

इस बारे में वन विभाग के उप वनमंडलाधिकारी चंद्रकांत टिकरिया से बात की गई तो उन्होंने कहा कि तालाब निर्माण का काम सही तरीके से हुआ है। पानी के दबाव के कारण मेढ़ का हिस्सा बहा है, जिसे सुधार कर लिया जाएगा व निर्माण कार्य अभी बांकी है।

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