• December 27, 2025

बीमा कम्पनियों द्वारा दावा खारिज किए जाना सेवा में कमी और त्रुटि

 बीमा कम्पनियों द्वारा दावा खारिज किए जाना सेवा में कमी और त्रुटि

राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने वाहन दुर्घटना में बीमाधारक की बहुआयामी चोटों से हुई मृत्यु पर व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा पॉलिसी के तहत प्राकृतिक मौत बताकर दो निजी बीमा कम्पनियों द्वारा दावा खारिज किए जाने को सेवा में कमी और त्रुटि बताई है। परिवाद मंजूर करते हुए आयोग के अध्यक्ष देवेंद्र कछावहा ,न्यायिक सदस्य निर्मल सिंह मेड़तवाल और लियाकत अली ने दोनों बीमा कंपनी पर दो- दो लाख रुपये हर्जाना, पचास पचास हजार रुपये परिवाद व्यय और एक एक करोड़ रूपए दावा राशि मय अप्रैल 2021 से 9 फीसदी ब्याज दो माह में अदा करने का आदेश दिया।

बालोतरा निवासी अनीता गर्ग ने फ्यूचर जनरल इंश्योरेंस कंपनी तथा आदित्य बिड़ला हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी के खिलाफ अधिवक्ता अनिल भंडारी के माध्यम से अलग अलग परिवाद दायर कर कहा कि उनके पति भरत कुमार ने एक एक करोड़ रुपये की दुर्घटना बीमा पॉलिसी कराई हुई थी। 28 अक्टूबर 2020 को मेगा हाइवे,पचपदरा में उनके पति की कार को ट्रोला चालक ने टक्कर मार दी, जिससे उनके शरीर पर आई गंभीर चोटों से मृत्यु हो गई।

फ्यूचर जनरल ने स्वाभाविक मौत और आदित्य बिड़ला ने विसंगतियां और कमियां बताते हुए दावे खारिज कर दिए। अधिवक्ता भंडारी ने बहस करते हुए कहा कि दुर्घटना की प्रथम सूचना रपट तुरंत ही दर्ज करवा दी और पुलिस ने ट्रोला चालक के खिलाफ चालान पेश किया तथा पोस्टमार्टम रपट में दुर्घटना में आई गंभीर चोटों से मृत्यु होना बताया गया तो यह समझ से परे है कि उनका निधन प्राकृतिक कारण से हुआ हो। दोनों बीमा कंपनी एक एक करोड़ रुपये के दावे से बचने के लिए बहाने बना रही है। बीमा कंपनी की ओर से कहा गया कि फर्द सूरत हाल और पोस्टमार्टम रपट में बताई हुई चोटों में विरोधाभास होने से यह साबित है कि बीमाधारी की मृत्यु जानबूझकर दुर्घटना कारित करने से हुई है क्योंकि उसे गंभीर बीमारी हो गई हो।

राज्य उपभोक्ता आयोग ने परिवाद मंजूर करते हुए कहा कि पुलिस और पोस्टमार्टम रपट में चोटों में विरोधाभास होना स्वाभाविक है क्योंकि डॉक्टर ही इसके विशेषज्ञ है और पुलिस चोटों का निर्धारण करने वास्ते विशेषज्ञ नहीं है। उन्होंने कहा कि दुर्घटना में बहुआयामी चोटों से मृत्यु होना साबित है और बीमा कंपनियों ने काल्पनिक और संभावनाओं के आधार पर प्राकृतिक रूप से मृत्यु मानते हुए बिना कोई साक्ष्य के तथा दावे में क्या गड़बडिय़ां और चूक हुई है उसे बताए बिना दावा खारिज किया जाना न केवल अनुचित व्यापार व्यवहार है बल्कि उनकी सेवा में कमी और त्रुटि है। उन्होंने दोनों बीमा कंपनी पर दो दो लाख रुपये हर्जाना लगाते हुए पचास पचास हजार रुपये परिवाद व्यय और एक एक करोड़ रुपये दावा राशि मय अप्रैल 2021 से 9 फीसदी ब्याज और फ्यूचर जनरल को दाह संस्कार व्यय 12 हजार 500 रुपए भी दो माह में अदा करने के आदेश दिए।

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