स्मृति ईरानी की सक्रियता से अटकलें: यूपी भाजपा अध्यक्ष नामांकन में प्रमुख भूमिका, क्या है दूसरी पारी का संकेत?
लखनऊ: उत्तर प्रदेश भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष पंकज चौधरी के नामांकन कार्यक्रम में पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की सक्रिय उपस्थिति और प्रमुख भूमिका ने राजनीतिक गलियारों में नई चर्चा छेड़ दी है। अमेठी लोकसभा सीट हारने के बाद राजनीतिक मंचों से दूरी बनाए रखने वाली स्मृति ईरानी की इस कार्यक्रम में वापसी को उनकी दूसरी राजनीतिक पारी की शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है।पंकज चौधरी ने शनिवार को लखनऊ स्थित भाजपा प्रदेश मुख्यालय में नामांकन दाखिल किया, जो निर्विरोध होने से उनका प्रदेश अध्यक्ष बनना तय हो गया। इस मौके पर स्मृति ईरानी न केवल मौजूद रहीं, बल्कि मुख्य मंच पर जगह मिली और वे पंकज चौधरी की प्रस्तावक भी बनीं। मंच पर सीमित लोगों को ही स्थान दिया गया था, जिसमें केंद्रीय पर्यवेक्षक विनोद तावड़े, प्रदेश चुनाव प्रभारी महेंद्र नाथ पांडेय, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, दोनों उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य व ब्रजेश पाठक, कैबिनेट मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह के अलावा स्मृति ईरानी शामिल थीं। जबकि कार्यक्रम में कई अन्य कैबिनेट मंत्री भी मौजूद थे।
अमेठी हार के बाद पहला बड़ा संगठनात्मक मंच
2024 लोकसभा चुनाव में अमेठी से कांग्रेस के किशोरी लाल शर्मा से हार के बाद स्मृति ईरानी ने राजनीतिक कार्यक्रमों से दूरी बना ली थी। वे टीवी सीरियल की शूटिंग में व्यस्त हो गईं और राजनीतिक निष्क्रियता से कई कयास लगाए जा रहे थे। नामांकन कार्यक्रम यूपी भाजपा का पहला बड़ा संगठनात्मक आयोजन था, जिसमें उन्होंने हिस्सा लिया। उनकी यह सक्रिय भूमिका पार्टी नेतृत्व की ओर से संकेत मानी जा रही है।राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि भाजपा का केंद्रीय और प्रदेश नेतृत्व स्मृति ईरानी की राजनीतिक उपयोगिता को बनाए रखना चाहता है। अमेठी हार के बावजूद वे राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा का प्रमुख चेहरा हैं। तेजतर्रार वक्ता के रूप में विपक्ष को घेरने की उनकी क्षमता और महिला कार्यकर्ताओं-मतदाताओं में लोकप्रियता पार्टी के लिए महत्वपूर्ण है। इस कार्यक्रम में उन्हें शामिल कर पार्टी महिला वर्ग को मजबूत संदेश दे रही है।
आने वाले दिनों में नई जिम्मेदारी की संभावना
विश्लेषकों का मानना है कि आने वाले समय में स्मृति ईरानी को नई संगठनात्मक जिम्मेदारी या राज्यसभा के जरिए फिर सक्रिय किया जा सकता है। नामांकन में प्रस्तावक की भूमिका को पार्टी की ओर से उन्हें सार्वजनिक मंच पर पुनः स्थापित करने का पहला कदम माना जा रहा है।यह घटनाक्रम 2027 विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा की रणनीति का हिस्सा लगता है, जहां संगठन को मजबूत करने और प्रमुख चेहरों को सक्रिय रखने पर जोर है।