SIR याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट सख्त: चुनाव आयोग से 1 दिसंबर तक माँगा जवाब, पश्चिम बंगाल में BLO मौत का मामला भी शामिल
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बुधवार को तमिलनाडु, केरल, पश्चिम बंगाल, पुडुचेरी और बिहार जैसे राज्यों में चल रहे SIR (Systematic Identification and Registration) प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर एक महत्वपूर्ण संयुक्त सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश (CJI) सूर्य कांत की बेंच ने इस मामले की गंभीरता को समझते हुए, भारत के चुनाव आयोग (Election Commission) को 1 दिसंबर, 2025 तक विस्तृत जवाब दाखिल करने का सख्त आदेश दिया है। सुनवाई के दौरान पश्चिम बंगाल में कथित तौर पर 23 बूथ लेवल अधिकारियों (BLO) की मृत्यु का संवेदनशील मामला भी उठाया गया। कोर्ट ने यह सुनिश्चित किया कि इस प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की अव्यवस्था (disruption) स्वीकार्य नहीं होगी और सभी राज्यों के SIR मामलों में समयबद्ध (time-bound) प्रतिक्रिया देना अनिवार्य है। इस सुनवाई ने SIR प्रक्रिया के भविष्य और इसके कार्यान्वयन में आने वाली चुनौतियों को लेकर कई महत्वपूर्ण सवाल खड़े कर दिए हैं, जिस पर कोर्ट की अगली कार्यवाही में निर्णय लिया जा सकता है।
SIR की पृष्ठभूमि और याचिकाओं का विवादित पहलू
SIR (Systematic Identification and Registration) प्रक्रिया को कई राज्यों में चुनावी रोल की पहचान और पंजीकरण को व्यवस्थित करने के लिए लागू किया गया है, लेकिन इसके कार्यान्वयन पर गंभीर सवाल खड़े हुए हैं। तमिलनाडु, केरल, पश्चिम बंगाल, पुडुचेरी और बिहार जैसे राज्यों में इसके खिलाफ याचिकाएं दायर की गई हैं। केरल में याचिकाकर्ताओं ने आगामी स्थानीय निकाय चुनावों के कारण SIR प्रक्रिया को स्थगित करने की मांग की है, ताकि चुनावी तैयारी में बाधा न आए। वहीं, पश्चिम बंगाल में याचिकाकर्ताओं ने सबसे गंभीर आरोप लगाते हुए दावा किया है कि SIR ड्यूटी के दौरान 23 बीएलओ (BLO) की मौत हो चुकी है, जिसके लिए उचित मुआवजे और सुरक्षा नियमों की मांग की गई है। बिहार के मामले में, प्रक्रिया को धीमा करने वाले नियमों पर विवाद है। सुप्रीम कोर्ट ने इन सभी याचिकाओं की संयुक्त सुनवाई करते हुए सभी राज्य सरकारों और संबंधित पक्षों से समयबद्ध तरीके से अपनी स्थिति स्पष्ट करने को कहा है।
चुनाव आयोग को SC का स्पष्ट निर्देश: BLO मौत और धीमी प्रक्रिया पर मांगा जवाब
मुख्य न्यायाधीश सूर्य कांत की बेंच ने इस सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग को कई स्पष्ट निर्देश दिए। तमिलनाडु के SIR मामले की सुनवाई सोमवार को निर्धारित की गई है, जबकि केरल मामले के लिए आयोग से अलग से एक स्थिति रिपोर्ट (Status Report) मांगी गई है। पश्चिम बंगाल में बीएलओ की मौतों के गंभीर आरोपों को देखते हुए, कोर्ट ने इस पर 1 दिसंबर तक तत्काल जवाब मांगा है। बिहार मामले में, वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कोर्ट को अवगत कराया कि बीएलओ को एक बार में केवल 50 फॉर्म अपलोड करने की अनुमति है, जिससे पूरी प्रक्रिया बेहद धीमी हो रही है और अनावश्यक देरी हो रही है। चुनाव आयोग के वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने कोर्ट को बताया कि राज्य चुनाव आयोग के साथ उनका समन्वय पूर्ण है और 99% मतदाताओं को फॉर्म वितरित कर दिए गए हैं। उन्होंने 50 फॉर्म की सीमा को आयोग की अपनी आंतरिक प्रक्रिया बताया, न कि किसी बाहरी निर्देश का परिणाम।
सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी: ‘समय पर जवाब चाहिए, प्रक्रिया में अव्यवस्था नहीं’
सुनवाई के दौरान, चुनाव आयोग के वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने यह भी स्पष्ट किया कि 50 फॉर्म अपलोड करने की सीमा उनके स्वयं के आंतरिक दिशानिर्देशों का हिस्सा है। हालांकि, याचिकाकर्ताओं और वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने इस ‘आंतरिक प्रक्रिया’ में तकनीकी और समय-संबंधी कठिनाइयों का हवाला दिया, जिसके कारण प्रक्रिया बाधित हो रही है। सभी पक्षों को सुनने के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए सख्त लहजे में कहा कि SIR प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की अव्यवस्था (chaos) नहीं होनी चाहिए। कोर्ट ने सभी संबंधित पक्षों को स्पष्ट निर्देश दिया कि किसी भी हालत में समयबद्ध जवाब देना अनिवार्य है ताकि इस महत्वपूर्ण प्रक्रिया को सुचारू रूप से आगे बढ़ाया जा सके। कोर्ट का यह रुख दर्शाता है कि वह चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता और उसके कार्यान्वयन की दक्षता को लेकर गंभीर है।
अगली सुनवाई 2 और 9 दिसंबर को: SIR के भविष्य की रूपरेखा होगी तय
सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों के SIR मामलों में चुनाव आयोग को 1 दिसंबर, 2025 तक जवाब देने का अंतिम आदेश दिया है। केरल मामले की अगली सुनवाई विशेष रूप से 2 दिसंबर को होगी, जबकि तमाम अन्य राज्यों की SIR याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई 9 दिसंबर को निर्धारित की गई है। इन आगामी सुनवाईयों में यह तय होना है कि क्या विभिन्न राज्यों में SIR प्रक्रिया जारी रहेगी, इसके नियमों में कोई बदलाव किया जाएगा, या कुछ राज्यों में इसे स्थगित किया जाएगा। कोर्ट ने एक बार फिर सभी पक्षों को निर्देश दिया है कि प्रक्रिया में कोई अव्यवस्था नहीं होनी चाहिए। 9 दिसंबर की सुनवाई में SIR प्रक्रिया की भविष्य की रूपरेखा और कथित तकनीकी व सुरक्षा संबंधी मुद्दों पर संभावित सुधारों पर महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाने की संभावना है।