त्वचा और नेत्रों के लिए लाभदायक शीतली प्राणायाम….
शीतली प्राणायाम त्वचा और नेत्रों के लिए लाभदायक है। शीतली प्राणायाम रक्त को शुद्ध करता है। यह शरीर में शीतलता प्रदान करता है। उच्च रक्तचाप वाले व्यक्तियों के लिए यह विशेष लाभप्रद है। यह पुरानी से पुरानी बदहजमी से छुटकारा दिलाता है। यह जानकारी डा.राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के योगाचार्य ओम नारायण अवस्थी ने दी।
ओम नारायण अवस्थी ने बताया कि शीतली प्राणायाम भूख और प्यास का शमन करता है। कफ और पित्त के कारण होने वाले अपच और अन्य व्याधियों को दूर करता है । यह पुरानी से पुरानी बदहजमी और तिल्ली रोग से छुटकारा दिलाता है।
शीतली का अर्थ है शीतल होना यह साधक के चित्त को शांत करता है और मन की व्यग्रता को दूर करता है। जैसा की शीतली प्राणायाम नाम से ही स्पष्ट है यह शरीर और मन को शीतलता प्रदान करता है । इस प्राणायाम के अभ्यास से न केवल शरीर का तापमान नियंत्रित होता है , बल्कि मन भी एकदम शांत चित्त हो जाता है।
अभ्यास विधि
पद्मासन अथवा किसी भी आरामदायक आसन में बैठ जाएं ज्ञान मुद्रा या चिन मुद्रा की अवस्था में अपने हाथों को घुटने पर रख लें। जीभ को किनारे से मोड कर ट्यूब का आकार बना लें। इस ट्यूबनुमा जीभ से सांस लेते हुए जितना हो सके हवा शरीर के अंदर प्रवेश कराएं और मुंह बंद कर लें । दोनों नासिकाओ से धीरे-धीरे श्वास को बाहर छोड़ें। कफ और टॉन्सिल्स वाले मरीजों को इस प्राणायाम का अभ्यास नहीं करना चाहिए।





