• January 1, 2026

‘लाह’ से चमकी औरतों की तकदीर

 ‘लाह’ से चमकी औरतों की तकदीर

आज खूंटी की महिलाओं का बड़ा हिस्सा लाह की खेती कर घर-परिवार का पेट पाल रहा है। यह महिलायें वैज्ञानिक पद्धति से लाह का उत्पादन कर प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को साकार कर रही हैं।

प्राकृति संपदा से भरपूर खूंटी जिला यहां के लोगों के जीवन का अधार हैं। वनोपज यहां के लोगों की आजीविका का प्रमुख आधार है। इस जिले में लाह का भरपूर उत्पादन होता है। यही कारण कह कि छोटे से खूंटी शहर और मुरहू में लाह की कई कारखाने हैं। एक समय में यहां के लाख उत्पादक अछूमल एशिया के सबसे बड़े लाह निर्यातक थे। आज भी लाह की खेती यहां के लोगों के जीवन का बहुत बड़ा आधार है।

जिले के मुरहू प्रखंड की बिन्दा पंचायत के सियांकेल गांव की रहने वाली सुसाना कंडीर ने अपनी मेहनत से वैज्ञानिक तरीके से लाह की खेती कर अपने परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार तो कर ही रही है, दूसरों के लिए भी वह प्रेरणाश्रोत बन गई है। सुसाना पहले भी पारपंरिक ढंग से लाह की खेती करती थी, लेकिन उससे उतनी कमाई नहीं हो पाती थी, जिससे वह अपने परिवार का ढंग से भरण-पोषण कर सके और बच्चों को अच्छे स्कूल में पढ़ा सके। बाद में वह चमेली महिला मंडल से जुड़ गई और वहां उसने वैज्ञानिक तरीके से लाह की खेती का प्रशिक्षण लिया और प्रयोग के तौर पर कुछ पेड़ों में लाख की खेती की शुरुआत की।

झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रोमोशन सोसाइटी(जेएसएलपीएस) द्वारा सुसाना सहित कई महिलाओं ने लाह की खेती का प्रशिक्षण दिया गया। सुसानाबताती हैं कि सखी मंडल में जुड़ने से पहले भी वह लाह की खेती करती थी, लेकिन परंपरागत तरीके से खेती करने के कारण ज्यादा आमदनी नहीं हो पाती थी। उन्होंने बताया कि प्रखंड स्तरीय कार्यशाला सह प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से वैज्ञानिक तरीके से लाह की खेती को लेकर उन्हें प्रशिक्षित भी किया गया। प्रशिक्षण प्राप्त कर दीदी ने उचित तरीके से खेती की और पेड़ों पर लाह के बीज डालकर समय से दवा का स्प्रे किया। इससे लाख की अच्छी फसल हुई और पारंपरिक ढंग से की गई खेती से उसे अधिक मुनाफा हुआ।

धीरे-धीरे उनकी आजीविका में सुधार आया है और आर्थिक स्थिति में वृद्धि हुई है। सुसाना बताती हैं कि वैज्ञानिक तरीके से लाह की खेती कर लाभ मिल रहा है। मेरे घर की स्थिति में अच्छा सुधार हुआ है। इसी लाह खेती की आमदनी से वह अपने बच्चों की पढ़ाई करा पा रही है और अपने गांव की अन्य महिलाओं को भी लाह खेती के लिए प्रेरित कर रही हैं। जेएसएलपीएस से जुड़ कर, प्रशिक्षण लेकर मेरे आजीविका में बदलाव आए हैं। लाह की वैज्ञानिक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी संपोषित सखी मंडल की महिलाओं को प्रशिक्षण की सुविधा उपलब्ध कराती है।

ग्राम स्तर पर लाह कृषकों की मदद के लिए चुनिंदा क्षेत्रों में आजीविका वनोपज मित्र के रूप में दीदियों को प्रशिक्षित किया गया है। आजीविका वनोपज मित्र ग्रामीण परिवारों को लाह की वैज्ञानिक खेती में मदद करते है। सुसाना जैसी ग्रामीण महिलाएं आज लाह की वैज्ञानिक खेती से जुड़कर अच्छी आय प्राप्त कर रही है।

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