रूस भारत को सशक्त बनाने में करेगा मदद, सुदर्शन चक्र परियोजना में भागीदारी की उम्मीद
लखनऊ/ 21 अगस्त 2025: रूस ने भारत की महत्वाकांक्षी ‘सुदर्शन चक्र मिशन’ में भागीदारी की इच्छा जताई है, जिसकी घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2025 को स्वतंत्रता दिवस के भाषण में की थी। रूस के चार्ज डी’अफेयर्स रोमन बाबुश्किन ने 20 अगस्त को नई दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि रूस भारत के लिए सैन्य मंचों और हार्डवेयर की आवश्यकताओं में पसंदीदा साझेदार है और सुदर्शन चक्र परियोजना में रूसी उपकरण शामिल होने की उम्मीद है।
सुदर्शन चक्र मिशन घोषणा और उद्देश्य
खबरों के मुताबिक, सुदर्शन चक्र मिशन एक स्वदेशी, बहु-स्तरीय हवाई और मिसाइल रक्षा प्रणाली है, जो 2035 तक भारत के रणनीतिक और नागरिक क्षेत्रों, जैसे अस्पताल, रेलवे, और धार्मिक स्थलों को पूर्ण सुरक्षा कवच प्रदान करेगी। यह प्रणाली न केवल हमलों को रोकने, बल्कि जवाबी हमला करने की क्षमता रखेगी, जो इसे इजरायल के आयरन डोम और अमेरिका के गोल्डन डोम से अलग बनाती है।
भारत की वर्तमान रक्षा प्रणाली में रूस निर्मित S-400 ‘ट्रायम्फ’ प्रणाली, जिसे भारत में ‘सुदर्शन चक्र’ नाम दिया गया है, महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। मई 2025 में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान S-400 ने 300 किमी की दूरी पर पाकिस्तानी AWACS विमान को मार गिराया, जो विश्व का सबसे लंबा सतह-से-हवा मारक रिकॉर्ड है।
सुदर्शन चक्र मिशन का हिस्सा डीआरडीओ का प्रोजेक्ट कुशा है, जो 150 किमी, 250 किमी, और 400 किमी रेंज की स्वदेशी लंबी दूरी की मिसाइल प्रणालियों को विकसित करेगा। यह S-400 के समकक्ष या उससे बेहतर होगा और 2028-2030 तक सेवा में शामिल होने की उम्मीद है।
भारत-रूस रक्षा सहयोग ऐतिहासिक साझेदारी
भारत और रूस के बीच रक्षा सहयोग 2000 में स्थापित भारत-रूस अंतर-सरकारी आयोग (IRIGC-MTC) द्वारा संचालित है। दोनों देश 2021-2031 के लिए सैन्य तकनीकी सहयोग समझौते के तहत काम कर रहे हैं, जिसमें संयुक्त अनुसंधान, उत्पादन, और हथियारों की आपूर्ति शामिल है। भारत में T-90 टैंक, Su-30 MKI विमान, और AK-203 राइफल्स का उत्पादन ‘मेक इन इंडिया’ के तहत हो रहा है। ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल इसका सबसे सफल उदाहरण है।
रूस की भूमिकाएं
बाबुश्किन ने कहा, “हम मानते हैं कि सुदर्शन चक्र जैसे उन्नत प्रणालियों के विकास में रूसी उपकरण शामिल होंगे।” रूस की S-400 प्रणाली पहले से ही भारत की रक्षा में महत्वपूर्ण है, और भविष्य में S-500 जैसी प्रणालियों पर सहयोग की संभावना है। चुनौतियां और भविष्य अमेरिकी दबाव: खबरों के मुताबिक, अमेरिका ने भारत के रूस से तेल खरीद और रक्षा सौदों पर 25% अतिरिक्त शुल्क लगाया है, लेकिन रूस ने इसे ‘अनुचित’ बताते हुए भारत के साथ ‘विशेष तंत्र’ के जरिए इन चुनौतियों का सामना करने की बात कही।
सुदर्शन चक्र मिशन आत्मनिर्भर भारत का हिस्सा है, जिसमें डीआरडीओ, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL), और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स जैसे निजी क्षेत्र शामिल हैं। रूस का सहयोग स्वदेशी तकनीक को मजबूत करने में मदद करेगा।
भविष्य की योजनाएं: दोनों देश 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 100 बिलियन डॉलर तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जिसमें रक्षा और ऊर्जा सहयोग प्रमुख है।
निष्कर्ष
रूस ने सुदर्शन चक्र मिशन में भागीदारी की इच्छा जताकर भारत के साथ अपनी रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने का संकेत दिया है। खबरों के मुताबिक, रूस की तकनीकी विशेषज्ञता और भारत की स्वदेशी रक्षा क्षमताओं का मेल इस मिशन को 2035 तक एक अभेद्य सुरक्षा कवच बना सकता है। यह सहयोग न केवल भारत की रक्षा को सशक्त करेगा, बल्कि वैश्विक भू-राजनीतिक चुनौतियों के बीच दोनों देशों के रिश्तों को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा