खतौली से रालोद विधायक मदन भैया को 29 साल पुराने बूथ कैप्चरिंग केस में बड़ी राहत, अदालत ने किया बरी
गाजियाबाद: उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले की खतौली विधानसभा सीट से राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के विधायक मदन भैया (मदन सिंह कसाना) को 1996 के लोकसभा चुनाव से जुड़े बूथ कैप्चरिंग मामले में बड़ी राहत मिली है। अदालत ने साक्ष्यों के अभाव में उन्हें 29 वर्ष बाद बरी कर दिया।
मामले की डिटेल्स
अदालत से प्राप्त जानकारी के अनुसार, 7 मई 1996 को लोकसभा चुनाव के दौरान लोनी क्षेत्र के मतदान केंद्र संख्या-112 (प्राइमरी पाठशाला सरफुदीनपुर जावली) पर पीठासीन अधिकारी महेंद्र नाथ तिवारी ड्यूटी पर थे।आरोप था कि तत्कालीन समाजवादी पार्टी (सपा) विधायक मदन भैया अपने तीन सरकारी गनर और 14 स्थानीय लोगों के साथ बूथ पर पहुंचे और बूथ कैप्चरिंग कराई। यह कथित तौर पर रालोद प्रमुख चौधरी अजित सिंह के सामने सपा उम्मीदवार मुखिया गुर्जर के समर्थन में किया गया।
पुलिस जांच में 14 स्थानीय लोगों के नाम आरोपियों की सूची से हटा दिए गए। मदन भैया, सरकारी गनर उदित नारायण मिश्रा और खेमचंद्र के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई। साक्ष्यों की कमी से मदन भैया और खेमचंद्र को बरी कर दिया गया, जबकि उदित नारायण मिश्रा की सुनवाई के दौरान मृत्यु हो गई।
मदन भैया का राजनीतिक सफर
पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति में मदन भैया एक प्रभावशाली नाम हैं। गुर्जर समाज से आने वाले मदन भैया का अपने समुदाय और कार्यकर्ताओं में गहरा प्रभाव है। वे कई बार विधायक रह चुके हैं और वर्तमान में खतौली से रालोद विधायक हैं।
यह फैसला मदन भैया के लिए राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि पुराने मामले उनकी छवि पर असर डाल रहे थे। अब वे बिना इस बोझ के अपनी विधायकी और पार्टी गतिविधियों पर फोकस कर सकेंगे।