पहलगाम हमले के विरोध में मेरठ बंद: स्कूल-कॉलेज, पेट्रोल पंप-बाजार में सन्नाटा, पाकिस्तान के खिलाफ उबल रहा जन आक्रोश
मेरठ, 26 अप्रैल 2025: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस जघन्य कृत्य के विरोध में आज उत्तर प्रदेश का मेरठ शहर पूरी तरह बंद रहा। शहर के बाजार, स्कूल-कॉलेज, पेट्रोल पंप और अन्य प्रतिष्ठान बंद रहे, और सड़कों पर सन्नाटा पसरा रहा। मेरठवासियों ने एकजुट होकर इस आतंकी हमले की कड़ी निंदा की और पाकिस्तान के खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर किया। जन आक्रोश मार्च, प्रदर्शन और कैंडल मार्च के माध्यम से लोगों ने शहीदों को श्रद्धांजलि दी और आतंकवाद के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की।
पहलगाम हमले की पृष्ठभूमि
23 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले में स्थित पहलगाम में आतंकियों ने पर्यटकों को निशाना बनाकर एक क्रूर हमला किया। इस हमले में 26 लोग मारे गए, जिनमें कई पर्यटक शामिल थे। लश्कर-ए-तैयबा ने इस हमले की जिम्मेदारी ली, जिसे भारत ने पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का एक और उदाहरण करार दिया। यह हमला आर्टिकल 370 हटने के बाद कश्मीर में सबसे बड़ा आतंकी हमला माना जा रहा है, जिसने 25 साल पहले हुए छत्तीसिंहपुरा नरसंहार की यादें ताजा कर दीं। हमले की टाइमिंग भी संदिग्ध रही, क्योंकि उस समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सऊदी अरब में थे और अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस भारत दौरे पर थे।
इस हमले ने पूरे देश में आक्रोश की लहर पैदा कर दी। कश्मीर घाटी से लेकर देश के कोने-कोने तक लोग सड़कों पर उतर आए। मेरठ, जो अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान के लिए जाना जाता है, ने भी इस हमले के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की।
मेरठ में बंद और जन आक्रोश
शनिवार, 26 अप्रैल 2025 को मेरठ शहर में पूर्ण बंद का आह्वान किया गया। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), विश्व हिंदू परिषद (विहिप), बजरंग दल और विभिन्न व्यापारिक संगठनों ने इस बंद का समर्थन किया। सुबह से ही शहर के प्रमुख बाजार जैसे सदर बाजार, बुढ़ाना गेट, और कमिश्नरी चौराहा पूरी तरह बंद रहे। दुकानें, निजी स्कूल, कॉलेज, और पेट्रोल पंप बंद होने से सड़कों पर सन्नाटा छा गया। केवल आपातकालीन सेवाएं जैसे अस्पताल और कुछ आवश्यक सेवाएं चालू रहीं।
बंद के दौरान शहर में कई स्थानों पर जन आक्रोश मार्च निकाले गए। बुढ़ाना गेट से शुरू हुआ एक विशाल मार्च शहर के प्रमुख हिस्सों से होकर गुजरा। इस मार्च में व्यापारी, जनप्रतिनिधि, स्कूली बच्चे और आम नागरिक शामिल हुए। मार्च के दौरान लोग भारत के झंडे थामे हुए थे और आतंकवाद के खिलाफ नारे लगा रहे थे। कुछ स्थानों पर प्रदर्शनकारियों ने पाकिस्तान का झंडा जलाकर और टायर जलाकर अपना गुस्सा जाहिर किया। “पाकिस्तान मुर्दाबाद” और “भारत माता की जय” के नारे पूरे शहर में गूंज रहे थे।

नेताओं और संगठनों की प्रतिक्रिया
मार्च में शामिल राज्यसभा सांसद डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने कहा, “यह समय केवल शोक जताने का नहीं, बल्कि ठोस कार्रवाई का है। पूरा देश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ खड़ा है। हमें आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़नी होगी।” उन्होंने पहलगाम हमले को पाकिस्तान की कायराना हरकत करार दिया और केंद्र सरकार से कठोर कदम उठाने की मांग की।
विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय संयुक्त महामंत्री डॉ. सुरेंद्र जैन ने भी हमले की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा, “यह कोई साधारण आतंकी घटना नहीं, बल्कि पाकिस्तान द्वारा भारत के खिलाफ खुला युद्ध है। अब समय आ गया है कि इस्लामिक जिहादी ताकतों और उनके कश्मीरी स्लीपर सेल्स का समूल नाश किया जाए।” विहिप और बजरंग दल ने 25 अप्रैल को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया था, जिसका असर मेरठ में भी देखने को मिला।
मेरठ गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन ने भी हमले के विरोध में कैंडल मार्च निकाला। एसोसिएशन के नेता अमरजीत पिंकी ने कहा, “अब केवल बयानबाजी से काम नहीं चलेगा। सरकार को आतंकवाद के खिलाफ सख्त एक्शन लेना होगा। पूरा देश एकजुट है और हम शहीदों को श्रद्धांजलि देते हैं।”
राष्ट्रपति को सौंपा गया ज्ञापन
बंद के दौरान प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति के नाम जिला मजिस्ट्रेट को एक ज्ञापन सौंपा। इस ज्ञापन में आतंकवाद के खिलाफ कठोर कार्रवाई, पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आतंकवादी देश घोषित करने, और पहलगाम हमले के दोषियों को सजा देने की मांग की गई। ज्ञापन में यह भी कहा गया कि पाकिस्तान की ओर से लगातार हो रहे आतंकी हमलों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
केंद्र सरकार के कदम
पहलगाम हमले के बाद केंद्र सरकार ने भी त्वरित कार्रवाई शुरू की। 23 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति की बैठक हुई, जिसमें कई बड़े फैसले लिए गए। इनमें सिंधु जल समझौता स्थगित करना, पाकिस्तानी उच्चायोग के कर्मचारियों की संख्या कम करना, सार्क वीजा के तहत पाकिस्तानी नागरिकों पर प्रतिबंध, और अटारी सीमा बंद करना शामिल है। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने प्रेस कॉन् फ्रेंस में इन फैसलों की जानकारी दी और कहा कि भारत इस हमले का जवाब देगा।
राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने केंद्र सरकार से पाकिस्तान को आतंकवादी देश घोषित करने और अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय में इसके खिलाफ केस चलाने की मांग की। उन्होंने कहा, “पाकिस्तान ने पहलगाम हमले को अंजाम देकर अपनी मंशा साफ कर दी है। दुनिया को यह संदेश देना होगा कि ऐसे हमले स्वीकार्य नहीं हैं।”
मेरठ की एकजुटता
मेरठ का यह बंद न केवल एक विरोध प्रदर्शन था, बल्कि शहर की एकजुटता और राष्ट्रीय भावना का प्रतीक भी था। स्कूली बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, हर वर्ग के लोग इस मार्च में शामिल हुए। स्थानीय व्यापारी राजेश गुप्ता ने कहा, “हमने अपने प्रतिष्ठान बंद कर इस हमले का विरोध किया, क्योंकि यह हमारी जिम्मेदारी है। शहीदों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाना चाहिए।”
कमिश्नरी चौराहे पर हुए प्रदर्शन में युवाओं ने आतंकवाद के खिलाफ नारे लगाए और शहीदों को श्रद्धांजलि दी। एक छात्रा, प्रियंका ने कहा, “हमारा देश बार-बार आतंकवाद का शिकार हो रहा है। अब हमें एकजुट होकर इस खतरे का सामना करना होगा।”
