‘कविता एक थैरेपी भी है’

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में इस बार हिन्दुस्तान टाइम्स साहित्य उत्सव-2023 में कविता की गूंज सुनाई दी। कविता पर विचारों का आदान-प्रदान हुआ। उत्सव का आयोजन कार्यक्रम के प्रमुख सहयोगी आईटीएल पब्लिक स्कूल द्वारका के सभागार में किया गया। ख्यातिलब्ध कवियों और लेखकों का रचना पाठ और संवाद तो प्रभावी ही रहा। लेखकों की कार्यशाला, पेंटिंग, कथावाचन और डूडल गतिविधि ने भी श्रोताओं का ध्यान खींचा। इस उत्सव का आगाज कविता की समाज में भूमिका के आरंभिक सत्र से हुई।
एपीजे इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर एंड प्लानिंग के प्रोफेसर प्रोफेसर आनंद खत्री, प्रख्यात कवि-ललित निबंधकार, आलोचक तथा प्रोफेसर एवं नव नालंदा महाविहार सम विश्वविद्यालय के अध्यक्ष प्रोफेसर परिचय दास, द्विभाषी कवयित्री एवं लेखिका सुनीता सिंह और रचना पंत ने इस संदर्भ में अपनी प्रासंगिक कविताएं सुनाईं। पैनल चर्चा के बाद संवाद सत्र में विद्यार्थियों और युवा कवियों ने अतिथियों से दिलचस्प सवाल पूछे। प्रोफेसर आनंद खत्री ने काव्य-चेतना पर चर्चा की। सुनीता सिंह ने कविता को मन व जीवन की जरूरत बताया।
प्रोफेसर परिचय दास ने अपने ललित वक्तव्य में कविता को अपने आप में एक उत्सव के रूप में वर्णित किया। उन्होंने कहा कि कविता मनुष्य के अन्तर्मन की विषनाशिका और मुक्तिदायिनी है। कविता आत्मालाप व सामाजिक संवाद यानी दोनों की हेतु है। यह भीतर के उपचार का सबसे बड़ा माध्यम है। उन्होंने कविता को सबको जोड़ने, नकार से विरत होने व भावना की संसिद्धि कहा। प्रो. परिचय दास ने कहा कि वह अंदर की लय है। इसलिये सबसे बड़ी थैरेपी है। उन्होंने कहा कि अपनी रचना-प्रक्रिया में मैंने आत्म संघनन व बाहर के वैषम्य को प्रमुख आधार के रूप में देखा है।
रचना पंत ने विद्यार्थियों को याद दिलाया कि साहित्य और कविता परामर्श की आवश्यकता को दूर कर देती है। इसलिए बच्चों को सिर्फ तकनीक की ओर नहीं भागना चाहिए। भावनात्मक रूप से परिपक्व होने और जीवन और भावनाओं को समझने की बारीकियों के लिए साहित्य आवश्यक है। उन्होंने सुझाव दिया कि छात्रों को एक समान बने रहने के लिए रुडयार्ड किपलिंग की कविता पढ़नी चाहिए।
इस सत्र के बाद इन बिटवीन द लाइंस नाम से एक और इंटरैक्टिव पैनल- चर्चा हुई। इसमें अतिथि लेखकों में सुनीता पंत बंसल, डॉ. हर्षाली सिंह, उपभोक्ता मंच की सदस्य न्यायाधीश और कवयित्री प्रेरणा जैन ने हिस्सा लिया। सत्र का संचालन वेंकटेश्वर इंटरनेशनल स्कूल द्वारका की प्रिंसिपल मनीषा शर्मा ने किया। डॉ. हर्षाली सिंह ने अपनी आने वाली किताब ‘अनारकली’ के बारे में बात की और बताया कि कैसे वह इस विषय के प्रति आकर्षित हुईं। सुनीता पंत बंसल ने पौराणिक कहानियों के साथ अपनी यात्रा के बारे में बात की।
इस उत्सव का आकर्षक कार्यक्रम ‘द ह्यूमन लाइब्रेरी’ रहा। यह ऐसा मंच है जिसमें छात्र अपनी अनूठी कहानियों और अनुभवों को साझा करते हुए ‘मानव पुस्तक’ बन जाते हैं। यह मंच रूढ़िवादिता को तोड़ता है। लोगों को व्यक्तिगत कथाओं के माध्यम से जुड़ने की अनुमति देकर समझ को बढ़ावा देता है। इसे सहयोगात्मक स्टोरी टेलिंग डूडल गतिविधि के रूप में देखा गया। दिल्ली इन्टरनेशनल स्कूल द्वारका की प्राचार्य अनुभा श्रीवास्तव ने कहा कि कथा-वाचन की कला को और भी गति देने की आवश्यकता है।
सीबीएसई संकल्प सहोदय (एसडब्ल्यू) दिल्ली की अध्यक्ष और आईटीएल पब्लिक स्कूल की प्रिंसिपल डॉ. सुधा आचार्य ने साहित्य उत्सव का हिस्सा बनाने के लिए आयोजक और सूत्रधार अखबार का आभार जताया। उन्होंने कहा कि साहित्य हमेशा आत्मा का भोजन होता है। इस उत्सव ने इस तरह के आयोजन से आने वाले नए विचारों और जुड़ाव को देखने का एक अवसर और मंच प्रदान किया। इससे विद्यार्थियों को अमूर्त विरासत, रोमांचक विचारों और बहुत करीबी अनुभव से साहित्य को जानने का मौका मिला।
