‘ऑपरेशन सिंदूर’ के खौफ से बंकरों में दुबकी थी पाकिस्तानी सेना: राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी का बड़ा कुबूलनामा
इस्लामाबाद/नई दिल्ली: आतंकवाद के पनाहगार और पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान की पोल एक बार फिर वैश्विक मंच पर खुल गई है। इस बार यह खुलासा किसी बाहरी एजेंसी या विपक्षी दल ने नहीं, बल्कि खुद पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने किया है। एक सार्वजनिक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जरदारी ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान पाकिस्तानी सेना की कायरता और लाचारी की जो दास्तान सुनाई, उसने पूरी दुनिया को चौंका दिया है। जरदारी ने स्वीकार किया कि जब भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान की सीमाओं पर दबाव बनाया और आतंकी ठिकानों को ध्वस्त करना शुरू किया, तब पाकिस्तान की तथाकथित शक्तिशाली सेना अपनी सुरक्षा के लिए बंकरों में छिपी बैठी थी।
राष्ट्रपति जरदारी का यह बयान ऐसे समय में आया है जब पाकिस्तान पहले से ही इतिहास के सबसे बुरे आर्थिक दौर से गुजर रहा है। जरदारी ने मंच से साझा किया कि तनाव के उन चरम क्षणों में स्थिति इतनी भयावह थी कि खुद उन्हें (राष्ट्रपति को) भी सेना द्वारा बंकरों में ही रहने की सलाह दी गई थी। यह स्वीकारोक्ति न केवल पाकिस्तानी सेना के मनोबल पर सवाल उठाती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि भारत की सैन्य कार्रवाई का खौफ किस कदर इस्लामाबाद और रावलपिंडी के गलियारों में समाया हुआ था। यह खुलासा पाकिस्तान के उन दावों की भी हवा निकाल देता है जिसमें वह अपनी सैन्य ताकत का झूठा बखान करता रहा है।
क्या था ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और भारत की जवाबी कार्रवाई
‘ऑपरेशन सिंदूर’ भारत की ओर से आतंकवाद के खिलाफ की गई एक ऐसी सर्जिकल और सटीक सैन्य कार्रवाई थी, जिसने सीमा पार बैठे आतंकियों और उनके आकाओं की नींद उड़ा दी थी। यह ऑपरेशन 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए कायरतापूर्ण आतंकी हमले का सीधा जवाब था। भारत ने 6 और 7 मई की दरमियानी रात को अपनी सैन्य शक्ति का परिचय देते हुए पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) की सीमाओं के भीतर घुसकर आतंकी बुनियादी ढांचे पर प्रहार किया था।
भारतीय सेना के विशेष दस्तों ने इस दौरान कुल 9 बड़े आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया था। इन ठिकानों में लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे खतरनाक संगठनों के मुख्यालय और ट्रेनिंग सेंटर शामिल थे। खुफिया जानकारी के आधार पर की गई इस कार्रवाई में उन केंद्रों को पूरी तरह नेस्तनाबूद कर दिया गया, जहाँ से भारत के खिलाफ आतंकी हमलों की साजिश रची जाती थी और युवाओं को कट्टरपंथी बनाकर घुसपैठ के लिए तैयार किया जाता था। भारतीय वायुसेना और थल सेना के इस समन्वय ने पाकिस्तान की सुरक्षा व्यवस्था को पूरी तरह पंगु बना दिया था, जिसका नतीजा यह हुआ कि पाकिस्तानी सैनिक और अधिकारी जवाबी कार्रवाई के डर से बंकरों में कैद हो गए।
पहलगाम का वो काला दिन: 26 मासूमों की शहादत का दर्द
भारत द्वारा ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को अंजाम देने के पीछे की पीड़ा 22 अप्रैल के उस काले दिन से जुड़ी है, जिसे कोई भी भारतीय कभी नहीं भुला सकता। जम्मू-कश्मीर के खूबसूरत पर्यटन स्थल पहलगाम में उस दिन आतंकियों ने मानवता को शर्मसार कर दिया था। भारी हथियारों से लैस आतंकियों के एक समूह ने वहां मौजूद निहत्थे पर्यटकों पर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी थी। इस दिल दहला देने वाली घटना में 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई थी, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे।
इस हमले की जिम्मेदारी ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) ने ली थी, जो कि पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों का ही एक मुखौटा माना जाता है। हमले के तुरंत बाद आतंकियों ने सोशल मीडिया पर फोटो साझा कर अपनी क्रूरता का जश्न मनाया था। इस घटना ने पूरे भारत में आक्रोश की लहर पैदा कर दी थी। लोगों की नाराजगी और अपनों को खोने का गम आज तीन महीने बीत जाने के बाद भी उतना ही गहरा है। भारत सरकार और सेना पर उस समय इस कायरता का करारा जवाब देने का भारी दबाव था, जिसका परिणाम ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के रूप में सामने आया।
राष्ट्रपति जरदारी की स्वीकारोक्ति के सियासी मायने
पाकिस्तान के राष्ट्रपति द्वारा दिया गया यह बयान कि उनकी सेना बंकरों में छिपी थी, अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में पाकिस्तान की स्थिति को बेहद कमजोर बनाता है। यह पहली बार है जब पाकिस्तान के सर्वोच्च पद पर बैठे किसी व्यक्ति ने सार्वजनिक रूप से अपनी सेना की रक्षात्मक मुद्रा और डर को स्वीकार किया है। विश्लेषकों का मानना है कि जरदारी का यह बयान देश के भीतर चल रहे सत्ता संघर्ष का हिस्सा भी हो सकता है, लेकिन इसने वैश्विक स्तर पर पाकिस्तान की उस छवि को पुख्ता कर दिया है कि वह केवल आतंकियों को पनाह देना जानता है, पर जब भारत जैसी ताकतवर सेना सामने आती है, तो वह मुकाबला करने की स्थिति में नहीं होता।
आर्थिक तंगी से जूझ रहे पाकिस्तान के लिए यह दोहरी मार है। एक तरफ महंगाई और कर्ज का बोझ जनता की कमर तोड़ रहा है, तो दूसरी तरफ राष्ट्रपति का यह बयान यह साबित कर रहा है कि पाकिस्तान के पास अब लंबी सैन्य तैयारी या किसी भी बड़े युद्ध को झेलने की क्षमता नहीं बची है। बंकरों में छिपने की बात यह भी उजागर करती है कि पाकिस्तानी सेना को अपने ही सुरक्षा तंत्र पर भरोसा नहीं था और उन्हें भारतीय मिसाइलों और विमानों के अचूक निशाने का पूरा आभास था।
भारत का कड़ा संदेश: घर में घुसकर मारेंगे
‘ऑपरेशन सिंदूर’ और उसके बाद पाकिस्तान की बदहवासी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत अब अपनी रक्षा नीति में ‘सॉफ्ट टारगेट’ बनकर नहीं रहेगा। नई दिल्ली ने बार-बार यह संदेश दिया है कि अगर भारत की शांति भंग की गई या निर्दोष नागरिकों का खून बहाया गया, तो सेना सीमा पार जाकर दुश्मनों का सफाया करने से नहीं हिचकिचाएगी। पहलगाम हमले के बाद जिस तेजी और गोपनीयता के साथ 9 ठिकानों को ध्वस्त किया गया, उसने भारत की खुफिया क्षमताओं और सैन्य श्रेष्ठता को वैश्विक पटल पर स्थापित किया है।
पाकिस्तान की सेना, जो हमेशा राजनीति में हस्तक्षेप करती है और खुद को अजेय बताती है, उसके लिए अपने ही राष्ट्रपति के बोल किसी अपमान से कम नहीं हैं। जरदारी का यह कहना कि उन्हें भी बंकर में छिपने की सलाह दी गई थी, यह दिखाता है कि भारत की कार्रवाई से इस्लामाबाद के सुरक्षित जोन भी सुरक्षित नहीं रह गए थे। यह भारतीय सामरिक रणनीति की बड़ी जीत मानी जा रही है, जिसने न केवल आतंकियों को खत्म किया बल्कि दुश्मन देश के नेतृत्व के मन में खौफ भी पैदा कर दिया।
पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा और असुरक्षा का संकट
आज पाकिस्तान एक ऐसे चौराहे पर खड़ा है जहाँ उसके पास न तो रोटी है और न ही सुरक्षा का आश्वासन। राष्ट्रपति के इस खुलासे ने पाकिस्तान की आम जनता के बीच भी सेना की छवि को नुकसान पहुँचाया है। लोग सवाल कर रहे हैं कि उनके रक्षा बजट का एक बड़ा हिस्सा हड़पने वाली सेना संकट के समय बंकरों में क्यों छिपी थी? ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान पाकिस्तान की वायुसेना के विमान भी भारतीय विमानों को रोकने में नाकाम रहे थे, जिसका दर्द अब जरदारी की बातों में छलक रहा है।
कुल मिलाकर, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ केवल एक सैन्य अभियान नहीं था, बल्कि यह भारत की बदली हुई उस नीति का हिस्सा था जो ‘आतंकवाद और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकते’ के सिद्धांत पर आधारित है। जरदारी के इस कुबूलनामे ने भारत के उस दावे पर मुहर लगा दी है कि पाकिस्तान अपनी धरती का इस्तेमाल आतंकियों के लिए करने दे रहा है और भारत की जवाबी कार्रवाई से वह बुरी तरह डरा हुआ है। आने वाले समय में यह खुलासा पाकिस्तान की आंतरिक राजनीति में बड़े भूचाल का कारण बन सकता है।