• July 2, 2025

पहलगाम आतंकी हमला: एनआईए ने चश्मदीदों से की पूछताछ, हर बिंदु पर बारीकी से हो रही छानबीन

नई दिल्ली/पहलगाम, 27 अप्रैल 2025: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए भीषण आतंकी हमले की जांच में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने अपनी कार्रवाई तेज कर दी है। इस हमले में 26 लोगों की जान चली गई थी, जिसमें 25 भारतीय और एक नेपाली नागरिक शामिल थे, जबकि तीन दर्जन से अधिक लोग घायल हुए थे। एनआईए की टीमें हमले के बाद से ही घटनास्थल पर डटी हुई हैं और चश्मदीदों से बारीकी से पूछताछ कर रही हैं। जांच में हर पहलू को गहराई से खंगाला जा रहा है ताकि इस जघन्य आतंकी साजिश का पर्दाफाश किया जा सके।
हमले का भयावह मंजर
पहलगाम के बाइसरण मीडो में हुआ यह आतंकी हमला हाल के वर्षों में कश्मीर में हुए सबसे बड़े हमलों में से एक है। बाइसरण, जिसे ‘मिनी स्विट्जरलैंड’ के नाम से भी जाना जाता है, अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए पर्यटकों के बीच बेहद लोकप्रिय है। 22 अप्रैल को दोपहर करीब 2 बजे, जब सैकड़ों पर्यटक इस खूबसूरत घाटी में पिकनिक मना रहे थे, तभी अचानक पांच से सात आतंकियों ने हमला बोल दिया। चश्मदीदों के अनुसार, आतंकियों ने पहले पर्यटकों को लाइन में खड़ा किया और उनकी धार्मिक पहचान पूछी। इसके बाद उन्होंने अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी। हमले में आतंकियों ने 50 से अधिक राउंड फायरिंग की, जिसके कारण मौके पर ही कई लोगों की मौत हो गई।
यह हमला इतना भयावह था कि पर्यटकों में भगदड़ मच गई। खुले मैदान में छिपने की कोई जगह नहीं थी, जिसके कारण कई लोग खुले में ही निशाना बन गए। घायलों को निकालने में भी काफी दिक्कतें आईं, क्योंकि संकरी सड़कों के कारण आपातकालीन सेवाओं को पहुंचने में देरी हुई। स्थानीय लोगों ने घायलों को अपनी गाड़ियों और अस्थायी स्ट्रेचर पर ले जाकर अस्पताल पहुंचाया। कुछ घायलों को हेलिकॉप्टर के जरिए निकाला गया।
एनआईए की जांच शुरू
हमले के तुरंत बाद जम्मू-कश्मीर पुलिस ने जांच शुरू की थी, लेकिन इसकी गंभीरता को देखते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 26 अप्रैल की देर रात इस मामले को एनआईए को सौंप दिया। एनआईए ने औपचारिक रूप से एक नई एफआईआर दर्ज की और जांच को अपने हाथ में लिया। एनआईए की एक विशेष टीम, जिसमें एक इंस्पेक्टर जनरल (आईजी), एक डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल (डीआईजी), और एक सुपरिंटेंडेंट ऑफ पुलिस (एसपी) शामिल हैं, 23 अप्रैल से ही पहलगाम में डेरा डाले हुए है।
एनआईए की टीम ने सबसे पहले घटनास्थल का दौरा किया और वहां मौजूद सबूतों को इकट्ठा करना शुरू किया। फॉरेंसिक विशेषज्ञों और अन्य तकनीकी टीमों की मदद से पूरे क्षेत्र की गहन तलाशी ली जा रही है। जांच के दौरान बाइसरण मीडो के आसपास के प्रवेश और निकास मार्गों की बारीकी से जांच की जा रही है ताकि आतंकियों के आने-जाने के रास्तों और उनकी रणनीति का पता लगाया जा सके।
चश्मदीदों से बारीकी से पूछताछ
एनआईए की जांच का एक अहम हिस्सा चश्मदीदों से पूछताछ है। हमले के दौरान मौजूद पर्यटकों और स्थानीय लोगों से एनआईए की टीम बारीकी से सवाल-जवाब कर रही है। चश्मदीदों से आतंकियों के हुलिए, उनके हथियारों, और हमले की पूरी घटनाक्रम को समझने की कोशिश की जा रही है। कुछ चश्मदीदों ने बताया कि आतंकियों ने बॉडी कैमरे पहने हुए थे, जिससे संकेत मिलता है कि उन्होंने इस हमले को रिकॉर्ड करने की योजना बनाई थी।
चश्मदीदों के बयानों के आधार पर एनआईए ने कुछ संदिग्धों की पहचान भी की है। जांच में अब तक यह सामने आया है कि हमले में पांच से सात आतंकी शामिल थे, जिनमें से कम से कम दो स्थानीय आतंकी थे। इनमें से एक की पहचान अनंतनाग के आदिल थोकर उर्फ आदिल गुरे के रूप में हुई है, जिसे चश्मदीदों ने हमले के दौरान गोली चलाते हुए देखा था। इसके अलावा, त्राल के आसिफ शेख पर भी हमले की साजिश में शामिल होने का संदेह है। दोनों संदिग्धों के घरों की तलाशी के दौरान विस्फोटक सामग्री मिली, जिसके बाद उनके घरों को आंशिक रूप से ध्वस्त कर दिया गया।
आतंकियों की पहचान और संदिग्ध संगठन
प्रारंभिक जांच में यह सामने आया है कि इस हमले के पीछे पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) का हाथ है। लश्कर की एक शाखा, द रेसिस्टेंट फ्रंट (टीआरएफ), ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने पहले ही तीन संदिग्धों के स्केच जारी किए थे, जिनमें दो पाकिस्तानी नागरिक—हाशिम मूसा उर्फ सुलेमान और अली भाई उर्फ तल्हा भाई—और एक स्थानीय आतंकी, अब्दुल हुसैन थोकर, शामिल हैं। इनकी गिरफ्तारी के लिए 20 लाख रुपये का इनाम भी घोषित किया गया है।
एनआईए की जांच में यह भी पता चला है कि आतंकियों ने बाइसरण मीडो को इसलिए चुना क्योंकि वहां सुरक्षा बलों की मौजूदगी नहीं थी और वाहनों की आवाजाही संभव नहीं थी। इससे उनकी योजना को अंजाम देना आसान हो गया और बचाव कार्यों में देरी हुई। आतंकियों ने हमले के बाद पीर पंजाल रेंज के घने जंगलों में भागने की योजना बनाई थी, जहां सेना, सीआरपीएफ, और स्थानीय पुलिस की संयुक्त टीमें उनकी तलाश में जुटी हैं। ड्रोन, यूएवी, और स्निफर डॉग्स की मदद से बड़े पैमाने पर सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है, लेकिन अभी तक आतंकियों का कोई संपर्क नहीं हो सका है।
भारत-पाकिस्तान तनाव और राजनयिक कदम
इस हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया है। भारत ने 23 अप्रैल को सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने का फैसला किया, जिसे पाकिस्तान ने “युद्ध की घोषणा” करार दिया। भारत ने इसके साथ ही अटारी-वाघा सीमा को बंद कर दिया, पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द कर दिए, और भारतीय हाई कमीशन की संख्या को 30 तक सीमित कर दिया। पाकिस्तान ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए भारत के साथ व्यापार बंद कर दिया और भारतीय विमानों के लिए अपना हवाई क्षेत्र बंद कर दिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमले के बाद सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि आतंकियों और उनके समर्थकों को “कल्पना से परे सजा” दी जाएगी। उन्होंने बिहार के मधुबनी में एक जनसभा में कहा, “भारत आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करेगा। हम हर आतंकी को ढूंढकर सजा देंगे।” वहीं, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी कहा कि इस हमले का जवाब सबसे कड़ा होगा।
स्थानीय और राष्ट्रीय प्रतिक्रिया
पहलगाम हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। देशभर में विरोध प्रदर्शन हुए, जिसमें लोगों ने पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। कश्मीर में स्थानीय लोगों ने हमले की निंदा करते हुए कैंडल मार्च निकाला और पीड़ितों के लिए न्याय की मांग की। श्रीनगर में जम्मू-कश्मीर पुलिस ने एक हेल्पलाइन शुरू की, ताकि पर्यटकों को सहायता और जानकारी दी जा सके।
कश्मीर में पर्यटन हाल के वर्षों में बढ़ रहा था, लेकिन इस हमले ने एक बार फिर घाटी की छवि को धक्का पहुंचाया है। स्थानीय टैक्सी ड्राइवरों और व्यापारियों ने कहा कि पर्यटक उनके लिए परिवार की तरह हैं और इस तरह के हमले उनकी आजीविका पर सीधा असर डालते हैं।
भविष्य की चुनौतियां
पहलगाम हमला कश्मीर में बढ़ती आतंकी गतिविधियों का एक खतरनाक संकेत है। 3 जुलाई से शुरू होने वाली अमरनाथ यात्रा को लेकर भी सुरक्षा चिंताएं बढ़ गई हैं। सरकार ने यात्रा के लिए सुरक्षा व्यवस्था को और सख्त करने का फैसला किया है। साथ ही, कश्मीर में आतंकियों और उनके समर्थकों के खिलाफ बड़े पैमाने पर कार्रवाई शुरू की गई है, जिसमें उनके ठिकानों को नष्ट करना और संदिग्धों को हिरासत में लेना शामिल है।
एनआईए की जांच अब इस हमले की साजिश को पूरी तरह से उजागर करने पर केंद्रित है। यह देखना बाकी है कि क्या जांच के नतीजे आतंकियों को सजा दिलाने में सफल होंगे और क्या इस घटना के बाद भारत-पाकिस्तान संबंधों में और तनाव बढ़ेगा। लेकिन एक बात साफ है—पहलगाम हमला देश के लिए एक गहरी चोट है, जिसका जवाब देने के लिए भारत सरकार और सुरक्षा एजेंसियां पूरी तरह से तैयार हैं।
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Rama Niwash Pandey

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