पहलगाम आतंकी हमला: बच्चों को अकेले नहीं भेजूंगी पाकिस्तान, अमृतसर से वापस लौटी सना, जानें पूरा मामला
मेरठ/अमृतसर, 27 अप्रैल 2025: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। इस हमले के बाद भारत सरकार ने सख्त कदम उठाते हुए सभी पाकिस्तानी नागरिकों को 48 घंटे के भीतर भारत छोड़ने का आदेश दिया था। इसी बीच, मेरठ की रहने वाली सना की कहानी सामने आई है, जिसने अपने बच्चों को अकेले पाकिस्तान भेजने से इनकार कर दिया और अमृतसर से वापस लौट आई।
सना की कहानी
सना की शादी 10 साल पहले पाकिस्तान के एक युवक से हुई थी, और उनके दो बच्चे हैं। वह अपने बच्चों के साथ करतारपुर साहिब गुरुद्वारा के दर्शन के लिए अमृतसर पहुंची थी। पहलगाम हमले के बाद भारत सरकार ने अटारी-वाघा बॉर्डर पर इंटीग्रेटेड चेकपोस्ट को बंद कर दिया, लेकिन करतारपुर कॉरिडोर को श्रद्धालुओं के लिए खुला रखा गया। सना ने बताया कि जब वह सीमा पर पहुंची, तो उसे बताया गया कि वह अपने बच्चों को पाकिस्तान भेज सकती है, लेकिन वह खुद भारत में ही रहेंगी। सना ने इस स्थिति को अस्वीकार कर दिया और कहा, “मैं अपने बच्चों को अकेले पाकिस्तान नहीं भेजूंगी। मैं उनके बिना नहीं रह सकती।” इसके बाद वह अपने बच्चों के साथ अमृतसर से मेरठ वापस लौट आई।
सना ने अधिकारियों से गुहार लगाई कि उसे और उसके बच्चों को एक साथ रहने की अनुमति दी जाए। उसने कहा, “मेरे पति पाकिस्तान में हैं, लेकिन मैं अपने बच्चों को अकेले वहां नहीं भेज सकती। सरकार को इस मामले में मानवीय दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।”
पहलगाम हमले का पृष्ठभूमि
22 अप्रैल 2025 को पहलगाम की बैसरन घाटी में चार आतंकियों ने पर्यटकों पर हमला किया, जिसमें 26 लोगों की मौत हो गई और 20 से अधिक घायल हुए। हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा की विंग ‘द रजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) ने ली थी, हालांकि बाद में TRF ने इससे इनकार किया और दावा किया कि उनका डिजिटल प्लेटफॉर्म हैक हुआ था। जांच में पता चला कि आतंकी सेना जैसी वर्दी में थे और उनके पास M4 कार्बाइन राइफल और AK-47 जैसे हथियार थे। हमले में मारे गए लोगों में ज्यादातर पर्यटक थे, जिनमें एक नेपाली नागरिक और कई भारतीय शामिल थे।

भारत सरकार का सख्त रुख
हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ कई कड़े कदम उठाए। 23 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी (CCS) की बैठक में पांच बड़े फैसले लिए गए:
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1960 की सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया।
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अटारी-वाघा बॉर्डर चेकपोस्ट को बंद कर दिया गया।
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भारत में मौजूद पाकिस्तानी नागरिकों को 48 घंटे के भीतर देश छोड़ने का आदेश दिया गया।
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भारत और पाकिस्तान दोनों देशों में दूतावास कर्मचारियों की संख्या घटाने का फैसला लिया गया।
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पाकिस्तानी राजनयिकों को भारत छोड़ने के लिए एक सप्ताह का समय दिया गया।
इन फैसलों के बाद, सना जैसी कई लोग प्रभावित हुए हैं, जिनके परिवार भारत और पाकिस्तान दोनों देशों में हैं।
सियासी और सामाजिक प्रभाव
पहलगाम हमले और भारत के सख्त कदमों ने दोनों देशों के बीच तनाव को बढ़ा दिया है। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने हमले से किसी भी संबंध से इनकार किया, जबकि उप-प्रधानमंत्री इशाक डार ने आतंकियों को ‘स्वतंत्रता सेनानी’ करार दिया, जिसकी भारत में कड़ी निंदा हुई। भारत में विपक्षी नेताओं, जैसे राहुल गांधी और असदुद्दीन ओवैसी, ने सरकार से पीड़ितों को न्याय और सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की है।
सना की कहानी उन हजारों लोगों की दुविधा को दर्शाती है, जो भारत-पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण रिश्तों के कारण अपने परिवारों से अलग होने के डर में जी रहे हैं। करतारपुर कॉरिडोर जैसे प्रयास, जो दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और धार्मिक संबंधों को मजबूत करने के लिए शुरू किए गए थे, भी अब इस तनाव की छाया में हैं।
