पहलगाम हमला: शुभम द्विवेदी के नाम पर पार्क और चौक, पत्नी को आउटसोर्सिंग नौकरी का ऑफर, कानपुर महापौर ने की घोषणा
कानपुर, 26 अप्रैल 2025: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में अपनी जान गंवाने वाले कानपुर के शुभम द्विवेदी को सम्मान देने के लिए शहर की महापौर प्रमिला पांडेय ने एक बड़ा ऐलान किया है। महापौर ने शनिवार को घोषणा की कि श्याम नगर में एक पार्क और एक चौक का नाम शुभम द्विवेदी के नाम पर रखा जाएगा। इसके साथ ही, शुभम की पत्नी एशान्या को कानपुर नगर निगम में आउटसोर्सिंग के जरिए नौकरी देने का ऑफर भी दिया गया है, बशर्ते वह इसके लिए इच्छुक हों। इस घोषणा ने न केवल शुभम के परिवार को सांत्वना दी है, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता का संदेश भी दिया है।
पहलगाम हमले की पृष्ठभूमि
पहलगाम हमला 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले के बाइसरण घास के मैदान में हुआ था, जिसे ‘मिनी स्विट्जरलैंड’ के नाम से जाना जाता है। इस हमले में पांच से छह आतंकियों ने पर्यटकों पर अंधाधुंध गोलीबारी की, जिसमें 25 भारतीय और एक नेपाली नागरिक की मौत हो गई। कई लोग घायल भी हुए। हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े संगठन ‘द रेसिस्टेंस फ्रंट’ ने ली, जिसके तार पाकिस्तान से जुड़े होने की बात सामने आई है। इस हमले ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया और केंद्र सरकार ने इसके जवाब में कई सख्त कदम उठाए, जिनमें पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द करना और अटारी-वाघा बॉर्डर को बंद करना शामिल है।
शुभम द्विवेदी, 31 वर्षीय कानपुर निवासी, उन लोगों में से एक थे जिन्होंने इस हमले में अपनी जान गंवाई। शुभम की शादी इसी साल 12 फरवरी को एशान्या
से हुई थी, और वह अपनी पत्नी के साथ पहलगाम में छुट्टियां मनाने गए थे। हमले के दौरान आतंकियों ने शुभम को उनकी पत्नी के सामने ही गोली मार दी।एशान्या
ने बाद में बताया कि आतंकियों ने शुभम से उनकी धार्मिक पहचान पूछी और फिर उन्हें गोली मार दी। इस घटना ने न केवल शुभम के परिवार को तोड़ दिया, बल्कि पूरे कानपुर शहर में गम और गुस्से की लहर दौड़ा दी।
से हुई थी, और वह अपनी पत्नी के साथ पहलगाम में छुट्टियां मनाने गए थे। हमले के दौरान आतंकियों ने शुभम को उनकी पत्नी के सामने ही गोली मार दी।एशान्या
ने बाद में बताया कि आतंकियों ने शुभम से उनकी धार्मिक पहचान पूछी और फिर उन्हें गोली मार दी। इस घटना ने न केवल शुभम के परिवार को तोड़ दिया, बल्कि पूरे कानपुर शहर में गम और गुस्से की लहर दौड़ा दी।
महापौर की घोषणा
महापौर प्रमिला पांडेय ने शनिवार को कानपुर नगर निगम मुख्यालय में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इस घोषणा को सार्वजनिक किया। उन्होंने कहा, “पहलगाम हमले में शहीद हुए हमारे शहर के बेटे शुभम द्विवेदी को सम्मान देने के लिए हमने फैसला किया है कि श्याम नगर में एक पार्क और एक चौक का नाम उनके नाम पर रखा जाएगा। यह हमारा छोटा सा प्रयास है कि शुभम की यादें और उनकी शहादत हमेशा हमारे बीच जीवित रहें।”
महापौर ने यह भी बताया कि शुभम की पत्नी आशanya के लिए भी कानपुर नगर निगम ने एक प्रस्ताव तैयार किया है। उन्होंने कहा, “हमने आशanya को आउटसोर्सिंग के जरिए कानपुर नगर निगम में नौकरी देने का फैसला किया है, अगर वह इसके लिए इच्छुक हों। हमारा पूरा नगर निगम परिवार उनके साथ खड़ा है और उनकी हर संभव मदद करेगा।” इस घोषणा के बाद महापौर ने बीजेपी पार्षदों और नगर निगम कर्मचारियों के साथ मिलकर शुक्रवार को एक रैली भी निकाली, जो नगर निगम मुख्यालय से मोतीझील तक गई। इस रैली में पहलगाम हमले के पीड़ितों को श्रद्धांजलि दी गई और आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता दिखाई गई।
शुभम की पत्नी और परिवार का दर्द
शुभम की पत्नी आशanya ने इस हमले के बाद अपनी आपबीती साझा करते हुए कहा, “मेरे सामने ही उन्होंने शुभम को गोली मार दी। उन्होंने पहले उससे उसकी धार्मिक पहचान पूछी और फिर उसे मार डाला। मैं बदला चाहती हूं।” आशanya की यह बात उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक पहुंची, जिन्होंने शुभम के परिवार से मुलाकात की। सीएम योगी ने आशanya को आश्वासन दिया कि आतंकियों को सजा जरूर मिलेगी। उन्होंने कहा, “इस्लामिक आतंकवादियों के ताबूत में आखिरी कील ठोक दी जाएगी। केंद्र सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति के तहत आतंकियों और उनके समर्थकों को बख्शा नहीं जाएगा।”
शुभम के परिवार ने भी इस घोषणा का स्वागत किया है, लेकिन उनका कहना है कि असली न्याय तब मिलेगा जब हमले के दोषियों को सजा दी जाएगी। शुभम के पिता संजय द्विवेदी ने कहा, “महापौर की घोषणा से हमें कुछ सांत्वना मिली है, लेकिन हम चाहते हैं कि सरकार उन आतंकियों को सजा दे, जिन्होंने हमारे बेटे को हमसे छीन लिया।”
कानपुर में शोक और गुस्सा
पहलगाम हमले के बाद कानपुर शहर में शोक और गुस्से का माहौल है। शुभम की मौत ने स्थानीय लोगों को गहरे सदमे में डाल दिया है। कई सामाजिक संगठनों और स्थानीय नेताओं ने इस हमले की कड़ी निंदा की है और केंद्र सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग की है। बीजेपी पार्षदों ने भी इस हमले के खिलाफ प्रदर्शन किया और पाकिस्तान के खिलाफ नारेबाजी की। शहर के कई इलाकों में शुभम को श्रद्धांजलि देने के लिए कैंडल मार्च निकाले गए।
स्थानीय लोगों का कहना है कि शुभम एक मिलनसार और जिम्मेदार व्यक्ति थे। उनके एक पड़ोसी ने बताया, “शुभम बहुत अच्छा लड़का था। उसने हाल ही में शादी की थी और अपने परिवार के साथ खुशहाल जीवन की शुरुआत कर रहा था। आतंकियों ने उसकी जिंदगी छीन ली, यह बहुत दुखद है।”

केंद्र और राज्य सरकार की प्रतिक्रिया
पहलगाम हमले के बाद केंद्र और राज्य सरकार ने तुरंत कार्रवाई शुरू कर दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सऊदी अरब की अपनी यात्रा को बीच में ही रद्द कर दिया और दिल्ली लौटकर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात की। पीएम मोदी ने कहा, “हम हर आतंकी को ढूंढकर सजा देंगे। भारत आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई में कोई ढील नहीं बरतेगा।” गृह मंत्री अमित शाह ने भी हमले की निंदा की और कहा, “भारत आतंकवाद के सामने नहीं झुकेगा। इस हमले के दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।”
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुभम के परिवार से मुलाकात की और उन्हें हर संभव मदद का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा, “आतंकवाद अपनी आखिरी सांसें ले रहा है। केंद्र सरकार की नीतियों के तहत आतंकियों का खात्मा किया जाएगा।”
पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कदम
पहलगाम हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ कई सख्त कदम उठाए। इनमें सभी पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द करना, अटारी-वाघा बॉर्डर को बंद करना, और 1960 की सिंधु जल संधि को निलंबित करना शामिल है। भारत ने यह भी घोषणा की कि सभी पाकिस्तानी नागरिकों को 27 अप्रैल तक देश छोड़ना होगा, हालांकि मेडिकल वीजा धारकों को 29 अप्रैल तक की छूट दी गई है। इन कदमों ने भारत-पाकिस्तान के रिश्तों में तनाव को और बढ़ा दिया है।
आगे की राह
शुभम द्विवेदी की याद में पार्क और चौक का नामकरण एक प्रतीकात्मक कदम है, जो न केवल उनकी शहादत को सम्मान देता है, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता का संदेश भी देता है। हालांकि, असली सवाल यह है कि क्या सरकार इस हमले के दोषियों को सजा दिला पाएगी और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठा पाएगी। पहलगाम हमले ने एक बार फिर कश्मीर में सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं, और यह जरूरी है कि सरकार इस दिशा में प्रभावी कदम उठाए ताकि पर्यटकों और स्थानीय लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
कानपुर में शुभम के नाम पर बनने वाला पार्क और चौक उनकी याद को हमेशा जिंदा रखेगा, लेकिन असली श्रद्धांजलि तब होगी जब उनके हत्यारों को सजा मिलेगी और देश में शांति स्थापित होगी।
