प्रशासन की तत्परता व प्रबंधन से आबादी क्षेत्र में नहीं हुआ कोई नुकसान: एसीएस विनीत गर्ग
हरियाणा के पर्यावरण, वन एवं वन्यजीव विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव विनीत गर्ग ने जिलाधिकारियों के साथ बाढ़ प्रबंधन में किए गए राहत कार्यों और भविष्य में किए जाने वाले विभागीय कार्यों की समीक्षा की। लघु सचिवालय के सभागार में आयोजित विभागीय अधिकारियों की बैठक में एसीएस विनीत गर्ग ने जिला में बाढ़ राहत के लिए किए गए कार्यों पर संतुष्टि जताई और कहा कि प्रशासन की तत्परता व प्रबंधन से आबादी क्षेत्र में नुकसान नहीं हुआ है।
उन्होंने कहा कि बाढ़ का पानी पीछे कम हुआ है। जिला के जाखल क्षेत्र के गांवों में भी खेतों से पानी कम होना शुरू हो गया है। उन्होंने कहा कि पानी के कम हो जाने के बाद विभाग अपने-अपने भविष्य की योजनाएं भी तैयार रखे ताकि लोगों को राहत पहुंचाई जा सके। एसीएस विनीत गर्ग ने बिजली निगम के अधिकारियों से कहा कि वे निर्बाध बिजली सप्लाई जारी रखे। अपने बिजली घरों की पानी से सुरक्षा रखे।
धान के बीज का पर्याप्त भंडार उपलब्ध
कृषि विभाग के अधिकारियों को निर्देश देते हुए एसीएस ने कहा कि जिन फसलों में नुकसान हुआ है, उन फसलों को चिन्ह्ति करें। पानी का स्तर कम होने के बाद वहां पर बिजाई करने के विकल्प को तलाशे। धान के क्षेत्र में नर्सरी से पनीरी तैयार करने और अतिरिक्त बीजों की व्यवस्था होनी चाहिए। बैठक के दौरान कृषि विभाग के उप निदेशक डॉ. राजेश सिहाग ने बताया कि बीज का पर्याप्त भंडार उपलब्ध है। एसीएस विनीत गर्ग ने जिला परिषद के सीईओ और डीडीपीओ को निर्देश दिए कि वे गांवों के तटबंधों पर लगातार निगरानी बढ़ाए। उनकी मजबूती के लिए व्यवस्था होनी चाहिए। जिप सीईओ कुलभूषण बंसल ने बताया कि गांवों में तटबंध मजबूत है और 40 हजार मनरेगा मजदूरों को बाढ़ ग्रस्त के तटबंधों की मजबूती के लिए लगाया गया है।
लोगों व पंचायतों के सहयोग से काम कर रही है प्रशासनिक टीमें: डीसी
बैठक में उपायुक्त मनदीप कौर ने बताया कि जिला में बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों में प्रशासनिक टीमों के साथ-साथ स्थानीय लोगों व पंचायतों का सहयोग लेकर काम किया जा रहा है। ढाणियों से पहले ही लोगों को सुरक्षित निकाला जा चुका है। जान-माल का कोई नुकसान नहीं हुआ है। आबादी क्षेत्र सुरक्षित है। राहत के लिए कैंप भी स्थापित किए गए है। मेडिकल टीमें पर्याप्त मात्रा में लगाई गई है। उन्होंने बताया कि आबादी क्षेत्र में पानी न आए, इसके लिए तटबंधों की मजबूती की जा रही है।




