नागपंचमी पर सांपों को दूध पिलाने की परंपरा : विनितेश तिवारी
रायगढ़, 9 अगस्त । जिले में आज नागपंचमी का त्याेहार धूमधाम से मनाया जा रहा है। श्रद्धालु शिव मंदिराें में शिवलिंग व नाग देवता काे दूध व लावा अर्पित कर रहे हैं।
इस अवसर पर पं. विनितेश तिवारी ने बताया कि हमारे प्राचीन ग्रंथों के अनुसार राजा परीक्षित की मृत्यु जब तकक्षक नाग के डसने से हुई तब उनके पुत्र ने प्रतिशोध लेने के लिये एक यज्ञ का आयोजन किया जिसमे विश्व के सभी सांप उस यज्ञ कुंड मे अपने आप आ कर जल कर खत्म होने लगे, ऐसे मे सभी सांपों ने आस्तिक ऋषि जो जरत्कारू और मनसा के पुत्र थे उनका आह्वान किया आस्तिक ऋषि के आशीर्वाद से सभी सांपों का समुल नाश होने से बचाव हुआ और उन जले हुए सांपों को दूध से पवित्र कर उनकी जलन हटाई गई, जिससे यह प्रथा प्रचलित हुई, जो की आगे चलकर दूध से स्नान की जगह सांपो को दूध और लाई के प्रसाद चढ़ाने पर आकर रुकी।
आज हम सभी नाग पंचमी का त्योहार मनाते हैं और सांपो की बांबी या घर की दीवार पर गोबर से सांप की आकृति बना कर पूजा करते हैं, ये हमारी आस्था है कि हम सभी प्रणीयों की रक्षा के लिये यह विशेष दिन मनाते हैं और जगत कल्याण के लिए और अच्छी सदभावना से सभी की रक्षा के लिये त्योहार मनाते हैं। सर्परक्षक व एनिमल रेस्क्यू टीम के विनिवेश तिवारी ने कहा कि सांप कभी दूध नही पिते, उनके शरीर मे दूध को पचाने वाले अंजाइम नही पाये जाते वे पूर्णतः माँसाहारी होते हैं, सपेरों द्वारा उन्हे भूखा प्यासा रखा जाता है, और वे दूध को पानी समझकर पीने की कोशिश करते हैं लेकिन दूध के स्वाद मिलने पर उसे छोड़ देते हैं।



