• December 27, 2025

डिंपल यादव पर मौलाना की अभद्र टिप्पणी: बीजेपी का विरोध, अखिलेश और सपा की चुप्पी पर उठे सवाल

28 जुलाई 2025 : समाजवादी पार्टी (सपा) की सांसद डिंपल यादव के खिलाफ ऑल इंडिया इमाम एसोसिएशन के अध्यक्ष मौलाना साजिद रशीदी और ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी द्वारा की गई अभद्र टिप्पणियों ने सियासी तूफान खड़ा कर दिया है। यह विवाद दिल्ली के संसद मार्ग पर स्थित एक मस्जिद में सपा की बैठक और डिंपल यादव की मौजूदगी से शुरू हुआ, जिसे लेकर मौलानाओं ने उनके पहनावे और मस्जिद में उपस्थिति को लेकर आपत्तिजनक बयान दिए। जहां भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और एनडीए सांसदों ने इस मुद्दे पर संसद के बाहर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया, वहीं सपा प्रमुख अखिलेश यादव और उनकी पार्टी की चुप्पी सवालों के घेरे में है।

विवाद की जड़

22 जुलाई 2025 को सपा सांसद धर्मेंद्र यादव ने सोशल मीडिया पर कुछ तस्वीरें साझा कीं, जिनमें अखिलेश यादव, डिंपल यादव, रामपुर सांसद मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी, और संभल सांसद शफीकुर रहमान बर्क संसद मार्ग की मस्जिद में बैठक करते दिखे। इस बैठक को बीजेपी ने धार्मिक स्थल का दुरुपयोग करार दिया और सपा को ‘नमाजवादी पार्टी’ कहकर तंज कसा। इसके बाद मौलाना साजिद रशीदी ने एक टीवी डिबेट में डिंपल यादव के पहनावे पर आपत्तिजनक टिप्पणी की, जिसमें उन्होंने सपा सांसद इकरा हसन के सिर ढकने की तुलना डिंपल के साथ की। वहीं, मौलाना शहाबुद्दीन ने डिंपल पर मस्जिद की तौहीन का आरोप लगाते हुए उनसे मुस्लिम समुदाय से माफी मांगने की मांग की।

बीजेपी और एनडीए का विरोध

बीजेपी और एनडीए सांसदों ने इस मामले को ‘नारी शक्ति का अपमान’ बताते हुए संसद के बाहर प्रदर्शन किया। बीजेपी सांसद बांसुरी स्वराज ने कहा, “डिंपल यादव की अपनी पार्टी और उनके पति अखिलेश यादव इस मुद्दे पर चुप क्यों हैं? क्या तुष्टिकरण की राजनीति एक महिला सांसद की गरिमा से ज्यादा महत्वपूर्ण है?” लोजपा (रामविलास) सांसद शांभवी चौधरी ने इसे सांप्रदायिक आधार पर महिलाओं की गरिमा पर हमला बताया और सभी दलों से एकजुट होकर इसका विरोध करने की अपील की। बीजेपी सांसद धर्मशीला गुप्ता ने कहा, “अखिलेश अपनी पत्नी के अपमान पर चुप हैं। अगर वह अपने घर की महिलाओं के लिए नहीं खड़े हो सकते, तो राजनीति छोड़ दें।” प्रदर्शन के दौरान सांसदों ने “नारी शक्ति का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान” जैसे नारे लगाए।

अखिलेश और सपा की चुप्पी

इस पूरे विवाद में अखिलेश यादव की प्रतिक्रिया बेहद संक्षिप्त और अस्पष्ट रही। जब उनसे इस मुद्दे पर सवाल पूछा गया, तो उन्होंने कहा, “लोकसभा में क्या पहनकर आएं, बताओ। जो लोकसभा में पहनकर आएंगे, वही हमारी ड्रेस होगी।” यह जवाब उनकी सामान्य बेबाक शैली से अलग था, जिसने कई सवाल खड़े किए। सपा ने भी आधिकारिक तौर पर कोई बयान जारी नहीं किया, सिवाय इसके कि बीजेपी इसे सांप्रदायिक रणनीति के तहत उछाल रही है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सपा की चुप्पी का कारण उनका मुस्लिम वोट बैंक है, जो उत्तर प्रदेश में उनकी ताकत का आधार है। विश्लेषक अनिल पांडेय ने कहा, “अखिलेश ने शायद डिंपल को इस मुद्दे पर सामने आने का मौका दिया ताकि उनकी राजनीतिक छवि मजबूत हो, लेकिन यह चुप्पी उनकी तुष्टिकरण की राजनीति को उजागर करती है।” सोशल मीडिया पर भी कई यूजर्स ने अखिलेश की खामोशी पर सवाल उठाए, कुछ ने इसे ‘वोटबैंक की मजबूरी’ करार दिया।

डिंपल यादव की प्रतिक्रिया

डिंपल यादव ने इस विवाद पर सीधे तौर पर मौलाना के बयानों का जवाब देने के बजाय बीजेपी पर पलटवार किया। उन्होंने कहा, “बेहतर होता अगर बीजेपी मणिपुर की महिलाओं के अपमान या ऑपरेशन सिंदूर में सैन्य अधिकारियों पर दिए गए बयानों का विरोध करती।” उनकी इस प्रतिक्रिया को कुछ लोग उनके आत्मविश्वास और स्वतंत्र राजनीतिक छवि का प्रतीक मान रहे हैं, जबकि अन्य इसे मुद्दे से भटकाने की कोशिश बता रहे हैं।

कानूनी कार्रवाई

मौलाना साजिद रशीदी के खिलाफ लखनऊ के विभूतिखंड थाने में सपा नेता प्रवेश यादव की शिकायत पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धाराओं 79, 196, 197, 299, 352, 353 और आईटी एक्ट की धारा 67 के तहत एफआईआर दर्ज की गई है। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है, और मौलाना की टिप्पणी का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद महिलाओं में खासा आक्रोश देखा गया है।

सियासी निहितार्थ

यह विवाद सपा के लिए मुश्किल का सबब बन गया है, क्योंकि बीजेपी ने इसे तुष्टिकरण की राजनीति से जोड़कर सपा को कठघरे में खड़ा किया है। बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी और उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स ने मस्जिद में सपा की बैठक को धार्मिक संवेदनाओं का अपमान बताया और मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी को इमाम पद से हटाने की मांग की। सपा ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह बीजेपी की सांप्रदायिक रणनीति का हिस्सा है।

आगे की स्थिति

यह मामला संसद के मॉनसून सत्र में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की बहस के बीच और गर्म हो सकता है। सपा के लिए यह एक नाजुक स्थिति है, क्योंकि मुस्लिम वोट बैंक और महिलाओं के सम्मान के मुद्दे के बीच संतुलन बनाना उनके लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है। डिंपल यादव की सादगी और मजबूत राजनीतिक छवि को इस विवाद से कितना नुकसान पहुंचता है, यह आने वाले दिनों में साफ होगा।

 

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