• January 1, 2026

घोसी ! वोटर, नेता, सत्ता, विपक्ष व प्रशासन के ईमानदारी की परीक्षा कल

किसी भी कार्य को सुचितापूर्वक सफल बनाने के लिए उसमें शामिल हर व्यक्ति का ईमानदारी पूर्वक अपने कर्तव्य को निभाने की ज़िम्मेदारी होती है। अगर सामूहिक कार्य में शामिल एक भी व्यक्ति, चाहे वह कोई हो, अपने कर्तव्य धर्म से विमुख हुआ उसकी ईमानदारी पर प्रश्न चिन्ह लगना तय है और भले ही उसे अपने अधिकार, कर्तव्य, धर्म, ईमानदारी, संस्कार से पथभ्रमित होने का बोध न हो, लेकिन उस व्यक्ति पर उँगली हर जनमानस के द्वारा उठना लाज़िमी है। इसलिए लोकतंत्र के महापर्व में अपने दायित्वों का निर्वहन ईमानदारी से करें।

05 सितंबर को शिक्षक दिवस के अवसर पर है मतदान…

05 सितंबर को शिक्षक दिवस है और इस पुनीत अवसर पर घोसी की जनता को अपने लिए एक अदद विधायक (जन प्रतिनिधि) चुनने का मौक़ा मिला है। लोकतंत्र के इस महापर्व में प्रदेश के सदन में घोसी का प्रतिनिधित्व करने के लिए कई दिग्गज चुनावी मैदान में हैं। ऐसे में मतदान की तारीख़ भी निर्वाचन आयोग द्वारा शिक्षक दिवस के पुनीत अवसर पर है।

सुधाकर सिंह व दारा सिंह चौहान में मुख्य मुक़ाबला, प्रचार प्रसार में हो चुका है ऐतिहासिक रस्सा कस्सी…

वैसे तो घोसी से विधायक बनने के लिए कई दिग्गज मैदान में हैं। मुख्य मुक़ाबला में भाजपा के दारा सिंह चौहान व समाजवादी पार्टी के सुधाकर सिंह ही शामिल है। दोनों उम्मीदवारों के बीच काँटे की टक्कर है। घोसी के राजनैतिक इतिहास में जनता के बीच प्रचार-प्रसार में हो चुका है ऐतिहासिक रस्सा-कस्सी। जहां सत्तारूढ़ भाजपा ने अपनी पूरी ताक़त झोंक दी, वहीं सपा भी बिन सत्ता के मज़बूती से लड़ाई लड़ रही है। कुछ अन्य उम्मीदवारों में राष्ट्रीय आम जनता पार्टी से राजकुमार चौहान, निर्दल रमेश पांडेय, पीस पार्टी के प्रत्याशी भी बड़े दल वालों का मिज़ाज थोड़ा थोड़ा गड़बड़ा रहे हैं।

बड़े नेता घोसी से बाहर, मऊ व घोसी के नेताओं की बदौलत अब शेष दिन…

कई दिनों से घोसी के गाँव-गाँव से लेकर शहर के चट्टी चौराहों के बीच बड़े नेताओं, जनप्रतिनिधियों का जमावड़ा लगा था। लेकिन रविवार को शाम 5 बजे से प्रचार-प्रसार बंद होते ही बड़े नेता चुनाव क्षेत्र घोसी को छोड़कर अपने-अपने ठिकाने को चले गए। अब जो भी ज़िम्मेदारी शेष है वह स्थानीय नेताओं की है।

सबके दावे मौन, जनता जाने कौन…

घोसी में सपा-भाजपा के बीच अपने अपने प्रत्याशी को लेकर नूरा कुश्ती का जो खेल जारी था अब वह पूरी तरीक़े से जनता के बीच में मौन है, क्योंकि बड़े नेता अब घोसी विधानसभा की सीमा क्षेत्र से बाहर जा चुके हैं। ऐसे में जन प्रतिनिधि कौन चुना जाएगा यह तो कोई नहीं जानता, लेकिन नेताओं के समर्थक वोटर के अलावा मूल वोटर मौन हैं!

वोटर, नेता, सत्ता, विपक्ष, प्रशासन व पत्रकार के ईमानदारी की परीक्षा 05 को…

घोसी की चुनावी महासमर में कौन विधायक होगा, जनता किसे अपने जन प्रतिनिधि के रूप में चुनना चाहती है, यह कल पाँच सितंबर को मतदान के अंतिम समय तक एक-एक वोट से तय होगा, और 08 सितंबर को मतगणना के दिन पता चलेगा।लोकतंत्र के इस महापर्व में केवल नेता का ईमानदार होना ही ज़रूरी नहीं है, इसमें हर एक व्यक्ति का, जो चुनाव सम्पन्न कराने में किसी न किसी रूप में शामिल है, उसका ईमानदार होना और अपने कर्तव्य के प्रति ज़िम्मेदार होना ज़रूरी है। इस महापर्व में नेता के अलावा वोटर, सत्ता, विपक्ष, प्रशासन व पत्रकार के ईमानदारी की भी परीक्षा है। वर्तमान में हम सभी निर्वाचन आयोग के नियमों से बँधे हैं तो हमें भी ईमानदार होना होगा। हम इस आहूति में जिस रुप और जिस पद से शामिल है, हमें अपना कर्तव्य ईमानदारी से निभाना होगा। केवल नेता से उम्मीद करना बेमानी है।

आख़िर किसके लिए क्यों फ़र्ज़ी वोट…

लोकतंत्र की हर महापर्व में चुनाव के समय हम देखते हैं कि युवा ही नहीं बुजुर्ग और महिलाएँ भी फ़र्ज़ी तरीक़े से वोट देने के लिए लाइन में लगे रहते हैं, वह सिर्फ़ उस नेता व पार्टी के एक समर्थक हो सकते हैं लेकिन सार्वजनिक जगहों पर दूसरे के लिए फ़र्ज़ी वोट देते समय जब पुलिस प्रशासन द्वारा उस फ़र्ज़ी वोटर का लाठी से पूजन किया जाता है, उससे उसे क्या मिलता है, जनप्रतिनिधि बनेंगे वे माननीय कहलाएँगे वे, सार्वजनिक जगहों पर बेइज्जत होंगे फ़र्ज़ी वोटर, थाने जाएँगे फ़र्ज़ी वोटर। इस काम से हर उस शख़्स को बचना चाहिए।

मतदान देने ज़रूर जाए, प्रत्याशी पसंद नहीं तो नोटा का बटन दबाएँ…

घोसी विधानसभा की जनता उपचुनाव में मतदान देने ज़रूर जाए, अगर प्रत्याशी पसंद नहीं है तो नोटा का बटन दबाएं, और लोकतंत्र के इस महापर्व में अपना अमूल्य वोट ज़रूर दें।

अफ़वाह से रहे दूर, प्रशासन की करें मदद…

मतदान से लेकर मतगणना तक अफ़वाह से दूर रहे, सोशल मीडिया पर भी कुछ भी शेयर करने से पहले उसकी गहनता से जाँच करें। कुछ भी कहीं भी आपको कोई व्यक्ति संदिग्ध नज़र आता है तो प्रशासन को ज़रूर बताएँ।

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