बलिया : पेड़-पौधों को मानते हैं पुत्र, राजा के बगीचे से खूब निकल रहे हैं आम

बागवानी को जीवन का आधार बना चुके जिले के निरूपुर निवासी राजा शंकर तिवारी के बगीचे से निकले फलों के राजा आम की इन दिनों धूम है। स्थानीय बाजारों में उनके आम की जबरदस्त मांग है।

निरूपुर के राजाशंकर तिवारी 2013 में आरपीएफ के असिस्टेंट कमांडेंट पद से रिटायर हुए। दो भाई हैं लेकिन दोनों भाइयों की कोई संतान नहीं है। लिहाजा दोनों भाइयों ने एक बच्चे को गोद लिया है जो अब 21 वर्ष का हो चुका है। हालांकि, राजा तिवारी पेड़-पौधों को भी अपने पुत्र जैसा ही मानते हैं।

शहर से करीब 12 किलोमीटर पर स्थित दोपही में पांच बीघे में लगा उनका आम का बगीचा कहीं-कहीं घना है। लेकिन बगीचे में से आम के कुछ पेड़ों को इसलिए नहीं निकालते हैं कि आखिर उनको काटेंगे कैसे। राजा तिवारी ने बताया कि पेड़ पर आरी चलाने में मुझे कष्ट महसूस होता है। राजा तिवारी अभी एक पखवाड़े पहले ही पांच बीघे में ही लीची के 232 पेड़ों के फल को बेच कर अच्छा मुनाफा कमा चुके हैं। अब आम के दो सौ पेड़ों पर लंगड़ा और कृष्णभोग प्रजाति के फल को तीन लाख रुपये में बेच दिए हैं।

राजा तिवारी के बगीचे की सिंचाई भी आधुनिक तरीके से होती है। आम के पेड़ों की सिंचाई के लिए स्प्रिंगकलर विधि का उपयोग करते हैं। इसके बाद पूरे बाग में जमीन के अंदर पाइप बिछाए गए हैं। रात में भी बगीचे में टहला जा सके, इसके लिए पाथवे बनाया गया है। जिसमें लाइटें लगाई गई हैं। बगीचे में ही बने गेस्टहाउस में पत्नी के साथ रहने वाले राजा तिवारी ने नींबू के दो सौ पौधों के अलावा अमरूद के भी 42 पेड़ लगाए हैं। राजा तिवारी अब इस तैयारी में हैं कि अगले साल से अपने बगीचे से निकले फलों को देश के बड़े बाजारों तक पहुंचाएंगे। उन्होंने कहा कि जिस तरह से धरती का तापमान बढ़ रहा है, बाग-बगीचे ही जीव-जंतुओं की रक्षा कर सकते हैं। इससे आमदनी भी होती है।

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