‘बंकिम दा’ कहने पर भड़कीं ममता: पीएम मोदी से मांगी माफी, राज्यसभा में भी गूंजा वंदे मातरम् के 150 साल का जश्न
नई दिल्ली: वंदे मातरम् के रचयिता बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय को लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ‘बंकिम दा’ कहे जाने पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तीखा हमला बोला है। मंगलवार को कूचबिहार की रैली में ममता ने कहा कि पीएम ने बंगाल के महान सपूत का अपमान किया है और उन्हें देश से माफी मांगनी चाहिए।ममता बनर्जी ने कहा,
“जब देश आजाद हुआ तब तो इनका (मोदी का) जन्म भी नहीं हुआ था, फिर भी बंगाल के सबसे बड़े सांस्कृतिक प्रतीक बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय को ‘बंकिम दा’ कह दिया।
“जब देश आजाद हुआ तब तो इनका (मोदी का) जन्म भी नहीं हुआ था, फिर भी बंगाल के सबसे बड़े सांस्कृतिक प्रतीक बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय को ‘बंकिम दा’ कह दिया।
उन्हें न्यूनतम सम्मान भी नहीं दिया गया। प्रधानमंत्री को इसके लिए देश से माफी मांगनी चाहिए।”लोकसभा में उठा था विवाद, पीएम ने तुरंत सुधार कियासोमवार को लोकसभा में ‘वंदे मातरम्’ के 150 वर्ष पूरे होने पर चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री ने बंकिम चंद्र को ‘बंकिम दा’ कहा था। इस पर तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ सांसद सौगत रॉय ने सदन में ही आपत्ति जताई और कहा कि बंगाल में उन्हें सम्मान से ‘बंकिम बाबू’ कहा जाता है।पीएम मोदी ने तुरंत सदन में जवाब दिया,
“ठीक है, मैं बंकिम बाबू कहूंगा। आपकी भावनाओं का सम्मान करता हूं।”
“ठीक है, मैं बंकिम बाबू कहूंगा। आपकी भावनाओं का सम्मान करता हूं।”
इसके बाद हल्के-फुलके अंदाज में उन्होंने पूछा, “अब क्या मैं सौगत रॉय को ‘दादा’ कह सकता हूं?”राज्यसभा में भी मनाया जा रहा 150वां वर्षमंगलवार को राज्यसभा में भी ‘वंदे मातरम्’ के 150 वर्ष पूरे होने पर विशेष चर्चा हो रही है। दोनों सदनों में इस ऐतिहासिक राष्ट्रीय गीत को याद किया जा रहा है।ममता का बीजेपी पर बड़ा आरोपरैली में ममता बनर्जी ने बीजेपी पर जोरदार हमला बोलते हुए कहा,
“अगर ये लोग (बीजेपी) बंगाल में सत्ता में आए तो हमारी भाषा, संस्कृति और विरासत को पूरी तरह नष्ट कर देंगे।”उन्होंने यह भी दावा किया कि मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision) के बाद जैसे ही अंतिम लिस्ट प्रकाशित होगी, तुरंत विधानसभा चुनाव की घोषणा कर दी जाएगी ताकि कोई इसे कोर्ट में चुनौती न दे सके।वंदे मातरम् का जश्न जहां पूरे देश में मनाया जा रहा है, वहीं ‘दा’ और ‘बाबू’ का यह नया विवाद बंगाल की सियासत में एक बार फिर गरमा गया है।