Lucknow News: केजीएमयू में अवैध कब्जा हटाने गई टीम पर हमला, कई डॉक्टर घायल; बुलाई गई कई थानों की पुलिस
लखनऊ, 26 अप्रैल 2025 लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सity (केजीएमयू) में शुक्रवार देर रात अवैध अतिक्रमण हटाने गई प्रशासनिक और मेडिकल टीम पर असामाजिक तत्वों ने हमला कर दिया। इस हिंसक घटना में वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. दुर्गेश द्विवेदी सहित कई डॉक्टर घायल हो गए। हमलावरों ने पत्थरबाजी की, जिससे एक डॉक्टर का सिर फट गया और अन्य को भी चोटें आईं। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कई थानों की पुलिस और प्रांतीय सशस्त्र कांस्टेबुलरी (पीएसी) को मौके पर बुलाया गया। इस घटना ने डॉक्टरों में भारी आक्रोश पैदा किया है, और उन्होंने हड़ताल की चेतावनी दी है। यह हादसा केजीएमयू परिसर में नेत्र रोग विभाग के पीछे मजार के पास हुआ, जहां अवैध दुकानें और कब्जे की शिकायतें लंबे समय से थीं।
घटना का विवरण: अतिक्रमण हटाने के दौरान बवाल
घटना शुक्रवार रात करीब 10:30 बजे की है, जब केजीएमयू प्रशासन ने नेत्र रोग विभाग के पीछे मजार के आसपास अवैध रूप से संचालित दवा, पान मसाला, और मेडिकल उपकरणों की दुकानों को हटाने की कार्रवाई शुरू की। ये दुकानें कथित तौर पर बिना अनुमति के सरकारी जमीन पर चल रही थीं। प्रशासन ने पिछले छह महीनों से इन अतिक्रमणकारियों को नोटिस जारी किए थे, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होने पर शुक्रवार को विशेष अभियान चलाया गया।
टीम में वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. दुर्गेश द्विवेदी, अन्य डॉक्टर, प्रशासनिक कर्मचारी, और पुलिसकर्मी शामिल थे। जैसे ही टीम ने अतिक्रमण हटाना शुरू किया, स्थानीय समुदाय के कुछ लोगों ने इसका विरोध शुरू कर दिया। विरोध जल्द ही हिंसक हो गया, और भीड़ ने पत्थरबाजी शुरू कर दी। पत्थरबाजी में डॉ. दुर्गेश द्विवेदी गंभीर रूप से घायल हो गए, और अन्य डॉक्टरों को भी चोटें आईं। कुछ कर्मचारियों और पुलिसकर्मियों को भी मामूली चोटें आईं।
पुलिस की कार्रवाई और स्थिति पर नियंत्रण
हादसे की सूचना मिलते ही चौक, हजरतगंज, कैसरबाग, और गाजीपुर सहित कई थानों की पुलिस मौके पर पहुंची। भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने हल्का बल प्रयोग किया और आंसू गैस के गोले छोड़े। प्रांतीय सशस्त्र कांस्टेबुलरी (पीएसी) की तैनाती भी की गई ताकि स्थिति को और बिगड़ने से रोका जा सके। लखनऊ के संयुक्त पुलिस आयुक्त (कानून और व्यवस्था) अमित वर्मा ने बताया कि स्थिति अब नियंत्रण में है, और हमलावरों की पहचान के लिए सीसीटीवी फुटेज और अन्य साक्ष्यों की जांच की जा रही है।
पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 307 (हत्या का प्रयास), 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना), और 147 (दंगा करने) के तहत अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। कुछ संदिग्धों को हिरासत में लिया गया है, और पूछताछ जारी है।

डॉक्टरों में आक्रोश: हड़ताल की चेतावनी
इस हमले ने केजीएमयू के डॉक्टरों और कर्मचारियों में भारी नाराजगी पैदा की है। रेजिडेंट्स डॉक्टर्स एसोसिएशन ने इस घटना की कड़े शब्दों में निंदा की और मांग की कि दोषियों को तत्काल गिरफ्तार किया जाए। एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. अनिल सिंह ने कहा, “डॉक्टर अपनी जान जोखिम में डालकर समाज की सेवा करते हैं। अगर हमें ही सुरक्षित नहीं रखा जाएगा, तो हम कैसे काम करेंगे? अगर 48 घंटे में दोषियों पर कार्रवाई नहीं हुई, तो हम हड़ताल पर जाएंगे।”
केजीएमयू के वाइस चांसलर प्रो. सोनिया नित्यानंद ने भी घटना पर दुख जताया और कहा कि यूनिवर्सिटी प्रशासन घायल डॉक्टरों के इलाज और उनकी सुरक्षा के लिए हरसंभव कदम उठा रहा है। उन्होंने सरकार से इस मामले में कठोर कार्रवाई की मांग की है।
अतिक्रमण का मुद्दा: लंबे समय से विवाद
केजीएमयू परिसर में नेत्र रोग विभाग के पीछे मजार के आसपास अवैध कब्जे का मुद्दा कई सालों से चर्चा में रहा है। स्थानीय लोगों ने इस क्षेत्र में दुकानें, मेडिकल स्टोर, और अन्य व्यावसायिक गतिविधियां शुरू कर दी थीं, जो कथित तौर पर बिना प्रशासनिक अनुमति के चल रही थीं। कुछ सोशल मीडिया पोस्ट्स में दावा किया गया कि इन दुकानों के अलावा एक अवैध मस्जिद भी बनाई गई थी, हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
केजीएमयू प्रशासन ने पिछले छह महीनों में कई बार नोटिस जारी किए थे, लेकिन स्थानीय समुदाय के विरोध और राजनीतिक दबाव के कारण कार्रवाई में देरी हो रही थी। शुक्रवार की कार्रवाई को प्रशासन ने सख्ती से लागू करने की कोशिश की, लेकिन इसका परिणाम हिंसक झड़प के रूप में सामने आया।
प्रत्यक्षदर्शियों और सोशल मीडिया का बयान
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, हमला सुनियोजित था। एक कर्मचारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “हम केवल नोटिस का पालन कर रहे थे। लेकिन भीड़ ने बिना कुछ सुने पत्थरबाजी शुरू कर दी। यह बहुत डरावना था।” सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कई यूजर्स ने इस घटना की निंदा की और इसे कानून-व्यवस्था की विफलता बताया। कुछ पोस्ट्स में दावा किया गया कि हमलावर एक विशेष समुदाय से थे, लेकिन पुलिस ने ऐसी किसी जानकारी की पुष्टि नहीं की और इसे अफवाह करार दिया।
राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रियाएं
इस घटना ने राजनीतिक हलकों में भी हलचल मचा दी है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले का संज्ञान लिया और ट्वीट कर कहा, “केजीएमयू में डॉक्टरों पर हमला अक्षम्य है। दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी। घायल डॉक्टरों के इलाज और उनकी सुरक्षा के लिए तत्काल निर्देश दिए गए हैं।”
विपक्षी दलों ने इस घटना को राज्य सरकार की कानून-व्यवस्था की विफलता से जोड़ा। समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने एक्स पर लिखा, “केजीएमयू जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में डॉक्टरों पर हमला शर्मनाक है। यह दिखाता है कि भाजपा सरकार में कोई सुरक्षित नहीं है।” कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने भी इसकी निंदा की और केंद्र व राज्य सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग की।
पहले भी हो चुके हैं अतिक्रमण हटाने पर हमले
लखनऊ में अतिक्रमण हटाने के दौरान हमले की यह पहली घटना नहीं है। दिसंबर 2024 में, इंदिरानगर के मुंशी पुलिया मेट्रो स्टेशन के पास नगर निगम की टीम पर भी हमला हुआ था, जिसमें कर्मचारियों को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा गया था। इसके अलावा, मार्च 2025 में एक ई-रिक्शा चालक को निशातगंज में अतिक्रमण हटाने के दौरान पुलिस द्वारा कथित तौर पर पीटा गया था, जिसके बाद स्थानीय लोगों ने सड़क जाम कर दी थी। ये घटनाएं अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया में स्थानीय समुदायों के साथ तनाव और प्रशासनिक चुनौतियों को दर्शाती हैं।
डॉक्टरों की सुरक्षा और भविष्य की चुनौतियां
यह घटना चिकित्सा पेशेवरों की सुरक्षा पर एक बार फिर सवाल उठाती है। भारत में डॉक्टरों पर हमले की घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं, और इसके लिए केंद्र सरकार ने 2019 में डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए विशेष कानून की घोषणा की थी। हालांकि, जमीनी स्तर पर इसका प्रभाव सीमित रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि अतिक्रमण हटाने जैसे संवेदनशील मामलों में प्रशासन को पहले से बेहतर योजना और सुरक्षा इंतजाम करने चाहिए।
आगे की कार्रवाई
पुलिस ने इस मामले में तेजी से कार्रवाई का वादा किया है। लखनऊ के पुलिस आयुक्त अमरेंद्र सिंह ने कहा, “हम इस मामले को गंभीरता से ले रहे हैं। सीसीटीवी फुटेज और प्रत्यक्षदर्शियों के बयानों के आधार पर दोषियों को जल्द गिरफ्तार किया जाएगा।” केजीएमयू प्रशासन ने भी एक उच्चस्तरीय समिति गठित की है जो इस घटना की जांच करेगी और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सुझाव देगी।
