लखनऊ: कोटा खर्च विवाद पर बैठक में हंगामा, महापौर के सामने भिड़े BJP पार्षद
लखनऊ, 15 अप्रैल 2025: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में नगर निगम की एक बैठक में उस समय हंगामा मच गया, जब पार्षद कोटे के खर्च को लेकर चल रहे विवाद पर चर्चा हो रही थी। मंगलवार को आयोजित इस बैठक में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के पार्षद आपस में ही भिड़ गए, जिससे महापौर सुषमा खरकवाल के सामने तीखी नोकझोंक देखने को मिली। यह विवाद पार्षद कोटे की राशि को 1.5 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 2.10 करोड़ रुपये करने के फैसले को लेकर शुरू हुआ, जिसका कुछ BJP पार्षद विरोध कर रहे हैं।
विवाद की जड़: कोटा खर्च में बदलाव
लखनऊ नगर निगम ने हाल ही में पार्षद कोटे की राशि को बढ़ाने का फैसला किया था। इस कोटे के तहत पार्षद अपने वार्ड में विकास कार्यों के लिए धनराशि का उपयोग करते हैं। सूत्रों के अनुसार, नया कोटा 1.5 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 2.10 करोड़ रुपये कर दिया गया है। इस बदलाव से कुछ पार्षद खुश हैं, क्योंकि इससे उनके पास अधिक संसाधन होंगे, लेकिन कई BJP पार्षदों ने इस फैसले का विरोध किया है। उनका कहना है कि कोटे का आवंटन और उपयोग पारदर्शी नहीं है, और इससे अनियमितताएं बढ़ सकती हैं।
सोमवार को BJP पार्षद दल की एक बैठक में इस मुद्दे पर तीखी बहस हुई थी। कुछ पार्षदों ने आरोप लगाया कि कोटा बढ़ाने का फैसला बिना उनकी सहमति के लिया गया। इस बहस का असर मंगलवार को नगर निगम सदन की बैठक में भी दिखा, जहां स्थिति और बिगड़ गई।
बैठक में क्या हुआ?
मंगलवार की बैठक में महापौर सुषमा खरकवाल ने कोटा खर्च के विवाद को सुलझाने की कोशिश की, लेकिन BJP पार्षदों के बीच आपसी मतभेद खुलकर सामने आ गए। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, कुछ पार्षदों ने कोटा बढ़ाने के फैसले को “मनमाना” करार दिया और इसकी प्रक्रिया पर सवाल उठाए। इस दौरान एक पार्षद ने कथित तौर पर अपने सहयोगी पर व्यक्तिगत टिप्पणी की, जिसके बाद दोनों पक्षों के बीच तीखी नोकझोंक शुरू हो गई।
महापौर ने बीच-बचाव की कोशिश की, लेकिन स्थिति कुछ देर के लिए अनियंत्रित हो गई। एक पार्षद ने कहा, “यह कोटा हमारे वार्ड के लिए है, लेकिन इसका उपयोग कुछ लोग अपने हिसाब से करना चाहते हैं। हम पारदर्शिता चाहते हैं।” जवाब में दूसरे पक्ष ने इसे “पार्टी के खिलाफ बगावत” करार दिया।

सोशल मीडिया पर चर्चा
सोशल मीडिया पर इस घटना की खबर तेजी से फैली। कुछ यूजर्स ने इसे BJP की आंतरिक कलह का नमूना बताया, तो कुछ ने महापौर की भूमिका पर सवाल उठाए। एक यूजर ने लिखा, “अगर अपनी ही पार्टी के लोग एक-दूसरे से भिड़ रहे हैं, तो जनता का भला कैसे होगा?” वहीं, कुछ ने कोटा बढ़ाने के फैसले का समर्थन करते हुए कहा कि इससे वार्डों में विकास कार्यों को गति मिलेगी।
महापौर और प्रशासन का रुख
महापौर सुषमा खरकवाल ने हंगामे के बाद कहा कि सभी पार्षदों की बात सुनी जाएगी और कोटा खर्च को लेकर पारदर्शी व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी। उन्होंने जोर देकर कहा, “नगर निगम का उद्देश्य शहर का विकास करना है, न कि विवाद पैदा करना। हम इस मुद्दे को सुलझा लेंगे।” हालांकि, उन्होंने BJP पार्षदों के बीच हुए टकराव पर सीधे कोई टिप्पणी नहीं की।
नगर निगम के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कोटा बढ़ाने का फैसला वित्तीय समीक्षा और वार्डों की जरूरतों को देखते हुए लिया गया था। उन्होंने कहा, “यह राशि विकास कार्यों, जैसे सड़क, नालियां और स्ट्रीट लाइट्स के लिए है। हम इसे और पारदर्शी बनाने पर काम कर रहे हैं।”
विपक्ष की प्रतिक्रिया
विपक्षी दलों, खासकर समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस ने इस घटना को BJP की आंतरिक अराजकता का सबूत बताया। सपा के एक स्थानीय नेता ने कहा, “जब सत्ताधारी पार्टी के लोग ही आपस में लड़ रहे हैं, तो लखनऊ की जनता उनसे क्या उम्मीद करे?” कांग्रेस ने भी इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि नगर निगम में विकास कार्य ठप पड़े हैं और यह हंगामा उसी का नतीजा है।
संदर्भ और महत्व
यह विवाद ऐसे समय में सामने आया है, जब लखनऊ नगर निगम पहले से ही कई मुद्दों, जैसे कचरा प्रबंधन और सड़क मरम्मत, को लेकर आलोचना का सामना कर रहा है। कोटा खर्च का मामला इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह सीधे तौर पर वार्डों में होने वाले छोटे-बड़े विकास कार्यों से जुड़ा है। अगर इस विवाद को जल्द नहीं सुलझाया गया, तो इसका असर नगर निगम की कार्यप्रणाली और BJP की छवि पर पड़ सकता है।
आगे क्या?
सूत्रों के अनुसार, BJP पार्षद दल की अगली बैठक में इस मुद्दे को फिर से उठाया जाएगा, जिसमें वरिष्ठ नेताओं की मध्यस्थता की उम्मीद है। कुछ पार्षदों ने मांग की है कि कोटा खर्च की निगरानी के लिए एक समिति बनाई जाए, जो यह सुनिश्चित करे कि राशि का उपयोग सही तरीके से हो। दूसरी ओर, नगर निगम प्रशासन ने कहा है कि वह सभी पक्षों से बातचीत कर एक सर्वसम्मत समाधान निकालेगा।
