लोहरदगा में फूलों की खेती से महक रही किसानों के जीवन की बगिया

जिले का चिरी इलाका पहले रोड रॉबरी के लिए जाना जाता था लेकिन समय और राज्य सरकार के प्रयास ने इस क्षेत्र में रहने वाले लोगों की सोच बदल कर रख दी। अब इस इलाके में ग्रामीण गेंदा फूल के साथ अन्य फूलों की खेती कर रहे हैं।
बीते वर्ष किसान बसंत उरांव ने बड़काटोली, चिरी में इस योजना का लाभ लिया और 04 एकड़ की भूमि पर गेंदा फूल की खेती से अच्छी आमदनी हुई। बसंत ने इस वर्ष जरबेरा की खेती की है और अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। 15-20 दिन बाद फिर से गेंदा की खेती करेंगे और उसकी तैयारी उन्होंने शुरू कर दी है। बसन्त अपने खेत में अन्य किसानों को भी रोजगार दे रहे हैं। पर्व-त्योहारों पर इन फूलों की मांग बहुत बढ़ गई है।
जिला उद्यान विभाग की ओर से इन्हें खुले वातावरण में फूलों की खेती योजना अंतर्गत फूलों का पौधा उपलब्ध कराया गया। ग्रामीणों को फूलों की खेती से कई गुणा ज्यादा आर्थिक लाभ मिल रहा है। इन ग्रामीणों का कहना है कि अपनी जरूरतों और आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए मजबूरन पलायन करना पड़ा था। कोरोना काल में लॉकडाउन ने इन्हें फिर से बेरोजगार बना दिया था। इस स्थिति में जब ये अपने गांव चिरी लौटे तो यहां उद्यान विभाग की ओर से दिए जा रहे सहयोग ने इनकी सोच बदल दी। अब ये सालों भर फूलों की खेती कर अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर रहे हैं।
रांची और आसपास के इलाकों से लोग इनके पास बड़ी संख्या में प्रतिदिन गेंदा फूल खरीदने पहुंचते हैं। नक्सल के दम तोड़ते ही युवाओं की सोच को नई दिशा लोहरदगा में मिल रही है। बहरहाल, लोहरदगा की माटी से निकलने वाला बॉक्साइट कभी यहां की पहचान हुआ करती थी लेकिन समय के साथ यहां के ग्रामीणों ने इसकी पहचान को बदल कर रख दिया है। बसंत को बिरसा कृषि विश्वविद्यालय की ओर से भी सम्मानित किया जा चुका है।
