• December 27, 2025

केजीएमयू धर्मांतरण मामला: आरोपी डॉक्टर निलंबित, मददगारों की पहचान के लिए 5 सदस्यीय कमेटी गठित

लखनऊ: किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) में महिला रेजिडेंट डॉक्टर के धर्मांतरण के प्रयास और प्रताड़ना के मामले में प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई की है। आंतरिक जांच समिति (विशाखा समिति) की रिपोर्ट के आधार पर आरोपी पुरुष रेजिडेंट डॉक्टर को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। वहीं, मामले की गंभीरता को देखते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन ने आरोपी की मदद करने वाले अन्य संदिग्धों की पहचान के लिए एक उच्च स्तरीय पांच सदस्यीय समिति का गठन किया है। इस पूरे प्रकरण की विस्तृत रिपोर्ट राज्य महिला आयोग को भी भेज दी गई है, जिसने इस मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए केजीएमयू से जवाब तलब किया था।

विशाखा समिति की रिपोर्ट के बाद निलंबन की कार्रवाई

यह मामला तब प्रकाश में आया जब पैथोलॉजी विभाग की एक महिला रेजिडेंट डॉक्टर के पिता ने मुख्यमंत्री पोर्टल और राज्य महिला आयोग में शिकायत दर्ज कराई। शिकायत में आरोप लगाया गया कि उसी विभाग के एक पुरुष रेजिडेंट डॉक्टर, रमीज मलिक, उनकी बेटी पर धर्म परिवर्तन के लिए दबाव बना रहा था और उसे मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहा था। प्रताड़ना से तंग आकर महिला डॉक्टर ने बीते 17 दिसंबर को नशीली गोलियां खाकर आत्महत्या करने का प्रयास किया था। केजीएमयू प्रशासन ने इस गंभीर मामले को आंतरिक विशाखा समिति के सुपुर्द किया था। समिति ने अपनी प्रारंभिक जांच में आरोपों को प्रथम दृष्टया सही पाया, जिसके बाद आरोपी डॉक्टर को निलंबित कर दिया गया।

मददगारों की तलाश में जुटी पांच सदस्यीय विशेष समिति

केजीएमयू परिसर में पिछले दिनों नेशनल मेडिकोज ऑर्गनाइजेशन (NMO) के नेतृत्व में छात्रों और डॉक्टरों ने जोरदार प्रदर्शन किया था। प्रदर्शनकारियों का आरोप था कि आरोपी डॉक्टर अकेले इस कृत्य में शामिल नहीं है, बल्कि परिसर के भीतर कुछ प्रभावशाली लोग उसे बचाने और साक्ष्य मिटाने में मदद कर रहे हैं। इन आरोपों के बाद कुलपति के निर्देश पर एक नई जांच समिति बनाई गई है।

पैरामेडिकल संकाय के डीन प्रोफेसर के.के. सिंह की अध्यक्षता में गठित इस समिति में चिकित्सा अधीक्षक प्रोफेसर सुरेश कुमार, प्रॉक्टर प्रोफेसर आर.ए.एस. कुशवाहा, प्रोफेसर हैदर अब्बास और प्रोफेसर सुमित रुंगटा जैसे वरिष्ठ डॉक्टरों को शामिल किया गया है। यह समिति इस बात की जांच करेगी कि क्या संस्थान के भीतर कोई ऐसा नेटवर्क सक्रिय है जो इस तरह की गतिविधियों को बढ़ावा दे रहा है या आरोपी को संरक्षण प्रदान कर रहा है।

पुलिस जांच: परिजनों से पूछताछ और डिजिटल साक्ष्यों का इंतजार

इधर, चौक कोतवाली पुलिस भी इस मामले में कानूनी कार्रवाई तेज कर दी है। शुक्रवार को पुलिस ने आरोपी डॉ. रमीज मलिक के माता-पिता को थाने बुलाकर करीब चार घंटे तक सघन पूछताछ की। हालांकि, पूछताछ के दौरान परिजनों ने डॉ. रमीज और महिला डॉक्टर के बीच किसी भी तरह की दोस्ती या विवाद की जानकारी होने से साफ इनकार कर दिया। इंस्पेक्टर नागेश उपाध्याय के मुताबिक, अदालती अवकाश के कारण अभी तक पीड़िता के बयान दर्ज नहीं हो सके हैं, जो इस मामले में सबसे अहम कड़ी हैं। पुलिस को अब आरोपी के मोबाइल की फॉरेंसिक रिपोर्ट और डिलीट किए गए व्हाट्सएप डेटा का इंतजार है, जिससे धर्मांतरण के दबाव और प्रताड़ना के पुख्ता सबूत मिलने की उम्मीद है।

पीड़िता की सुरक्षा के कड़े इंतजाम, हॉस्टल आवंटित

महिला डॉक्टर की मानसिक स्थिति और सुरक्षा को देखते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन ने उसे केजीएमयू परिसर के भीतर ही हॉस्टल आवंटित कर दिया है। इससे पहले वह परिसर के बाहर एक निजी किराए के कमरे में रहती थी, जहां उसे असुरक्षित महसूस हो रहा था। सुरक्षा के मद्देनजर प्रशासन ने महिला सुरक्षा गार्डों की तैनाती की है, जो 24 घंटे पीड़िता के साथ रहेंगी। इसके अलावा, हॉस्टल और संबंधित विभाग के आसपास सीसीटीवी कैमरों की संख्या बढ़ा दी गई है ताकि किसी भी बाहरी हस्तक्षेप को रोका जा सके। केजीएमयू प्रशासन का कहना है कि वे पीड़िता को हर संभव शैक्षणिक और मानसिक सहयोग प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

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