कारगिल युद्ध में भारतीय सेना के अदम्य साहस का विश्व भी कायल: राज्यपाल

राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह ने कारगिल युद्ध में अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस मौके पर उन्होंने कहा कि इन वीर जवानों के त्याग एवं बलिदान के कारण ही राष्ट्र की सीमाएं सुरक्षित हैं। आज का दिन उन्हें याद करने का है।
कारगिल दिवस पर शौर्य स्थल, चीडबाग में राज्यपाल ने पुष्पांजलि अर्पित करते हुए कहा कि आज से 24 साल पहले कारगिल युद्ध में विजय हासिल करना अपने आप में बड़ी बात थी। कार्यक्रम में उत्तराखंडी की ओर से वीर जवानों की श्रद्धांजलि दी गई है। उंचे पर्वत पर भारत की सेना ने अपने अदम्य साहस से इस युद्ध में विजय प्राप्त कर दुश्मनों को सबक सिखाया, जिसका पूरा विश्व कायल है। कारगिल युद्ध को कभी भुलाना नहीं चाहिए। उन्होंने कहा कि 547 शहीदों का याद करने का दिन है और चार परमवीर चक्र और ग्यारह महावीर चक्र की कहानी को हम सब को पता होनी चाहिए। इस युद्ध में राज्य से 75 प्राणों को आहूति दी और 39 को अवार्ड मिला था।
राज्यपाल ने कहा कि घायलों और शहीदों के परिवार की सेवा कैसे करें। उनके मिलकर मदद के लिए आगे आना चाहिए। इस प्रकार के योद्धा हम सभी जीवन जीने के लिए उदाहरण है। राष्ट्र और समाज की रक्षा के लिए अपने प्राणों को न्यौछावर किया। इस विजय अभियान में भारतीय सेना के कई शूरवीरों ने देश के लिए अपना बलिदान दिया जिसमें देवभूमि उत्तराखण्ड के कई वीर सैनिक भी शामिल थे। भारत की सेना ने अपने शौर्य और पराक्रम से हमेशा देश का गौरव बढ़ाया है। जिस पर हम सभी को गर्व है। हमें उन्हें दिन—रात याद यानी हर वक्ता याद करना होगा।
कार्यक्रम में उत्तराखण्ड सब एरिया के जीओसी मेजर जनरल संजीव खत्री, डिप्टी जीओसी ब्रिगेडियर अनिरबान दत्ता सहित उत्तराखण्ड सब एरिया के अधिकारीगण, पूर्व सैनिक और वीर नारियां उपस्थित रहीं।
