कानपुर: अपर आयुक्त राज्य कर शशांक शेखर पद से हटाए गए, टैक्स चोरी की शिकायतों पर सख्त कार्रवाई
कानपुर, 27 अप्रैल 2025: उत्तर प्रदेश के कानपुर में अपर आयुक्त राज्य कर शशांक शेखर को उनके पद से हटा दिया गया है। यह कार्रवाई टैक्स चोरी की बढ़ती शिकायतों के बाद की गई है। प्रमुख सचिव राज्य कर, आईएएस एम. देवराज ने यह सख्त कदम उठाया है, जिसके बाद शशांक शेखर की जगह आईएएस सैमुअल पॉल एन को कानपुर में जीएसटी अपर आयुक्त का अतिरिक्त चार्ज सौंपा गया है। सैमुअल पॉल एन वर्तमान में एमडी केस्को के पद पर भी कार्यरत हैं।
टैक्स चोरी की शिकायतों का पृष्ठभूमि
हाल के महीनों में कानपुर में टैक्स चोरी के मामले तेजी से सामने आए हैं। खास तौर पर पान मसाला और इस्पात उद्योग से जुड़े कारोबारियों पर आयकर विभाग और जीएसटी अधिकारियों ने कई छापेमारी की हैं। फरवरी 2025 में, आयकर विभाग ने कानपुर और कन्नौज में 35 ठिकानों पर छापेमारी कर पान मसाला कारोबारी ग्रुप एसएनके के खिलाफ 500 करोड़ रुपये की टैक्स चोरी का खुलासा किया था। इस छापेमारी में लेन-देन के कागजात फाड़ने और जीएसटी चोरी के सबूत भी मिले थे। इसी तरह, दिसंबर 2024 में रिमझिम इस्पात कंपनी के ठिकानों पर आयकर छापों में 350 करोड़ रुपये की टैक्स चोरी पकड़ी गई थी।
इन घटनाओं ने कानपुर में टैक्स प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए थे। स्थानीय कारोबारियों और आम लोगों की शिकायतें थीं कि टैक्स चोरी को रोकने में प्रशासन नाकाम रहा है। इन शिकायतों के बाद प्रमुख सचिव राज्य कर एम. देवराज ने शशांक शेखर को हटाने का फैसला लिया। इस कार्रवाई को टैक्स चोरी के खिलाफ सख्त रुख के तौर पर देखा जा रहा है।

शशांक शेखर का हटना और नई नियुक्ति
शशांक शेखर को हटाने की खबर ने प्रशासनिक हलकों में हलचल मचा दी है। उनकी जगह सैमुअल पॉल एन को अतिरिक्त चार्ज दिया गया है। सैमुअल पॉल एन पहले से ही एमडी केस्को के रूप में कार्यरत हैं और अब उन्हें जीएसटी अपर आयुक्त की जिम्मेदारी भी संभालनी होगी। यह नियुक्ति इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि कानपुर में टैक्स चोरी के मामलों को देखते हुए प्रशासन पर दबाव है कि वह सख्ती से कार्रवाई करे और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोके।
कानपुर में टैक्स चोरी का इतिहास
कानपुर लंबे समय से टैक्स चोरी और काले धन के कारोबार का गढ़ रहा है। पान मसाला, इस्पात, और इत्र जैसे उद्योगों में बड़े पैमाने पर टैक्स चोरी की शिकायतें रही हैं। आयकर विभाग और जीएसटी अधिकारियों ने बार-बार छापेमारी कर इन गतिविधियों को उजागर किया है, लेकिन स्थानीय प्रशासन की निष्क्रियता पर सवाल उठते रहे हैं। कुछ आलोचकों का मानना है कि स्थानीय अधिकारियों और कारोबारियों के बीच साठगांठ के कारण टैक्स चोरी के मामले बढ़े हैं। शशांक शेखर का हटना इस दिशा में एक कदम हो सकता है, लेकिन यह देखना बाकी है कि क्या यह कार्रवाई वास्तव में टैक्स चोरी को रोकने में प्रभावी होगी।
व्यापक संदर्भ में स्थिति
यह कार्रवाई ऐसे समय में हुई है जब उत्तर प्रदेश में प्रशासनिक तबादलों और सख्त कार्रवाइयों का दौर चल रहा है। जनवरी 2025 में योगी सरकार ने एक दर्जन से अधिक आईएएस अधिकारियों के तबादले किए थे, जिसमें कानपुर, आजमगढ़, और चित्रकूट जैसे क्षेत्रों के कमिश्नर भी शामिल थे। इसके अलावा, प्रयागराज में आज ही शिक्षा निदेशालय में लगी आग ने प्रशासनिक लापरवाही को उजागर किया है, जहां हजारों महत्वपूर्ण फाइलें जलकर राख हो गईं। इन घटनाओं ने राज्य में प्रशासनिक सुधारों की जरूरत को और स्पष्ट कर दिया है।
