गुजरात के स्कूलों में विद्यार्थियों की ड्रॉपआउट दर घट कर 2.8 फीसदी पहुंची

 गुजरात के स्कूलों में विद्यार्थियों की ड्रॉपआउट दर घट कर 2.8 फीसदी पहुंची

श्रेष्ठ एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा एक बेहतर नागरिक का निर्माण करती है और एक शिक्षित नागरिक अपने व्यक्तिगत विकास के साथ-साथ अपने राज्य और देश के विकास का आधार बनता है। राज्य के अंतिम व्यक्ति तक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पहुंचाने के लिए गुजरात सरकार लगातार प्रयासरत रही है।

राज्य में स्कूली शिक्षा का दायरा बढ़ाने और सभी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मुहैया कराने के लिए शाला प्रवेशोत्सव, गुणोत्सव, कन्या केलवणी रथयात्रा, मध्याह्न भोजन योजना और विद्यालक्ष्मी बॉन्ड जैसी योजनाओं का प्रभावी कार्यान्वयन हो रहा है। नतीजतन, आज गुजरात के स्कूलों में कक्षा 1 से 8 में पढ़ाई छोड़ने वाले बच्चों की ड्रॉपआउट दर गिर कर केवल 2.8 फीसदी रह गई है।

उल्लेखनीय है कि लोगों, समुदाय और समाज में साक्षरता का महत्व उजागर करने के उद्देश्य से प्रति वर्ष 8 सितंबर को ‘अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस’ मनाया जाता है। इस वर्ष दुनिया में अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस ‘परिवर्तनशील दुनिया के लिए साक्षरता को बढ़ावा देनाः टिकाऊ और शांतिपूर्ण समाजों की नींव का निर्माण करना’ की थीम के साथ मनाया जा रहा है।

इस वर्ष कक्षा 8 से 9 की ड्रॉपआउट दर घटकर 5.5 फीसदी पर

उल्लेखनीय है कि कक्षा 8 से 9 में ड्रॉपआउट दर को कम करने के लिए राज्य सरकार की ओर से गहन प्रयास किए गए थे, जिसके परिणामस्वरूप मौजूदा वर्ष में कक्षा 8 से 9 की ड्रॉपआउट दर घटकर 5.5 रह गई है। राज्य के चाइल्ड ट्रैकिंग सिस्टम के डेटा के आधार पर कक्षा 8 से 9 में प्रवेश के पात्र विद्यार्थियों में से वर्ष 2021-22 में 1.46 लाख विद्यार्थी और 2022-23 में 1.11 लाख विद्यार्थियों ने पढ़ाई बीच में छोड़ दी थी। इसकी तुलना में चालू वर्ष में कक्षा 9 में प्रवेश के पात्र 10.21 लाख विद्यार्थियों में से केवल 56,000 यानी 5.5 फीसदी विद्यार्थी ही फिलहाल ड्रॉपआउट हैं, जिन्हें विभिन्न विकल्प प्रदान कर पढ़ाई चालू रखने के लिए प्रोत्साहित करने का काम जारी है।

शिक्षा विभाग और शिक्षकों के सामूहिक प्रयासों से 1 लाख से अधिक विद्यार्थियों का कक्षा 9 में प्रवेश सुनिश्चित किया गया है। सरकार और शिक्षा विभाग का उद्देश्य केवल कक्षा 9 में दाखिला देकर ड्रॉपआउट को कम करना नहीं है, बल्कि गुजरात सरकार इस बात को लेकर दीर्घकालिक योजना पर काम कर रही है कि विद्यार्थियों को पढ़ाई के बेहतर अवसर उपलब्ध हों और आगे चलकर इन सभी विद्यार्थियों को भविष्योन्मुखी शिक्षा मिले।

स्कूलों में बच्चों की नामांकन दर 100 फीसदी।

गुजरात में शिक्षा का, विशेषकर प्राथमिक शिक्षा का जो दायरा बढ़ा है, उसमें राज्य सरकार के ‘शाला प्रवेशोत्सव’ कार्यक्रम ने सबसे बड़ी भूमिका निभाई है। राज्य के प्रत्येक बच्चे को स्कूली शिक्षा का लाभ मिले और कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे, इस उद्देश्य से गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री और मौजूदा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2003 में शाला प्रवेशोत्सव कार्यक्रम की शुरुआत की थी। वर्ष 2023 में मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में आयोजित 20वें शाला प्रवेशोत्सव कार्यक्रम के जरिए राज्य के 9.77 लाख बच्चों ने आंगनबाड़ी में और 2.30 लाख बच्चों ने कक्षा 1 में दाखिला लिया है, जो इस कार्यक्रम की शानदार सफलता का परिचायक है। आज शाला प्रवेशोत्सव कार्यक्रम के कारण राज्य के स्कूलों में बच्चों की नामांकन दर 100 फीसदी पर पहुंच गई है।

गुजरात में कार्यरत है विश्वस्तरीय ‘विद्या समीक्षा केंद्र’

गुजरात में शिक्षा क्षेत्र में देश का पहला विश्वस्तरीय ‘विद्या समीक्षा केंद्र’ कार्यरत है, जो भारत का प्रथम रियल-टाइम, ऑनलाइन, सर्वग्राही स्कूल शिक्षा डैशबोर्ड है। विद्या समीक्षा केंद्र में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) यानी कृत्रिम बुद्धिमत्ता, बिग डेटा और मशीन लर्निंग (एमएल) का व्यापक उपयोग किया जा रहा है। विद्या समीक्षा केंद्र में लगभग 1500 करोड़ के विशाल डेटा सेट्स का एआई और एमएल के उपयोग से विश्लेषण किया जाता है। विद्या समीक्षा केंद्र सभी विषयों में कक्षा 3 से 12 तक के विद्यार्थियों के लिए लर्निंग आउटकम्स यानी सीखने के परिणामों के आधार पर उपलब्धियों का विभिन्न राज्य वार विश्लेषण प्रदान करता है। कक्षा 3 से 12 तक के प्रत्येक विद्यार्थी को सभी विषयों के लिए लर्निंग आउटकम आधारित रिपोर्ट कार्ड प्रदान करने वाला गुजरात देश का पहला राज्य है। विद्या समीक्षा केंद्र के जरिए अब तक लगभग 17 करोड़ रिपोर्ट कार्ड जनरेट किए गए हैं।

विश्व बैंक के अध्यक्ष ने भी सराहा।

विश्व बैंक के अध्यक्ष अजय बंगा ने भी गुजरात के विद्या समीक्षा केंद्र का दौरा किया था। उन्होंने कहा था, “गुजरात के गांधीनगर में स्थित विद्या समीक्षा केंद्र को देश के अन्य हिस्सों में ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में एक लीडरशिप मॉडल के रूप में विकसित करने की जरूरत है।”

‘मिशन स्कूल ऑफ एक्सीलेंस’

बेहतरीन और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के माध्यम से बच्चों का सर्वांगीण विकास सुनिश्चित करने के उद्देश्य से राज्य में 10,000 करोड़ रुपए की लागत से ‘मिशन स्कूल ऑफ एक्सीलेंस’ प्रोजेक्ट शुरू किया गया है। इस प्रोजेक्ट के तहत सरकारी और अनुदानित स्कूलों को प्रतिस्पर्धी और ढांचागत रूप से श्रेष्ठ बनाया जाएगा तथा बच्चों के लिए स्मार्ट क्लासरूम और स्टेम लैब जैसी अत्याधुनिक भौतिक सुविधाएं विकसित की जाएंगी। विश्व बैंक ने इस प्रोजेक्ट के लिए फंड मंजूर कर दिया है। देश भर में स्कूली शिक्षा को गुणवत्तापूर्ण बनाने का यह अपनी तरह का पहला प्रोजेक्ट है। राज्य के अनुमानित 1 करोड़ से अधिक विद्यार्थियों को इस प्रोजेक्ट का सीधा लाभ मिलेगा। एक साक्षर समाज ही सशक्त राज्य एवं देश का निर्माण करने में सक्षम होता है, तब गुजरात सरकार शिक्षा क्षेत्र में गहन प्रयासों के जरिए यह सुनिश्चित कर रही है कि राज्य का अंतिम व्यक्ति भी साक्षर बने और राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान प्रदान करे।

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