• November 22, 2024

आईआईटी मंडी ने तैयार किए पुलों की संरचनात्मक ढांचे का मूल्यांकन करने के लिए रियल टाइम एआई आधारित एल्गोरिदम

 आईआईटी मंडी ने तैयार किए पुलों की संरचनात्मक ढांचे का मूल्यांकन करने के लिए रियल टाइम एआई आधारित एल्गोरिदम

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी ने पुलों और अन्य संरचनाओं की संरचनात्मक स्थिति का सटीक पूर्वानुमान लगाने के लिए उन्नत कृत्रिम बुद्धिमत्ता और सिग्नल प्रोसेसिंग तकनीक बनाने के लिए फ्रांस में आईएनआरआईए के साथ साझेदारी की है। इन अध्ययनों के निष्कर्ष को हाल ही में मैकेनिकल सिस्ट स एंड सिग्नल प्रोसेसिंग और न्यूरल कंप्यूटिंग एंड एप्लीकेशन पत्रिकाओं में प्रकाशित किया गया है।

इस शोध को स्कूल ऑफ सिविल एंड एनवायर्नमेंटल इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सुभमोय सेन और उनके शोधार्थी डॉ. स्मृति शर्मा, ईश्वर कुंचम और आईआईटी मंडी की नेहा असवाल के साथ-साथ फ्रांस के आईएनआरआईए रेनेस के डॉ. लॉरेंट मेवेल के सहयोग से तैयार किया गया है। पुल भारत के बुनियादी ढांचे में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और देश भर में इनकी सं या लगभग 13,500 है। यह संरचनाएँ तापमान में परिवर्तन, और पानी और हवा जैसे पर्यावरणीय कारकों के कारण प्राकृतिक रूप से पुरानी हो जाती हैं जिसको भारी सड़क यातायात ने और बढ़ा दिया है।

परंपरागत रूप से पुल की स्थिति का आकलन दृश्य निरीक्षण के माध्यम से किया जाता रहा है जबकि विशेषज्ञों द्वारा इस पद्धति को अपर्याप्त माना गया है। यह सभी संरचनात्मक मुद्दों का पता लगाने में असफल रहता है और यह अधिक समय लेने वाली प्रक्रिया है, जिसमें कई तस्वीरों का मैन्युअल विश्लेषण किया जाता है।

इंस्ट्ररूमेंटेशन, डेटा विश्लेषण और डीप लर्निंग डीएल जैसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता एआई की हालिया प्रगति ने पुलों और अन्य संरचनाओं के संरचनात्मक स्थिति की निगरानी एसएचएम के लिए बड़ी संभावनाएं खोल दी हैं। यह प्रौद्योगिकियां समय के साथ दोषों की पहचान करना, मापना, समझना और यहां तक कि इससे संबंध में भविष्यवाणी करना आसान बनाती हैं। इसके अतिरिक्त यह नवीनीकरण या मर मत कार्य के लिए अधिक प्रभावी योजना बनाने में लोगों को सक्षम बनाता है साथ ही इससे रखरखाव लागत भी कम होती है और पुलों के जीवनकाल और उपलब्धता को भी बढ़ाती है।

आईआईटी मंडी की शोध टीम ने डीप लर्निंग डीएल-आधारित एसएचएम दृष्टिकोण विकसित किया है। उनके एआई एल्गोरिदम मानव हस्तक्षेप के बिना रिकॉर्ड की गई पर्यावरणीय गतिविधियों का विश्लेषण करके संरचनात्मक क्षति की पहचान कर सकते हैं।

आईआईटी मंडी के डॉ. सुभमोय सेन ने कहा कि हमने एक पुल की स्थिति का अनुमान लगाने और उसके शेष उपयोगी जीवन की भविष्यवाणी करने के लिए मशीन लर्निंग, एआई और बायेसियन सां ियकीय अनुमान जैसे डेटा-संचालित तरीकों को तैयार किया है। इसके परिणामों में परिचालन और प्रतिकूल लोडिंग स्थितियों के तहत बुनियादी ढांचे के जोखिम को कम करने की क्षमता है।

आईआईटी मंडी के शोधकर्ताओं ने क्षति का पता लगाने में एल्गोरिदम की क्षमताओं का आकलन करने के लिए इसका परीक्षण एक क्षतिग्रस्त पुल पर किया। इसके बाद उन्होंने क्षति के स्थान को इंगित करने में एल्गोरिदम की सटीकता का मूल्यांकन करने के लिए जानबूझकर कंप्यूटर मॉडल में क्षति को इंगित किया। तत्पश्चात इस परीक्षण के माध्यम से संरचनात्मक क्षति की पहचान करने में एल्गोरिदम की प्रभावशीलता की पुष्टि हुई।

इस बारे में आईआईटी मंडी के शोधकर्ताओं का कहना है कि इन एआई-आधारित एल्गोरिदम का प्रयोग व्यापक रूप से किया जा सकता है। यह केवल पुलों तक ही सीमित नहीं हैं बल्कि इसका उपयोग रोपवे, इमारतों, एयरोस्पेस संरचनाओं, ट्रांसमिशन टावरों और समय-समय पर स्थिति मूल्यांकन और सुरक्षा उपायों की आवश्यकता वाले विभिन्न बुनियादी ढांचों जैसी संरचनाओं में भी किया जा सकता है।

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