• October 15, 2025

गर्मी में सब्जी फसल की ठीक से देखभाल नहीं हुई तो किसानों को होगी क्षति

 गर्मी में सब्जी फसल की ठीक से देखभाल नहीं हुई तो किसानों को होगी क्षति

 प्रदेश की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था में सब्जी उत्पादन का विशेष महत्व है।सब्जियों की खेती प्रति इकाई क्षेत्रफल में अधिक उत्पादन एवं आय के साथ-साथ रोजगार सृजन करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका है। भीषण गर्मी के चलते यदि सही तरह से देखभाल न की गई तो किसान भाइयों को नुकसान हो सकती है। यह जानकारी रविवार को चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के कृषि विज्ञान केंद्र के उद्यान वैज्ञानिक डॉक्टर संजय कुमार ने दी।

उन्होंने बताया कि भीषण गर्मी की वजह से सब्जी फसल में विभिन्न प्रकार के लक्षण दिखाई देते हैं। पहला सनबर्न नैक्रोसिस(फल के धूप वाले हिस्से पर छिलका के ऊतक का मर जाना व कोशिका झिल्ली का विच्छेदन हो जाना) यह दशा उच्च तापमान, साफ आसमान व उच्च प्रकाश वितरण वाले दिनों में अधिक होती है। इससे तरबूज, खरबूज, टमाटर, बैगन, मिर्च, खीरा, तरोई, कद्दू व शिमला मिर्च की फसलें प्रभावित हो सकती हैं।

सन बर्न ब्राउनिंग : इसमें ऊतक का मृत्यु का कारण नहीं होता। परिणाम स्वरूप फल के धूप वाले हिस्से पर पीले कांच या भूरे रंग के धब्बे बन जाते हैं। परन्तु कोशिकाएं जीवित रहती हैं। क्लोरोफिल कैरोटीन जंतु फूल जैसे वर्णन नष्ट हो जाते हैं। यह दशा ज्यादातर तरबूज या खरबूजा की फसल में देखने को मिलती है।

फोटो ऑक्सीडेटिव सनबर्न: जब छायादार फल अचानक सूर्य के प्रकाश के संपर्क में आ जाते हैं तो इस प्रकार के सनबर्न में अतिरिक्त प्रकाश से फल से फोटो ब्लीच हो जाएंगे क्योंकि फल उच्च प्रकाश स्तरों के अनुकूल नहीं होते। यह दशा कभी-कभी ग्रीन हाउस में उत्पादित सब्जियों में देखने को मिलती है।

डॉ. संजय ने बताया कि उपरोक्त के अतिरिक्त सब्जियों में फलों का पीला पड़ना, फलों का मर जाना, फलों की वृद्धि का रुक जाना, फल सड़न, पौध गलन, समय से फलों का पके जैसा लगना, फल फटना, पुष्पों का न विकसित होना, फलों की वृद्धि रुक जाना इत्यादि लक्षण उच्च तापमान व हीट वेव के कारण सब्जियों पर हो सकते हैं।

जाने कैसे करें देखभाल एवं बचाव

कृषि उद्यान वैज्ञानिक संजय कुमार ने बताया कि किसान भाइयों को नमी को बनाए रखने के लिए सब्जियों के फसल में शाम को हल्की सिंचाई करनी चाहिए। फलों को पत्तों से ढक कर रखें। सबसे ज्यादा नुकसान टमाटर की फसल को हो सकता है। इसके बचाव हेतु टमाटर की पौध को स्टेकिंग का सहारा लें जिससे फल का संपर्क जमीन से न रहे व सूर्य की विकिरण को कम करने के लिए अस्थाई छप्पर या जाली का उपयोग करें। कद्दू वर्गीय सब्जियों में सुबह के समय 5 से 7 बजे के बीच कोई दवा का छिड़काव न करें। यदि दवा का छिड़काव करना है तो शाम को करें। फल सड़न, पौध सड़न व जड़ गलन आदि के बचाव के लिए 2 ग्राम कॉपर ऑक्सिक्लोराइड प्रति लीटर पानी में मिलाकर शाम को छिड़काव करें। जल में घुलनशील पोषक तत्वों का सिंचाई के पानी के साथ शाम के समय उपयोग करें।

Digiqole Ad

Rama Niwash Pandey

https://ataltv.com/

Related Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *