कांग्रेस में वैचारिक मतभेद उजागर: शशि थरूर ने राहुल गांधी से तुलना वाले थ्रेड को बताया ‘विचारपूर्ण विश्लेषण’
नई दिल्ली, 15 दिसंबर 2025: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर एक बार फिर पार्टी के भीतर चर्चा में हैं। इस बार उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व ट्विटर) पर एक यूजर के लंबे थ्रेड को शेयर किया, जिसमें उनकी और कांग्रेस नेता राहुल गांधी की विचारधाराओं की तुलना की गई है। थरूर ने इस विश्लेषण को “विचारपूर्ण” और “निष्पक्ष” बताते हुए सहमति जताई।
X यूजर@CivitasSameer ने 14 दिसंबर को एक विस्तृत थ्रेड पोस्ट किया, जिसमें कहा गया कि शशि थरूर और राहुल गांधी कांग्रेस में दो अलग-अलग वैचारिक धाराओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। थरूर 90 के दशक की कांग्रेस की शहरी-केंद्रित, संस्थागत और सुधारवादी सोच से जुड़े हैं, जबकि राहुल गांधी ग्रामीण मुद्दों और जन-आंदोलन आधारित दृष्टिकोण अपनाते हैं। यूजर ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि पार्टी इन दोनों धाराओं को न तो चुन पाई, न एकीकृत कर पाई और न ही प्रभावी ढंग से लागू कर सकी, जिससे वह न शहरी सुधारवादी पार्टी बन सकी और न ही ग्रामीण जन-आधारित पार्टी।
थ्रेड में आगे कहा गया कि कांग्रेस ने पीवी नरसिम्हा राव, मनमोहन सिंह जैसे शहरी टेक्नोक्रेट नेताओं को किनारे कर दिया, जिसका फायदा दक्षिणपंथी पार्टियों (बीजेपी) ने उठाया। राहुल गांधी की ग्रामीण फोकस को “विनाशकारी बदलाव” बताया गया, जबकि थरूर की सोच को उनके बैकग्राउंड से मेल खाती हुई बताया।शशि थरूर ने इस थ्रेड को शेयर करते हुए लिखा: “इस विचारपूर्ण विश्लेषण के लिए धन्यवाद। पार्टी में हमेशा से एक से अधिक धाराएं रही हैं; आपका फ्रेमिंग निष्पक्ष है और वर्तमान वास्तविकता की एक धारणा को दर्शाता है।”कांग्रेस में बढ़ती असहजता? थरूर अक्सर केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कुछ नीतियों की तारीफ करके पार्टी के भीतर सवालों के घेरे में रहते हैं। हाल ही में उन्होंने राहुल गांधी की बुलाई बैठकें भी मिस कीं, जिससे आंतरिक कलह की अटकलें लगीं। यह घटना कांग्रेस की वैचारिक एकता पर सवाल उठाती है, जहां एक तरफ राहुल गांधी पार्टी को ग्रामीण और गरीब-केंद्रित बनाने पर जोर दे रहे हैं, वहीं थरूर शहरी, सुधारवादी और संस्थागत दृष्टिकोण के पक्षधर माने जाते हैं।
कांग्रेस ने अभी इस पर आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन पार्टी सूत्रों का कहना है कि विविध विचारधाराएं लोकतंत्र की ताकत हैं। वहीं, विपक्षी दल इसे कांग्रेस की कमजोरी बता रहे हैं।यह घटना कांग्रेस के भविष्य और उसकी रणनीति पर नई बहस छेड़ सकती है।