अब हरिद्वार के किसान अश्वगंधा से बढ़ाएंगे आर्थिक इम्युनिटी, बिहारीनगर गांव बना अश्वगंधा विलेज

 अब हरिद्वार के किसान अश्वगंधा से बढ़ाएंगे आर्थिक इम्युनिटी, बिहारीनगर गांव बना अश्वगंधा विलेज

हरिद्वार, 28 अगस्त। अश्वगंधा जो इम्युनिटी और शरीर को पावर देने वाली औषधियों में सदियों से अग्रणी रही है। अब हरिद्वार के किसान अश्वगंधा की खेती से आर्थिक इम्युनिटी बढ़ाएंगे। हरिद्वार जनपद के तीन गांवों को जड़ी-बूटी विलेज घोषित किया गया है। इसी योजना के तहत बिहारीनगर गांव अब अश्वगंधा विलेज कहलाएगा।

जनपद के आयुर्वेद नोडल अधिकारी डॉ. अवनीश उपाध्याय ने बताया कि अश्वगंधा सहित अन्य जड़ी-बूटियों की मांग इन दिनों तेजी से बढ़ी है। जड़ी-बूटियों की खेती और इसके उत्पाद बनाकर मोटी कमाई कर सकते हैं। अश्वगंधा का इस्तेमाल आयुर्वेदिक दवाओं में होता है। अश्वगंधा के फल, बीज और छाल के प्रयोग से कई प्रकार की दवाईयां बनाई जाती हैं। तनाव और चिंता को दूर करने में अश्वगंधा को सबसे फायदेमंद माना जाता है। इसकी खेती से किसान धान, गेहूं और मक्का की खेती के मुकाबले 50 फीसदी तक अधिक मुनाफा कमा सकते हैं।

जिला आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी डॉ. स्वास्तिक सुरेश ने बताया कि आयुष एवं आयुष शिक्षा विभाग उत्तराखंड की ओर से हरिद्वार के तीन गांवों को जड़ी-बूटी ग्राम घोषित किया गया। इन गांवों के हर घर में अब जड़ी-बूटी का पौधा देखने को मिलेगा। इस योजना के अंतर्गत ग्राम बिहारीनगर को अश्वगंधा ग्राम, जगजीतपुर को तुलसी ग्राम और भोगपुर को गिलोय ग्राम बनाया गया है। इन ग्रामों का समर्थन आयुष्मान आरोग्य मंदिरों की ओर से किया जाएगा।

बिहारीनगर में डॉ. घनेंद्र वशिष्ठ ने अश्वगंधा के लाभ के बारे में लोगों को बताया और ग्रामवासियों ने प्रत्येक घर में अश्वगंधा का पौधा लगाने का संकल्प लिया। वहीं आशाओं ने चिकित्सालय से प्रत्येक घर में पौधे लगवाने का दायित्व लिया है। भोगपुर आयुष्मान आरोग्य मंदिर की प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ. सोरमी सोनकर ने गांव को गिलोय ग्राम बनाया है।

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