हनुमान जन्मोत्सव 2025: गोस्वामी तुलसीदास द्वारा स्थापित हनुमान मंदिर, जिसमें बाल हनुमान लला की अनूठी झलक
वाराणसी, 12 अप्रैल 2025: हनुमान जन्मोत्सव, जिसे हनुमान जयंती के नाम से भी जाना जाता है, आज पूरे उत्तर प्रदेश और देशभर में धूमधाम से मनाया जा रहा है। यह पावन पर्व चैत्र मास की पूर्णिमा को भगवान हनुमान के जन्म की स्मृति में मनाया जाता है, जो भगवान राम के परम भक्त और शक्ति, भक्ति व निष्ठा के प्रतीक हैं। इस वर्ष हनुमान जन्मोत्सव 12 अप्रैल 2025 को मनाया जा रहा है, और वाराणसी के मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना, हनुमान चालीसा पाठ और भंडारों का आयोजन हो रहा है। इस अवसर पर गोस्वामी तुलसीदास द्वारा स्थापित हनुमान मंदिर विशेष चर्चा में हैं, खासकर तुलसी घाट स्थित बाल हनुमान मंदिर, जो भक्तों के बीच “गुफा हनुमान” के नाम से प्रसिद्ध है।
गोस्वामी तुलसीदास और हनुमान भक्ति
गोस्वामी तुलसीदास, जिन्हें रामचरितमानस और हनुमान चालीसा जैसे अमर ग्रंथों के रचयिता के रूप में जाना जाता है, हनुमान जी के अनन्य भक्त थे। ऐसा माना जाता है कि तुलसीदास को स्वयं हनुमान जी का साक्षात्कार हुआ था, जिसके प्रेरणा से उन्होंने हनुमान चालीसा की रचना की। वाराणसी में अपने जीवन के अंतिम वर्षों के दौरान, तुलसीदास ने कई मंदिरों की स्थापना की, जिनमें हनुमान मंदिरों का विशेष महत्व है। ये मंदिर न केवल भक्ति का केंद्र हैं, बल्कि तुलसीदास की आध्यात्मिक विरासत को भी संजोए हुए हैं।
तुलसी घाट का बाल हनुमान मंदिर
वाराणसी के तुलसी घाट, जो गोस्वामी तुलसीदास के नाम पर है, में स्थित बाल हनुमान मंदिर भक्तों के बीच विशेष रूप से लोकप्रिय है। इस मंदिर में हनुमान जी की मूर्ति बाल रूप में स्थापित है, जिसे “बाल हनुमान लला” कहा जाता है। यह मूर्ति दक्षिणमुखी है, जो हनुमान जी की शक्तिशाली और कृपालु स्वरूप को दर्शाती है। स्थानीय लोग इस मंदिर को “गुफा हनुमान” के नाम से भी जानते हैं, क्योंकि यह भवन के निचले हिस्से में एक गुफा जैसे ढांचे में स्थित है।
मंदिर के ऊपरी हिस्से में भगवान राम, सीता और लक्ष्मण की मूर्तियां स्थापित हैं, जो तुलसीदास की राम भक्ति को और अधिक उजागर करती हैं। ऐसा माना जाता है कि तुलसीदास स्वयं इस मंदिर में पूजा-अर्चना करते थे और गंगा के किनारे बैठकर रामचरितमानस की रचना करते थे। हनुमान जन्मोत्सव के अवसर पर यह मंदिर भक्तों से खचाखच भरा रहता है, और हनुमान चालीसा का सामूहिक पाठ यहाँ की विशेषता है।
इस मंदिर की स्थापना के पीछे एक कथा प्रचलित है। कहा जाता है कि तुलसीदास को एक दिन हनुमान जी ने दर्शन दिए और उन्हें बाल हनुमान की मूर्ति स्थापित करने की प्रेरणा दी। तुलसीदास ने तुलसी घाट पर ही इस मूर्ति को स्थापित किया, जो आज भी भक्तों के लिए आस्था का केंद्र है। मंदिर का ऐतिहासिक महत्व भी है, क्योंकि यहाँ तुलसीदास द्वारा लिखित रामचरितमानस की मूल पांडुलिपि और उनकी निजी वस्तुएँ कुछ समय पहले तक प्रदर्शित की जाती थीं।

संकटमोचन मंदिर: तुलसीदास की अमर विरासत
वाराणसी का संकटमोचन मंदिर भी गोस्वामी तुलसीदास से जुड़ा हुआ है और माना जाता है कि इसे भी उनके द्वारा स्थापित किया गया था। यह मंदिर हनुमान जी को समर्पित है और वाराणसी के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। संकटमोचन मंदिर में हनुमान जी की मूर्ति संकटों को हरने वाली मानी जाती है, और यहाँ आने वाले भक्तों का विश्वास है कि उनकी हर मनोकामना पूरी होती है।
हनुमान जन्मोत्सव पर संकटमोचन मंदिर में विशेष आयोजन होते हैं। मंदिर को फूलों और रोशनी से सजाया जाता है, और सुंदर कांड का पाठ, हनुमान चालीसा का गायन, और भंडारे का आयोजन किया जाता है। इस मंदिर की स्थापना की कथा भी रोचक है। ऐसा कहा जाता है कि तुलसीदास को हनुमान जी ने स्वप्न में दर्शन देकर इस स्थान पर मंदिर बनाने का निर्देश दिया था। तुलसीदास ने हनुमान जी की आज्ञा का पालन करते हुए यह मंदिर स्थापित किया, जो आज लाखों भक्तों का आस्था केंद्र है।
अन्य मंदिर और तुलसीदास का योगदान
तुलसीदास द्वारा वाराणसी में स्थापित अन्य हनुमान मंदिरों में कुछ छोटे मंदिर भी शामिल हैं, जो स्थानीय स्तर पर पूजे जाते हैं। इन मंदिरों में हनुमान जी की विभिन्न रूपों में मूर्तियां हैं, जैसे वीर हनुमान, राम भक्त हनुमान, और पंचमुखी हनुमान। तुलसीदास ने अपने जीवनकाल में हनुमान भक्ति को जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास किया, और उनके द्वारा रचित हनुमान चालीसा आज भी हर हनुमान भक्त की जुबान पर है।
हनुमान जन्मोत्सव के अवसर पर इन मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। वाराणसी के अलावा, तुलसीदास से प्रेरित कई अन्य मंदिरों में भी विशेष पूजा का आयोजन होता है। अयोध्या और चित्रकूट जैसे स्थानों पर भी तुलसीदास से जुड़े हनुमान मंदिरों में उत्सव की धूम रहती है।
हनुमान जन्मोत्सव 2025: उत्सव का माहौल
इस वर्ष हनुमान जन्मोत्सव पर वाराणसी के मंदिरों में सुबह से ही पूजा-अर्चना शुरू हो गई है। तुलसी घाट के बाल हनुमान मंदिर में भक्तों ने हनुमान जी को सिन्दूर और चोला चढ़ाया, साथ ही लड्डुओं और केले का भोग लगाया। मंदिर परिसर में हनुमान चालीसा और रामचरितमानस के सुंदर कांड का पाठ हो रहा है। संकटमोचन मंदिर में भी भारी संख्या में भक्त दर्शन के लिए पहुंचे हैं, और मंदिर को रंग-बिरंगे फूलों से सजाया गया है।
मौसम विभाग के अनुसार, वाराणसी में आज हल्की बारिश की संभावना है, लेकिन इससे भक्तों का उत्साह कम नहीं हुआ है। स्थानीय प्रशासन ने मंदिरों के आसपास सुरक्षा और यातायात व्यवस्था के लिए विशेष इंतजाम किए हैं। भक्तों का कहना है कि हनुमान जन्मोत्सव उनके लिए केवल एक पर्व नहीं, बल्कि भक्ति और शक्ति का उत्सव है।
बाल हनुमान लला की विशेषता
बाल हनुमान लला की मूर्ति का रूप भक्तों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र है। यह मूर्ति हनुमान जी के बचपन के स्वरूप को दर्शाती है, जिसमें उनकी मासूमियत और शक्ति दोनों झलकती हैं। भक्तों का मानना है कि बाल हनुमान लला की पूजा से मन की शांति और कार्यों में सफलता मिलती है। इस मंदिर में आने वाले भक्त अक्सर अपनी मनोकामनाएं लिखकर हनुमान जी को अर्पित करते हैं, और उनकी पूरी होने की कहानियां यहाँ आम हैं।
हनुमान चालीसा का महत्व
हनुमान जन्मोत्सव पर तुलसीदास द्वारा रचित हनुमान चालीसा का पाठ विशेष महत्व रखता है। यह 40 छंदों का यह भक्ति भजन हनुमान जी की महिमा का गुणगान करता है और भक्तों को साहस, शक्ति, और भक्ति प्रदान करता है। तुलसी घाट और संकटमोचन मंदिर में आज सामूहिक रूप से हनुमान चालीसा का पाठ हो रहा है, जिसमें बच्चे, युवा और बुजुर्ग सभी शामिल हैं।
