थाईलैंड से आया पर्यटकों का दल, परमार्थ निकेतन अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द का लिया आशीर्वाद

थाईलैंड से पर्यटकों का एक दल परमार्थ निकेतन आया है। दल के सदस्यों ने परमार्थ गंगा तट पर विधिविधान के साथ मुंडन व गंगा पूजन कर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती का आशीर्वाद लिया।
दल के सदस्यों ने बताया कि वे अक्सर परमार्थ निकेतन की यात्रा पर आते हैं। उन्होंने स्वामी चिदानन्द सरस्वती की प्रेरणा व आशीर्वाद से थाईलैंड में शिव मन्दिर निर्माण कराया है, जहां पर अपार संख्या में भक्त आते हैं और भारतीय संस्कृति के विषय जानने के लिए उत्सुक रहते हैं।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि हमारे शास्त्रों में उल्लेख किया गया है कि ‘जन्मना जायते शूद्रः संस्काराद् द्विज उच्यते’ अर्थात जन्म से सभी शूद्र होते हैं, संस्कारों के माध्यम से द्विजत्व प्राप्त होता है। वास्तव में संस्कारों के माध्यम से ही व्यक्ति श्रेष्ठ मानव जीवन की यात्रा करता है। संस्कारों के माध्यम से जीवन का परिमार्जन होता है और सामाजिक जीवन का मूल आधार तो आध्यात्मिकता हैं। भारतीय संस्कृति में संस्कारों का अत्यधिक महत्व है। निस्वार्थ भाव से दूसरों की सेवा करना ही भारतीय संस्कृति का मूल मंत्र है और यही मानवता की सेवा भी है। दुनिया में ऐसे कई महापुरुष हुए, जिन्होंने दूसरों की सेवा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी।
स्वामी ने कहा कि भारतीय संस्कृति में मानवता और प्रकृति का कल्याण निहित है। वास्तव में हमें ऐसी संस्कृति को आत्मसात करना होगा जो परम्परागत होने के साथ ही उसमें धर्म, आध्यात्मिकता, मानवतावादी, सनातन संस्कृति और वैज्ञानिकता की सभी धाराएं समाहित हों।
थाईलैंड से आए दल में यानरावी चन्त्रकाद्मो, खंथारोस राडू, पावरिसा इंथाविसेडआर, सैटिड फियोई, कोचाना गाइटी आदि ने स्वामी से भेंट कर परमार्थ निकेतन में होने वाली विभिन्न गतिविधियों यथा प्रातःकाल योग, ध्यान, हवन, गंगा आरती और सत्संग में सहभाग किया।
