लखनऊ में भूगर्भ जल संरक्षण: 103 पंजीकृत वाहन धुलाई सेंटर, अवैध बोरिंग पर महापौर के सख्त निर्देश
लखनऊ, 29 अप्रैल 2025: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भूगर्भ जल के अत्यधिक दोहन को रोकने के लिए प्रशासन ने कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। भूगर्भ जल विभाग के सहायक अभियंता अविरल कुमार सिंह ने बताया कि लखनऊ में 103 वाहन धुलाई सेंटर पंजीकृत हैं, जो मुख्य रूप से बड़ी कंपनियों द्वारा संचालित किए जाते हैं। ये सेंटर जल संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए पानी रीसाइकिल करने की तकनीक का उपयोग करते हैं। दूसरी ओर, लखनऊ की महापौर सुषमा खर्कवाल ने अवैध बोरिंग पर सख्त कार्रवाई के लिए भूगर्भ जल विभाग को नगर निगम के साथ सहयोग करने के निर्देश दिए हैं। यह कदम शहर में गिरते भूजल स्तर को नियंत्रित करने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
पंजीकृत वाहन धुलाई सेंटर: जल संरक्षण की पहल
सहायक अभियंता अविरल कुमार सिंह ने बताया कि लखनऊ में पंजीकृत 103 वाहन धुलाई सेंटर भूगर्भ जल विभाग के दिशा-निर्देशों का पालन करते हैं। ये सेंटर पानी के अत्यधिक उपयोग को कम करने के लिए रीसाइक्लिंग तकनीकों का इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने कहा, “ये सेंटर बड़े पैमाने पर वाहन धुलाई का काम करते हैं और पानी की बर्बादी को रोकने के लिए रीसाइक्लिंग सिस्टम अपनाए गए हैं। हम नियमित रूप से इन सेंटरों की जांच करते हैं ताकि यह सुनिश्चित हो कि वे तय मानकों का पालन कर रहे हैं।”
यह कदम न केवल भूजल संरक्षण में मदद करता है, बल्कि पर्यावरणीय स्थिरता को भी बढ़ावा देता है। भूगर्भ जल विभाग ने इन सेंटरों को तकनीकी सहायता और दिशा-निर्देश प्रदान करने के लिए हेल्पलाइन नंबर (0522-4150500) भी उपलब्ध कराया है, जिसके माध्यम से सेंटर संचालक अपनी समस्याओं का समाधान प्राप्त कर सकते हैं।

अवैध बोरिंग पर महापौर का सख्त रुख
लखनऊ में अवैध बोरिंग के कारण भूजल स्तर में लगातार गिरावट एक गंभीर समस्या बन गई है। इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए महापौर सुषमा खर्कवाल ने भूगर्भ जल विभाग और नगर निगम को अवैध बोरिंग के खिलाफ संयुक्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। महापौर ने कहा, “अवैध बोरिंग न केवल भूजल स्तर को प्रभावित कर रही है, बल्कि शहर की जल आपूर्ति व्यवस्था को भी खतरे में डाल रही है। हम ऐसी गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं करेंगे।”
महापौर ने भूगर्भ जल विभाग को निर्देश दिया कि वह नगर निगम के साथ मिलकर शहर में अवैध बोरिंग की पहचान करे और उनके खिलाफ तत्काल कार्रवाई करे। इसके लिए विशेष जांच टीमें गठित करने और सीसीटीवी फुटेज, स्थानीय शिकायतों, और अन्य साक्ष्यों का उपयोग करने की योजना बनाई गई है। साथ ही, उन्होंने नागरिकों से अपील की कि वे अवैध बोरिंग या जल बर्बादी की सूचना तुरंत प्रशासन को दें।
लखनऊ में भूजल संकट: पृष्ठभूमि
लखनऊ में भूजल स्तर में गिरावट एक चिंताजनक मुद्दा है। भूगर्भ जल विभाग के आंकड़ों के अनुसार, शहर के कई इलाकों में भूजल स्तर पिछले एक दशक में 10-15 मीटर तक नीचे चला गया है। अवैध बोरिंग, अनियंत्रित जल दोहन, और वाहन धुलाई सेंटरों में पानी की बर्बादी इस समस्या के प्रमुख कारण हैं।
पिछले साल, लखनऊ नगर निगम ने अवैध बोरिंग के खिलाफ एक अभियान चलाया था, जिसमें दर्जनों अवैध बोरवेल सील किए गए थे। हालांकि, यह समस्या अब भी पूरी तरह नियंत्रित नहीं हो सकी है। ‘एक्स’ पर एक यूजर ने लिखा, “लखनऊ में भूजल संकट गंभीर हो रहा है। महापौर का यह कदम स्वागत योग्य है, लेकिन इसे सख्ती से लागू करना होगा।”
अन्य शहरों से प्रेरणा
लखनऊ का यह प्रयास अन्य शहरों में भूजल संरक्षण के लिए उठाए गए कदमों से प्रेरित है। उदाहरण के लिए, झारखंड के गोड्डा नगर परिषद ने 2025 में डीप बोरिंग पर सख्त नियम लागू किए, जिसमें बोरिंग के लिए अनुमति अनिवार्य कर दी गई। इससे भूजल दोहन में कमी आई। इसी तरह, गुड़गांव में जल शक्ति अभियान के तहत 2019 में शुरू की गई हेल्पलाइन (18001801817) ने अवैध बोरवेल और जल बर्बादी की शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई को संभव बनाया।
सामाजिक और पर्यावरणीय प्रभाव
महापौर के निर्देश और भूगर्भ जल विभाग की कार्रवाई से लखनऊ में जल संरक्षण को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। पंजीकृत वाहन धुलाई सेंटरों द्वारा पानी की रीसाइक्लिंग को प्रोत्साहित करने से जल की बर्बादी कम होगी, जबकि अवैध बोरिंग पर कार्रवाई से भूजल स्तर को स्थिर करने में मदद मिलेगी।
‘एक्स’ पर कई यूजर्स ने इस कदम की सराहना की है। एक यूजर ने लिखा, “लखनऊ में पानी की कमी को रोकने के लिए यह जरूरी कदम है। सभी को जल संरक्षण में योगदान देना चाहिए।” हालांकि, कुछ यूजर्स ने चिंता जताई कि बिना सख्त निगरानी के यह अभियान प्रभावी नहीं होगा।
