• April 15, 2025

लखनऊ में ‘जय भीम पदयात्रा’ का भव्य आयोजन: उच्च शिक्षा मंत्री ने दिखाई हरी झंडी, युवाओं में भरा जोश

लखनऊ, 13 अप्रैल 2025: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में रविवार को डॉ. भीमराव अम्बेडकर की जयंती की पूर्व संध्या पर राज्य स्तरीय ‘जय भीम पदयात्रा’ का आयोजन किया गया। इस ऐतिहासिक पदयात्रा का शुभारंभ प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय ने मरीन ड्राइव चौराहे से हरी झंडी दिखाकर किया। सैकड़ों युवाओं ने उत्साह के साथ इस यात्रा में हिस्सा लिया, जिसमें संविधान के मूल्यों, सामाजिक न्याय और समानता के सिद्धांतों को बढ़ावा देने का संदेश दिया गया। यह आयोजन केवल डॉ. अम्बेडकर के विचारों को जीवंत करने का प्रयास था, बल्कि युवाओं को सामाजिक परिवर्तन के लिए प्रेरित करने का भी एक मंच बना।
पदयात्रा का उद्देश्य और महत्व
‘जय भीम पदयात्रा’ का आयोजन संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अम्बेडकर की 134वीं जयंती के उपलक्ष्य में किया गया। इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य बाबासाहेब के सामाजिक न्याय, समानता और शिक्षा के विचारों को नई पीढ़ी तक पहुंचाना था। लखनऊ के मरीन ड्राइव चौराहे से शुरू होकर यह पदयात्रा शहर के प्रमुख मार्गों से होती हुई सामाजिक परिवर्तन प्रतीक स्थल पर समाप्त हुई। इस दौरान युवाओं ने संविधान की प्रस्तावना का सामूहिक पाठ किया और बाबासाहेब के सिद्धांतों को अपने जीवन में अपनाने का संकल्प लिया।
उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय ने इस अवसर पर कहा, “डॉ. अम्बेडकर ने हमें एक ऐसा संविधान दिया, जो हर नागरिक को समानता और सम्मान का अधिकार देता है। यह पदयात्रा केवल उनकी जयंती का उत्सव है, बल्कि उनके विचारों को जीवंत करने का एक प्रयास है। आज के युवा ही देश का भविष्य हैं, और मुझे विश्वास है कि वे बाबासाहेब के दिखाए मार्ग पर चलकर सामाजिक न्याय को और मजबूत करेंगे।”

युवाओं में उत्साह और प्रेरणा
पदयात्रा में शामिल युवाओं ने नारे लगाए, जैसे “जय भीम, जय भारत” और “संविधान जिंदाबाद”, जिसने पूरे माहौल को जोश से भर दिया। लखनऊ विश्वविद्यालय और अन्य शैक्षणिक संस्थानों के छात्रों ने बैनर और पोस्टर के साथ हिस्सा लिया, जिनमें बाबासाहेब के प्रेरक उद्धरण लिखे थे। कई युवाओं ने इस आयोजन को सामाजिक एकता और जागरूकता का एक शक्तिशाली मंच बताया।
एक छात्रा, प्रियंका वर्मा, ने कहा, “यह मेरे लिए गर्व का क्षण है कि मैं इस पदयात्रा का हिस्सा बनी। बाबासाहेब ने हमें शिक्षा और आत्मसम्मान का महत्व सिखाया। आज हम उनके विचारों को अपनाकर एक बेहतर समाज बनाने का संकल्प ले रहे हैं।” इसी तरह, एक अन्य युवा, राहुल कुमार, ने बताया, “यह यात्रा हमें यह याद दिलाती है कि हमें अपने अधिकारों के साथ-साथ दूसरों के हकों का भी सम्मान करना है।”
मौसम की चुनौतियों के बीच आयोजन
लखनऊ में शनिवार को बारिश और आंधी ने मौसम को प्रभावित किया था, जिसके कारण आयोजकों को कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ा। हालांकि, मौसम विभाग की रविवार को साफ मौसम की भविष्यवाणी सही साबित हुई, और सुबह से ही आसमान साफ रहा। इसने आयोजन को और भी सुगम बना दिया। फिर भी, आयोजकों ने सड़क सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सभी प्रतिभागियों को सावधानी बरतने की सलाह दी, खासकर हाल के हादसों को देखते हुए, जिनमें मोबाइल फोन का उपयोग एक बड़ा कारण बना है।
सड़क सुरक्षा पर जोर
पदयात्रा के दौरान आयोजकों ने सड़क सुरक्षा को लेकर भी जागरूकता फैलाई। हाल ही में सुल्तानपुर और वाराणसी में हुए हादसों, जिनमें तीन युवकों की जान गई थी, ने सड़क सुरक्षा के प्रति लोगों का ध्यान खींचा है। लखनऊ ट्रैफिक पुलिस ने भी इस आयोजन के लिए विशेष व्यवस्था की थी, ताकि कोई अप्रिय घटना हो। उच्च शिक्षा मंत्री ने अपने संबोधन में युवाओं से अपील की कि वे ड्राइविंग के दौरान मोबाइल फोन का उपयोग करें और ट्रैफिक नियमों का पालन करें। उन्होंने कहा, “हमारे युवा देश का भविष्य हैं। उनकी सुरक्षा हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।”
सामाजिक न्याय और संविधान के मूल्य
पदयात्रा के दौरान कई वक्ताओं ने डॉ. अम्बेडकर के सामाजिक न्याय के दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला। नेहरू युवा केंद्र संगठन (NYKS) के प्रतिनिधियों ने बताया कि यह आयोजन पूरे उत्तर प्रदेश में सामाजिक एकता को बढ़ावा देने के लिए एक कदम है। उन्होंने कहा कि बाबासाहेब का सपना एक ऐसा भारत था, जहां जाति, धर्म या लिंग के आधार पर कोई भेदभाव हो। इस मौके पर संविधान की प्रस्तावना को बड़े स्क्रीन पर प्रदर्शित किया गया, और युवाओं ने इसे सामूहिक रूप से पढ़ा।

पदयात्रा में शामिल सामाजिक कार्यकर्ता अनिता सिंह ने कहा, “आज भी कई समुदायों को सामाजिक और आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। बाबासाहेब के विचार हमें इन समस्याओं से लड़ने की ताकत देते हैं। यह पदयात्रा हमें उनके सपनों को साकार करने की प्रेरणा देती है।”
सामाजिक प्रभाव और प्रतिक्रियाएं
पदयात्रा ने केवल लखनऊ, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश में एक सकारात्मक संदेश फैलाया। सोशल मीडिया पर #JaiBhim और #AmbedkarJayanti2025 जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं, जहां लोग इस आयोजन की तस्वीरें और वीडियो साझा कर रहे हैं। एक यूजर ने लिखा, “लखनऊ की सड़कों पर जय भीम का नारा गूंज रहा है। यह देखकर गर्व होता है कि हमारी युवा पीढ़ी बाबासाहेब के विचारों को आगे ले जा रही है।”

हालांकि, कुछ लोगों ने यह भी सवाल उठाया कि क्या इस तरह के आयोजन केवल प्रतीकात्मक हैं, या इनसे वास्तविक बदलाव आएगा। एक स्थानीय निवासी, रमेश पाल, ने कहा, “पदयात्रा बहुत अच्छी है, लेकिन सरकार को ग्रामीण इलाकों में भी शिक्षा और जागरूकता के लिए काम करना चाहिए, जहां अभी भी भेदभाव मौजूद है।”
किसानों और ग्रामीण क्षेत्रों से कनेक्शन
लखनऊ के आसपास के ग्रामीण इलाकों से भी कई युवा इस पदयात्रा में शामिल हुए। हाल की बारिश और आंधी ने किसानों को पहले ही परेशान किया है, और ऐसे आयोजन उनके लिए भी प्रेरणा का स्रोत बने। वाराणसी और सुल्तानपुर जैसे क्षेत्रों में फसलों के नुकसान के बाद, सामाजिक एकता और शिक्षा के संदेश ने ग्रामीण युवाओं को नई उम्मीद दी। एक किसान, रामधनी, ने कहा, “बाबासाहेब ने हमें अपने हक के लिए लड़ना सिखाया। हम चाहते हैं कि हमारे बच्चे पढ़ें और उनके विचारों को अपनाएं।”
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