विकास की किरण से कोसों दूर कटिहार जिला का गोबराही दियारा
कटिहार जिले का गोबराही दियारा गांव (कुर्सेला) आज भी बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहा है। ग्रामीणों का आरोप है कि चुनाव के समय शासन प्रशासन के लोग आते हैं और बुनियादी सुविधा उपलब्ध कराने की आश्वासन देकर चले जाते हैं। मगर उनकी समस्याओं से किसी को कोई सरोकार नहीं है। गांव की हालात सरकार के विकास के दावों पर सवालिया निशान लगाते हैं।
गोबराही दियारा गांव के उमेश महतो, शिव कुमार महतो, मुकेश कुमार, नंदन महतो, रामजी महतो, भोला महतो, विजय महतो सहित सैकड़ों महिलाओं महिलाओं का कहना है कि इस गांव की आबादी करीब दस हजार है। फिर भी इस गांव में न तो सड़क है, न बिजली और ना ही अस्पताल व माध्यमिक विद्यालय। यहां तक कि इस गांव में चुनाव के एक बूथ भी नहीं बनाया जाता है। गांव के लोग वोट डालने के लिए आठ से दस किलोमीटर पैदल चलकर गंगा घाट, फिर नांव से एक घंटे की सफर तय कर मतदान करने को विवश हैं।
बुनियादी सुविधाओं से वंचित यहां की महिलाओं ने प्रशासन आपके द्वार कार्यक्रम के तहत आयोजित शिविर में पहली बार गोबराही दियारा पहुंचे जिला पदाधिकारी रवि प्रकाश को अपना दुखदर्द सुनाया। महिलाओं का कहना था कि चारों तरफ पानी से घिरे हुए इस गांव में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नही होने की बजह से खासकर गर्भवती महिलाओं के समक्ष जीवन मरण की समस्या उत्पन्न हो जाती है।
दस हजार की आबादी वाले गोबराही दियारा में एक प्राथमिक विद्यालय है, वो भी अक्सर बंद रहती है, इस गांव मध्य विधायक नही है। बच्चे किसी तरह पांचवीं कक्षा तक की पढ़ाई कर पाते हैं। बिजली नही है। सरकार द्वारा कुछ घरों तक सोलर एनर्जी के तहत लाइट की व्यवस्था की गई है। वो भी बैटरी व अन्य तकनीकी खराबी के कारण बंद पड़ी हुई है।
आजादी के बाद भी कच्ची सड़क की भी सुविधा नहीं है इस गांव में। यहां के लोगों आवागमन के लिए खेत की पगडंडियों का सहारा लेना पड़ता है। कुर्सेला और गोबराही दियारा के बीच गंगा नदी पर पुल नही होने से नांव ही एक मात्र सहारा है इस गांव के लोगों के लिए। बुनियादी सुविधाओं को लेकर यहां के ग्रामीणों ने कई बार उच्चाधिकारियों को भी पत्र लिखा है। मगर अब तक कोई ठोस पहल नहीं हुई है। पहली बार इस गांव में जिला पदाधिकारी के आने से लोगों में उम्मीद जगी है की स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क, बिजली व अन्य बुनियादी सुविधाएं उन्हें भी मिल पाएगी।