अंसल ग्रुप पर ईडी की बड़ी कार्रवाई: लखनऊ, गाजियाबाद समेत सात ठिकानों पर छापेमारी, 600 करोड़ के गबन की जांच
लखनऊ, 30 अप्रैल 2025: उत्तर प्रदेश में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार को रियल एस्टेट कंपनी अंसल प्रॉपर्टीज एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (एपीआईएल) के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग और वित्तीय अनियमितताओं के गंभीर आरोपों के तहत बड़ी कार्रवाई शुरू की। ईडी की टीमें लखनऊ, गाजियाबाद, नोएडा और दिल्ली सहित सात ठिकानों पर एक साथ छापेमारी कर रही हैं। यह कार्रवाई उत्तर प्रदेश रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (यूपी रेरा) की एक रिपोर्ट के आधार पर की जा रही है, जिसमें अंसल ग्रुप पर 600 करोड़ रुपये के फंड डायवर्जन और निवेशकों के साथ धोखाधड़ी के आरोप लगाए गए हैं।
छापेमारी का विवरण
ईडी की छापेमारी सुबह से शुरू हुई, जिसमें लखनऊ के सुशांत गोल्फ सिटी स्थित अंसल ग्रुप के कार्यालय पर विशेष फोकस रहा। छह सदस्यीय ईडी टीम ने कार्यालय में मौजूद इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स, कंप्यूटर, हार्ड डिस्क, सिस्टम फाइल्स और बैंक खातों से संबंधित दस्तावेजों की गहन जांच की। इसके अलावा, गाजियाबाद, नोएडा और दिल्ली में अंसल ग्रुप के अन्य कार्यालयों और निदेशकों के आवासों पर भी छापेमारी चल रही है।
जांच का मुख्य उद्देश्य अंसल ग्रुप द्वारा कथित तौर पर किए गए वित्तीय गबन और निवेशकों के साथ धोखाधड़ी के सबूत जुटाना है। यूपी रेरा की रिपोर्ट में बताया गया है कि अंसल ग्रुप ने निवेशकों से भारी मात्रा में धन एकत्र किया, लेकिन वादे के मुताबिक न तो फ्लैट्स और प्लॉट्स की डिलीवरी दी और न ही बुनियादी ढांचे का विकास पूरा किया।
अंसल ग्रुप के खिलाफ पहले से दर्ज मामले
पिछले कुछ महीनों में अंसल प्रॉपर्टीज के खिलाफ उत्तर प्रदेश में धोखाधड़ी और जालसाजी के 50 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं। मार्च 2025 से शुरू हुई इन शिकायतों में निवेशकों ने आरोप लगाया कि कंपनी ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर जमीन बेची और भुगतान लेने के बाद भी संपत्तियों का कब्जा नहीं दिया। लखनऊ के गोमती नगर और सुशांत गोल्फ सिटी पुलिस स्टेशनों में दर्ज इन मामलों में कंपनी के निदेशक सुशील अंसल, प्रणव अंसल और अन्य अधिकारियों के नाम शामिल हैं।
इसके अलावा, आयकर विभाग ने भी 8 अप्रैल 2025 को लखनऊ में अंसल एपीआई के पांच ठिकानों पर छापेमारी की थी, जिसमें कर चोरी और निवेशकों के साथ धोखाधड़ी के आरोपों की जांच की गई थी। यूपी रेरा ने भी जनवरी 2025 में अंसल ग्रुप पर 14.4 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था, क्योंकि कंपनी ने बिना रेरा पंजीकरण के प्लॉट्स की बिक्री की थी।

600 करोड़ रुपये के गबन का आरोप
यूपी रेरा की जांच में सामने आया कि अंसल ग्रुप ने निवेशकों से एकत्रित 600 करोड़ रुपये से अधिक की राशि का दुरुपयोग किया। यह धन कंपनी द्वारा विभिन्न परियोजनाओं में डायवर्ट किया गया, जिसका उपयोग न तो बुनियादी ढांचे के विकास में हुआ और न ही निवेशकों को संपत्तियों का कब्जा देने में। लखनऊ डेवलपमेंट अथॉरिटी (एलडीए) के अनुसार, अंसल ग्रुप पर 432 करोड़ रुपये से अधिक के विकास शुल्क बकाया हैं, और कंपनी ने बंधक जमीन को भी अवैध रूप से बेच दिया।
ईडी की जांच में यह भी सामने आया है कि एक एनआरआई ने अंसल एपीआई में 150 करोड़ रुपये का निवेश किया था, जिसके संबंध में अब एजेंसी लखनऊ डेवलपमेंट अथॉरिटी से जानकारी मांग रही है। इसके अलावा, अंसल ग्रुप के एक पूर्व प्रबंध निदेशक, जो पूर्व आईएएस अधिकारी हैं, भी ईडी के रडार पर हैं।
कानूनी और प्रशासनिक कार्रवाई
उत्तर प्रदेश सरकार ने अंसल ग्रुप के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में कहा था कि यदि अंसल ग्रुप ने एक भी होमबायर के साथ धोखाधड़ी की है, तो उसकी सभी संपत्तियों को जब्त किया जाएगा। सरकार ने लखनऊ, गाजियाबाद और गौतम बुद्ध नगर के विकास प्राधिकरणों को अंसल एपीआई के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया था, जिसके परिणामस्वरूप मार्च 2025 से अब तक दर्जनों मामले सामने आए हैं।
लखनऊ डेवलपमेंट अथॉरिटी ने अंसल एपीआई के टाउनशिप लाइसेंस को रद्द करने और अधूरे प्रोजेक्ट को अपने नियंत्रण में लेने की सिफारिश की है। इसके लिए एलडीए ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) में याचिका दायर की है।
निवेशकों की स्थिति
अंसल ग्रुप के खिलाफ कार्रवाई से 5,000 से अधिक होमबायर्स को राहत मिलने की उम्मीद है, जो वर्षों से अपने फ्लैट्स और प्लॉट्स का इंतजार कर रहे हैं। लखनऊ के सरोजिनीनगर से बीजेपी विधायक और सुप
्रीम कोर्ट के वकील राजेश्वर सिंह ने होमबायर्स के हितों की रक्षा के लिए नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) में केस लड़ा, जिसके परिणामस्वरूप अंसल ग्रुप के खिलाफ अंतरिम रोक लगाई गई।
निवेशकों का कहना है कि अंसल ग्रुप ने फर्जी दस्तावेजों और झूठे वादों के आधार पर उनसे करोड़ों रुपये लिए। उदाहरण के लिए, लखनऊ की सुनीता अग्रवाल ने आरोप लगाया कि कंपनी ने उन्हें 6.25 करोड़ रुपये का चूना लगाया, जबकि पंकजा मित्तल ने कहा कि उनकी संपत्ति को बिना सूचना के एक ब्लॉक से दूसरे ब्लॉक में स्थानांतरित कर दिया गया।
अंसल ग्रुप का इतिहास और विवाद
अंसल प्रॉपर्टीज एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड उत्तर भारत में एक प्रमुख रियल एस्टेट कंपनी रही है, जिसने लखनऊ के सुशांत गोल्फ सिटी और गाजियाबाद के क्रॉसिंग रिपब्लिक जैसे बड़े प्रोजेक्ट्स विकसित किए। हालांकि, हाल के वर्षों में कंपनी पर धोखाधड़ी, नियमों का उल्लंघन और वित्तीय कुप्रबंधन के आरोप लगातार बढ़े हैं। 2022 में कंपनी को कॉरपोरेट इनसॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन प्रोसेस में भेजा गया था, लेकिन होमबायर्स और नियामक प्राधिकरणों की शिकायतों के कारण इसके खिलाफ कार्रवाई तेज हो गई।
गाजियाबाद में अंसल ग्रुप पर 99.75 एकड़ जमीन को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बेचने का आरोप है, जिसके लिए क्रॉसिंग रिपब्लिक पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की गई।
ईडी की जांच का भविष्य
ईडी की मौजूदा छापेमारी से अंसल ग्रुप के वित्तीय लेनदेन और मनी लॉन्ड्रिंग के तरीकों का और खुलासा होने की उम्मीद है। जांच एजेंसी कंपनी के बैंक खातों, संपत्तियों और अंतरराष्ट्रीय निवेशों की गहन पड़ताल कर रही है। सूत्रों के अनुसार, ईडी जल्द ही अंसल ग्रुप के निदेशकों और अन्य संदिग्ध व्यक्तियों से पूछताछ शुरू कर सकती है।
इसके अलावा, यह जांच अन्य रियल एस्टेट कंपनियों के लिए भी एक चेतावनी हो सकती है, जो निवेशकों के साथ धोखाधड़ी और नियमों का उल्लंघन करती हैं। उत्तर प्रदेश सरकार और रेरा की सख्ती से यह संदेश स्पष्ट है कि ऐसी कंपनियों को बख्शा नहीं जाएगा।
