• December 24, 2024

के.के. पाठक का निर्देश, डीएम करें शिक्षा विभाग के चार प्रयासों का अनुश्रवण

 के.के. पाठक का निर्देश, डीएम करें शिक्षा विभाग के चार प्रयासों का अनुश्रवण

शिक्षा विभाग बिहार के अपर मुख्य सचिव के.के. पाठक ने डीएम एवं डीडीसी को पत्र लिखकर शिक्षा विभाग के प्रयासों का अनुश्रवण करने का निर्देश दिया है। उन्होंने विद्यालयों में प्रीफैब संरचना, शिक्षकों की कमी बिल्कुल दूर करने, साफ-सफाई की व्यवस्था करने एवं लैब को दुरुस्त करने के प्रयासों की चर्चा की है।

के.के. पाठक ने कहा है कि एक जुलाई से विद्यालयों में शुरू हुई अनुश्रवण की व्यवस्था के बाद विद्यालयों की कमियों एवं समस्याओं को सुलझाने के लिए विभाग ने कई कदम उठाए हैं। विद्यालयों के सतत अनुश्रवण से छात्रों की उपस्थिति आशातीत बढ़ी है। ऐसे में यह समस्या उत्पन्न हुई है कि कई कक्षाएं बरामदे में चल रही हैं अथवा दो पालियों में चल रही हैं।

इस समस्या से निपटने के लिए विभाग ने सभी प्राथमिक, मध्य एवं माध्यमिक विद्यालयों में आवश्यकतानुसार प्रीफैब संरचना बनाने का निर्णय लिया है। इस संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देश जिला पदाधिकारियों को दिया जा चुका है। विद्यालयों में छात्रों की बढ़ती उपस्थिति को देखते हुए कमरों के अलावा शिक्षकों की भी कमी महसूस की गई है।

बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) द्वारा शिक्षकों के नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। लेकिन इन शिक्षकों के परिणाम आने, उनके योगदान देने तथा प्रशिक्षण में कम-से-कम चार से छह माह का समय लग जाएगा। ऐसे में तात्कालिक व्यवस्था के तहत इन विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों को प्राधिकृत किया गया है कि आउटसोर्सिंग के माध्यम से तय एजेंसियों से आवश्यकतानुसार अतिथि शिक्षक की सेवा ले सकते हैं।

विद्यालयों के कमरे, फर्नीचर, लैब, लाईब्रेरी इत्यादि की साफ-सफाई नियमित नहीं होती है। विशेषकर शौचालयों की सफाई तो बिल्कुल ही नहीं होती है। इस समस्या से निपटने के लिए विभाग ने एक सितम्बर से निजी वेंडरों के माध्यम से विद्यालयों की हाउसकीपिंग का जिम्मा देने का निर्णय लिया है। जिला शिक्षा पदाधिकारी को आवश्यक दिशा-निर्देश दिया जा चुका है।

करीब दस हजार विद्यालयों में कम्प्यूटर लैब लगाने की योजना है। प्रथम चरण में 4707 विद्यालयों में कम्प्यूटर लगेंगे। इस संबंध में भी विस्तृत दिशा-निर्देश जिला शिक्षा पदाधिकारियों को जुलाई में दिया जा चुका है। उक्त सभी प्रयास विद्यालयों के पठन-पाठन को सीधे तौर से प्रभावित करते हैं। इसलिए व्यक्तिगत रूचि लेकर जिला शिक्षा पदाधिकारियों से बैठक कर उक्त सभी प्रयासों की सघन समीक्षा करें। इन प्रयासों को एक सितम्बर से शुरू कराएं।

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