ओडिशा में माओवाद पर निर्णायक प्रहार: कंधमाल मुठभेड़ में 1.1 करोड़ का इनामी ढेर, नवीन पटनायक ने सुरक्षा बलों के शौर्य को सराहा
भुवनेश्वर। ओडिशा के कंधमाल जिले के घने जंगलों में सुरक्षा बलों और माओवादियों के बीच हुई एक भीषण मुठभेड़ में सुरक्षा बलों ने बड़ी सफलता हासिल की है। इस ऑपरेशन में शीर्ष माओवादी नेता गणेश उइके सहित छह कट्टर माओवादियों को मार गिराया गया है। इस बड़ी कामयाबी के बाद राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजू जनता दल (बीजेडी) के अध्यक्ष नवीन पटनायक ने सुरक्षा बलों की अदम्य बहादुरी की सराहना की है। पटनायक ने इस कार्रवाई को वामपंथी उग्रवाद (LWE) के खिलाफ राज्य के दशकों पुराने निरंतर संघर्ष की एक बड़ी जीत करार दिया। गृह मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने भी इसे ‘माओवाद मुक्त भारत’ के संकल्प की ओर एक बड़ा कदम बताया है।
सुरक्षा बलों की बड़ी कामयाबी और गणेश उइके का अंत
ओडिशा पुलिस के विशेष अभियान समूह (SOG) और जिला स्वैच्छिक बल (DVF) द्वारा चलाए गए इस संयुक्त ऑपरेशन ने माओवादी संगठन की कमर तोड़ दी है। मुठभेड़ में मारा गया सबसे प्रमुख नाम गणेश उइके का है, जिस पर सरकार ने 1.1 करोड़ रुपये का भारी-भरकम इनाम घोषित कर रखा था। उइके न केवल ओडिशा बल्कि पड़ोसी राज्यों में भी माओवादी गतिविधियों का मास्टरमाइंड माना जाता था। वह प्रतिबंधित संगठन सीपीआई (माओवादी) के शीर्ष नेतृत्व का हिस्सा था और लंबे समय से सुरक्षा बलों की हिट लिस्ट में शामिल था।
पुलिस महानिदेशक (DGP) वाई.बी. खुराना ने इस ऑपरेशन की पुष्टि करते हुए बताया कि खुफिया जानकारी के आधार पर कंधमाल के दुर्गम जंगलों में घेराबंदी की गई थी। जब सुरक्षा बलों ने माओवादियों को आत्मसमर्पण करने के लिए कहा, तो उन्होंने गोलीबारी शुरू कर दी। जवाबी कार्रवाई में सुरक्षा बलों ने बहादुरी का परिचय देते हुए छह माओवादियों को ढेर कर दिया। मौके से भारी मात्रा में हथियार, विस्फोटक और नक्सली साहित्य भी बरामद किया गया है।
नवीन पटनायक ने याद किए निरंतर प्रयास: हिंसा छोड़कर मुख्यधारा में लौटने की अपील
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, जिन्होंने 24 वर्षों से अधिक समय तक राज्य की कमान संभाली और गृह विभाग का प्रभार भी देखा, ने इस सफलता पर गहरी खुशी व्यक्त की। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए पटनायक ने लिखा कि यह सफलता सुरक्षा बलों के समर्पण और राज्य की रणनीतिक नीतियों का परिणाम है। उन्होंने कहा, “यह जानकर गर्व और खुशी हुई कि छह सीपीआई (माओवादी) कैडरों को सुरक्षा बलों ने मार गिराया है। वामपंथी उग्रवाद देश के लिए एक गंभीर आंतरिक सुरक्षा चुनौती रहा है और ओडिशा ने इस खतरे को रोकने के लिए जो निरंतर प्रयास किए हैं, आज उसका परिणाम सबके सामने है।”
पटनायक ने इस दौरान अपनी सरकार की उन नीतियों का भी जिक्र किया जिन्होंने माओवाद की जड़ों पर प्रहार किया। उन्होंने कहा कि केवल बंदूकों के बल पर उग्रवाद को खत्म नहीं किया जा सकता; इसके लिए सामाजिक-आर्थिक विकास, सुदूर क्षेत्रों में सड़क कनेक्टिविटी और गरीब-समर्थक नीतियों की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि उनके शासनकाल में इन क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया गया, जिससे माओवादियों का जनाधार कम हुआ। पूर्व मुख्यमंत्री ने क्षेत्र के सक्रिय माओवादियों से एक बार फिर अपील की कि वे हिंसा का निरर्थक रास्ता छोड़ दें और विकास की मुख्यधारा में शामिल होकर समाज के निर्माण में योगदान दें।
‘माओवाद मुक्त भारत’ की दिशा में उल्लेखनीय कदम: केंद्र और राज्य सरकार
इस बड़ी सैन्य सफलता पर देश के गृह मंत्री अमित शाह ने भी संतोष व्यक्त किया। उन्होंने कंधमाल मुठभेड़ को उग्रवाद के खिलाफ जारी युद्ध में एक निर्णायक मोड़ बताया। केंद्रीय गृह मंत्रालय पिछले कुछ समय से ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति पर काम कर रहा है, जिसका उद्देश्य 2026 तक देश से माओवाद का पूर्ण सफाया करना है।
वहीं, ओडिशा के वर्तमान मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने इस ऑपरेशन को एक ‘ऐतिहासिक उपलब्धि’ बताया। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार माओवाद को जड़ से उखाड़ने के लिए प्रतिबद्ध है और यह कार्रवाई उस संकल्प को सिद्ध करती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि ओडिशा अब विकास की एक नई इबारत लिख रहा है, जहां आतंक और हिंसा के लिए कोई स्थान नहीं है। उन्होंने सुरक्षा बलों को इस सफल ऑपरेशन के लिए बधाई देते हुए उनके मनोबल को बढ़ाने की बात कही।
कंधमाल की भौगोलिक चुनौती और सुरक्षा बलों की रणनीति
ओडिशा के डीजीपी वाई.बी. खुराना ने ऑपरेशन के बाद राज्य की सुरक्षा स्थिति का विश्लेषण करते हुए बताया कि हालांकि पूरे ओडिशा में वामपंथी उग्रवाद की गतिविधियों में पिछले एक दशक में 80 प्रतिशत से अधिक की कमी आई है, लेकिन कंधमाल और उसके आसपास के जिले जैसे बौध और कालाहांडी अभी भी सुरक्षा बलों के लिए चुनौती बने हुए हैं।
कंधमाल की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि यहां के घने जंगल और पहाड़ियां माओवादियों को छिपने और अपनी गतिविधियां चलाने के लिए सुरक्षित पनाहगाह प्रदान करती हैं। डीजीपी ने स्पष्ट किया कि अब पुलिस और अर्धसैनिक बलों का पूरा ध्यान इन ‘अवशिष्ट’ क्षेत्रों (residual areas) पर केंद्रित है। सुरक्षा बल अब तकनीकी सर्विलांस और स्थानीय खुफिया नेटवर्क को और अधिक मजबूत कर रहे हैं ताकि भविष्य में इस तरह के नेटवर्क को पनपने से पहले ही ध्वस्त किया जा सके।
विकास बनाम उग्रवाद: बदलता ओडिशा
विशेषज्ञों का मानना है कि नवीन पटनायक द्वारा शुरू की गई और वर्तमान सरकार द्वारा आगे बढ़ाई जा रही विकास योजनाएं माओवाद के खात्मे में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। जब सुदूर गांवों तक बिजली, पक्की सड़कें, स्कूल और स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचती हैं, तो माओवादियों का ‘भ्रम फैलाने वाला’ एजेंडा नाकाम हो जाता है। कंधमाल में हुई यह मुठभेड़ न केवल एक सैन्य जीत है, बल्कि यह इस बात का भी प्रतीक है कि राज्य अब शांति और स्थिरता की ओर तेजी से कदम बढ़ा रहा है। 1.1 करोड़ के इनामी उइके का मारा जाना कैडरों के मनोबल के लिए एक बड़ा झटका है, और प्रशासन को उम्मीद है कि आने वाले समय में बड़ी संख्या में निचले स्तर के कार्यकर्ता आत्मसमर्पण करेंगे।