डायबिटीज और दिल की सेहत के बीच के गहरे नाते को समझें : डॉ. शिवा मदान
डायबिटीज और दिल की बीमारियों के बीच के गहरे नाते को समझना बेहद जरूरी है, क्योंकि अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (एएचए) के अनुसार डायबिटीज से पीड़ित लोगों को बिना डायबिटीज वाले लोगों की तुलना में दो से चार गुना हार्ट की बीमारी का खतरा रहता है। लेकिन इन सब चुनौतियों के बीच, अच्छी बात है कि ब्लड शुगर को असरदार तरीके से काबू में रखना सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है, जिस दिल की बीमारियों के खतरे को काफी हद तक काम किया जा सकता है।
कन्सलटेंट एंडोक्राइनोलॉजिस्ट, एम.एन. हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, बीकानेर डॉ. शिवा मदान ने बताया कि ग्लूकोज का लेवल बढ़ जाने की वजह से ब्लड वेसल्स को नुकसान हो सकता है, जिससे दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। डायबिटिक कार्डियोमायोपैथी के मामलों में बढ़ोतरी एक बड़ी चिंता का विषय है, जो दिल को कमजोर बना देता है और वह खून को अच्छी तरह से पंप नहीं कर पाता है, और यही हार्ट फेल्योर का सबसे प्रमुख कारण बन जाता है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डायबिटीज एंड डाइजेस्टिव एंड किडनी डिजीज ने इस बात को उजागर किया है कि, डायबिटीज की वजह से कोरोनरी आर्टरी डिजीज (सीएडी), स्ट्रोक और पेरीफेरल वैस्कुलर डिजीज जैसी दिल की बीमारियों का खतरा और बढ़ जाता है।
जब बात डायबिटीज और दिल की सेहत की हो, तो सीएडी के असामान्य लक्षणों की पहचान करना बेहद जरूरी हो जाता है। सीने में दर्द और भारीपन महसूस होने जैसे सामान्य लक्षणों के अलावा, डायबिटीज से पीड़ित लोगों को दांतों में दर्द, जबड़े में दर्द और पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द जैसे असामान्य लक्षणों का अनुभव हो सकता है।
डॉ. मदान ने कहा कि डायबिटीज से पीड़ित लोगों के लिए अपने ब्लड शुगर लेवल को काबू में रखना, दिल की अच्छी सेहत के लिए बेहद जरूरी है। इसके लिए जो उपाय बेहद कारगर हैं उनमें शरीर में ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर लेवल को बेहतर बनाए रखने के लिए खाने-पीने में ऐसी चीजों को प्राथमिकता दें, जिसमें भरपूर मात्रा में फाइबर हो, साथ ही सैचुरेटेड फैट, ट्रांस फैट और चीनी और सोडियम की मात्रा काफी कम हो। साथ ही रोजाना व्यायाम करने से इंसुलिन की संवेदनशीलता बढ़ती है, खून में शुगर लेवल कम होता है और ब्लड प्रेशर भी काबू में रहता है। इन पर लगातार नज़र रखने से पैटर्न का पता चलता है, जिससे खान-पान, व्यायाम और दवाओं में जरूरत के अनुसार बदलाव करने में मदद मिलती है। इसके अलावा ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर लेवल को काबू में रखने के लिए डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाइयाँ समय पर लेना बेहद जरूरी है।
शुरुआती रोकथाम के उपाय और एस्पिरिन थेरेपी
डॉ. शिवा मदान के अनुसार डायबिटीज से पीड़ित 40 से 70 साल की उम्र के लोगों में शुरुआती रोकथाम के लिए एंटीप्लेटलेट दवा के रूप में एस्पिरिन को शामिल करने से दिल की बीमारियों का खतरा काफी कम हो जाता है। एस्पिरिन के एंटीप्लेटलेट गुण खून का थक्का बनने से रोकते हैं, जिससे दिल के दौरे और स्ट्रोक की संभावना कम हो जाती है।




