चैत्र नवरात्रि 2025: इस शुभ मुहूर्त में करें कलश स्थापना, नवरात्रि में भूलकर भी न करें ये काम
29 मार्च 2025 इस वर्ष चैत्र नवरात्रि 2025 का आयोजन 28 मार्च से 5 अप्रैल तक होगा। इस पावन अवसर पर कलश स्थापना और नौ दिनों तक देवी के नौ रूपों की पूजा का महत्व बेहद खास है।
चैत्र नवरात्रि का शुभ मुहूर्त
इस वर्ष चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 28 मार्च 2025 को होगी, और कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त संग्रहण काल में रहेगा। इस दिन, प्रात:काल (सुबह 6:00 बजे से 8:00 बजे तक) का समय सबसे शुभ माना जाता है।
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कलश स्थापना का मुहूर्त: 28 मार्च 2025, सुबह 6:00 बजे से 8:00 बजे तक
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मंगलवार को शुरू होने वाली नवरात्रि का महत्व: मंगलवार का दिन देवी दुर्गा के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
कलश स्थापना का महत्व
कलश स्थापना नवरात्रि का सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। इसमें एक कलश (घड़ा) में जल, आम के पत्ते, और नारियल रखकर देवी की उपस्थिति का आह्वान किया जाता है। यह प्रतीकात्मक रूप से ब्रह्मा, विष्णु और महेश के त्रिदेव रूप का प्रतिनिधित्व करता है और पूरे घर में पवित्रता का आभास कराता है।
कलश स्थापना की विधि:
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पवित्र स्थान की सफाई करें: पूजा स्थल को अच्छी तरह साफ करें और वहां पवित्र आस्था के साथ कलश रखें।
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कलश में जल भरें: कलश में शुद्ध जल भरकर उसमें आम के पत्ते और नारियल रखें।
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आसपास अंकित करें: स्वस्तिक या ओम के चिह्न के साथ एक पवित्र आस्था का माहौल बनाएं।
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मंत्रों का जाप करें: ‘ॐ जपाकुसुम संभासुर रंगि रत्न चतुर्भुजम्’ मंत्र का जाप करें और देवी के चरणों में प्रार्थना करें।
नवरात्रि के दौरान भूलकर भी न करें ये काम
चैत्र नवरात्रि के दौरान कुछ विशेष नियमों का पालन करना अनिवार्य होता है। यदि आप इन नियमों का पालन नहीं करते हैं, तो यह आपके spiritual journey में बाधा बन सकता है।
1. मांसाहारी भोजन से परहेज करें:
नवरात्रि के दौरान मांसाहारी भोजन, प्याज, लहसुन और तामसिक खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए। यह दिन देवी दुर्गा की भक्ति के लिए पवित्र होता है, और इन चीजों से बचना जरूरी है।
2. झगड़ा और विवाद से बचें:
नवरात्रि का उद्देश्य मानसिक शांति और आत्मा की पवित्रता है। इस दौरान परिवार में या दूसरों के साथ विवाद करने से नकारात्मक ऊर्जा पैदा होती है।
3. शराब और तंबाकू का सेवन न करें:
नवरात्रि के दौरान शराब और तंबाकू जैसे पापकारी पदार्थों से दूर रहना चाहिए। इससे न केवल शारीरिक, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है।
4. अव्यवस्थित पूजा स्थल:
पूजा स्थल को स्वच्छ और व्यवस्थित रखना बेहद जरूरी है। गंदे या अव्यवस्थित स्थान पर पूजा करने से ऊर्जा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
5. देवी के मंत्रों का जाप न करना:
नवरात्रि के दौरान देवी के मंत्रों का जाप आवश्यक है। जैसे: “ॐ दुं दुर्गायै नमः” और “ॐ ऐं दुर्गायै नमः”। इन मंत्रों के बिना पूजा अधूरी मानी जाती है।
नवरात्रि के दौरान देवी के नौ रूपों की पूजा का महत्व
चैत्र नवरात्रि के नौ दिनों में देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है:
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प्रथम दिन (शैलपुत्री): मां दुर्गा का पहला रूप, जो पर्वतों की देवी हैं।
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दूसरा दिन (ब्रह्मचारिणी): तपस्वी रूप में मां दुर्गा, जो साधना और संन्यास का प्रतीक हैं।
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तीसरा दिन (चंद्रघंटा): मां का रूप, जो चंद्रमा के समान तेजस्वी है।
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चौथा दिन (कुष्मांडा): सृजन की देवी, जो ब्रह्मांड की सृष्टि करती हैं।
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पांचवां दिन (स्कंदमाता): भगवान स्कंद की माता, जो युद्ध के देवता हैं।
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छठा दिन (कात्यायनी): देवी दुर्गा का शक्तिशाली रूप, जो युद्ध और विजय का प्रतीक है।
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सातवां दिन (कालरात्रि): मां का भयंकर रूप, जो अंधकार को नष्ट करती है।
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आठवां दिन (महागौरी): शुद्धता और सुंदरता का प्रतीक देवी का रूप।
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नौवां दिन (सिद्धिदात्री): देवी का वह रूप, जो ज्ञान और सिद्धि प्रदान करता है।
नवरात्रि के दौरान विशेष पूजा विधियाँ
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घर में पूजा: अपने घर में कलश स्थापित कर देवी दुर्गा की पूजा करें।
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मंत्र जाप: “ॐ दुं दुर्गायै नमः” मंत्र का प्रतिदिन जाप करें।
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उपवास: विशेष रूप से नौवें दिन उपवास का महत्व है।
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कन्या पूजन: नवमी के दिन कन्याओं को भोजन कराना पुण्य का कार्य माना जाता है।