संतकबीर नगर में बृजभूषण शरण सिंह ने की अखिलेश यादव की तारीफ, बोले- “वह श्रीकृष्ण के वंशज, धर्म विरोधी नहीं”
संतकबीर नगर: उत्तर प्रदेश के संतकबीर नगर जिले के मगहर में रविवार को पूर्व भाजपा सांसद स्वर्गीय शरद त्रिपाठी की चौथी पुण्यतिथि पर आयोजित श्रद्धांजलि कार्यक्रम में भाजपा नेता और पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव की तारीफ कर सबको हैरान कर दिया। उनके इस बयान ने यूपी की सियासत में नई चर्चा छेड़ दी है।
“अखिलेश धार्मिक, उनकी मजबूरी बोलती है”
मंच से बोलते हुए बृजभूषण ने कहा, “अखिलेश यादव धार्मिक व्यक्ति हैं। उनके पिता मुलायम सिंह यादव हनुमान भक्त थे। अखिलेश ने खुद एक भव्य मंदिर का निर्माण कराया है। वह श्रीकृष्ण के वंशज हैं, धर्म के विरोधी नहीं हो सकते। अगर वह धर्म के खिलाफ कुछ बोलते हैं, तो यह उनकी राजनीतिक मजबूरी है।” उन्होंने आगे कहा, “यह बात मुझे यहां नहीं कहनी चाहिए थी, लेकिन विद्वान लोगों के बीच यह सच मेरे मुंह से निकल गया।” बृजभूषण का यह बयान उस समय आया है, जब बीजेपी और सपा के बीच धार्मिक मुद्दों, राम मंदिर और धार्मिक आयोजनों को लेकर तीखी बयानबाजी चल रही है।
इटावा की घटना पर तीखी प्रतिक्रिया
बृजभूषण ने हाल ही में इटावा में कथावाचक के साथ हुई मारपीट की घटना की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा, “कथा कहना या सुनना किसी जाति या वर्ग का एकाधिकार नहीं है। यह अधिकार सभी को है। जो लोग शुद्धता के नाम पर कथावाचकों की आलोचना करते हैं, उन्हें वेदव्यास और विदुर की जीवनी पढ़नी चाहिए।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि किसी जाति विशेष को अपमानित नहीं करना चाहिए, लेकिन धर्म और जाति को राजनीति का औजार बनाना गलत है। बृजभूषण ने अखिलेश के हालिया बयानों का बचाव करते हुए कहा कि यह उनकी “राजनीतिक मजबूरी” हो सकती है।
पंकज चौधरी ने भी जताई चिंता
कार्यक्रम में मौजूद केंद्रीय मंत्री पंकज चौधरी ने समाज में बढ़ते जातिवाद, सांप्रदायिकता और ऊंच-नीच के भेदभाव पर चिंता जताई। उन्होंने कहा, “आज समाज को जोड़ने की जरूरत है, तोड़ने की नहीं।” इटावा में कथावाचकों पर हुए हमले को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर अनावश्यक राजनीति हो रही है।सियासी हलकों में हलचलबृजभूषण का अखिलेश यादव की तारीफ करना और उनके धार्मिक रुख का समर्थन करना यूपी की सियासत में अप्रत्याशित है। बीजेपी और सपा के बीच वैचारिक टकराव के बीच यह बयान राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है। खासकर, जब अखिलेश ने हाल ही में कथावाचक धीरेंद्र शास्त्री पर टिप्पणी की थी, जिसके बाद बीजेपी ने उन्हें सनातन विरोधी बताया था। ऐसे में बृजभूषण का बयान न केवल उनकी पार्टी के रुख से अलग है, बल्कि आगामी विधानसभा चुनावों से पहले नए सियासी समीकरणों की ओर भी इशारा करता है।
यह घटना यूपी की सियासत में धर्म और राजनीति के जटिल समीकरणों को उजागर करती है, और बृजभूषण के इस बयान के राजनीतिक निहितार्थ पर विश्लेषकों की नजरें टिकी हैं।
