‘भ्रष्टाचार का काला कारनामा’: ED ने हिमाचल के असिस्टेंट ड्रग कंट्रोलर को दबोचा
शिमला, 11 अक्टूबर 2025: हिमाचल प्रदेश में भ्रष्टाचार के एक बड़े खुलासे ने हिला दिया है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने असिस्टेंट ड्रग कंट्रोलर निशांत सरीन को गिरफ्तार कर लिया, जिन पर दवा कंपनियों से रिश्वत लेकर करोड़ों की बेनामी संपत्ति बनाने का आरोप है। छापेमारी में 32 लाख की लग्जरी गाड़ियां, 65 लाख के गहने और 48 बैंक खातों में 2.23 करोड़ जब्त हुए। यह कार्रवाई PMLA के तहत हुई, जो राज्य विजिलेंस की FIR पर आधारित है। सरीन की सहयोगी कोमल खन्ना भी फर्जीवाड़े में फंसीं। लेकिन क्या यह गिरफ्तारी दवा उद्योग के भ्रष्ट तंत्र को उजागर करेगी? आइए, इस मामले की पूरी परतें खोलते हैं।
रिश्वत का जाल: ड्रग इंस्पेक्टर से कंट्रोलर तक का काला खेल
निशांत सरीन, जो वर्तमान में डायरेक्टोरेट ऑफ हेल्थ एंड सेफ्टी रेगुलेशन, हिमाचल प्रदेश में असिस्टेंट ड्रग कंट्रोलर (मुख्यालय) के पद पर तैनात हैं, पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं। ED की जांच राज्य सतर्कता एवं भ्रष्टाचार-निरोधक ब्यूरो (SV&ACB) की अगस्त 2019 की FIR पर शुरू हुई, जब सरीन बद्दी में ड्रग इंस्पेक्टर थे। आरोप है कि उन्होंने दवा कंपनियों के मालिकों से रिश्वत लेकर निरीक्षण में ढील दी और व्यक्तिगत लाभ कमाया। बाद में, सहयोगी कोमल खन्ना के साथ मिलकर उन्होंने पंचकूला की Zhenia Pharmaceuticals की पार्टनरशिप डीड में फर्जीवाड़ा किया—कोमल की हिस्सेदारी जबरन 50% से बढ़ाकर 95% कर दी गई। सितंबर 2025 में शिमला विजिलेंस ने एक और FIR दर्ज की, जिसमें सरीन पर 1.66 करोड़ की अवैध संपत्ति जमा करने का आरोप लगा। ED ने जून-जुलाई 2025 में छापे मारे, जिसमें सरीन के ससुर रमेश कुमार गुप्ता और अन्य ठिकानों पर दबिश दी गई। यह मामला भ्रष्टाचार, जालसाजी, धोखाधड़ी और साजिश के तहत IPC तथा PC एक्ट के उल्लंघन को दर्शाता है।
जब्ती का धमाका: करोड़ों की संपत्ति पर ED की नजर
ED की छापेमारी ने सरीन के आलीशान जीवन की पोल खोल दी। जून 2025 में शुरू हुई सर्च ऑपरेशन में हिमाचल, हरियाणा और पंजाब के सात ठिकानों पर दबिश दी गई। जब्ती में दो लग्जरी गाड़ियां (कुल मूल्य 32 लाख रुपये), 65 लाख रुपये के सोने के गहने, 60 से अधिक अनअकाउंटेड शराब की बोतलें और तीन लॉकर शामिल हैं। सबसे बड़ा खुलासा 48 बैंक खातों और FDRs में जमा 2.23 करोड़ रुपये का था, जो सरीन और उनके परिवार के नाम पर फ्रीज कर दिए गए। ED ने पाया कि यह संपत्ति उनकी ज्ञात आय से कहीं अधिक है, जो रिश्वत से बनी। राजनीतिक संरक्षण के आरोप भी लगे, क्योंकि 2019 में गिरफ्तारी के बाद बेल पर रिहा सरीन को 2024 में नई सरकार ने धर्मशाला में फिर से पोस्टिंग दी। गिरफ्तारी 9 अक्टूबर को हुई, और शिमला की स्पेशल PMLA कोर्ट ने 14 अक्टूबर तक ED कस्टडी सौंप दी। यह कार्रवाई न केवल सरीन को, बल्कि दवा उद्योग के भ्रष्ट नेटवर्क को भी निशाने पर ला रही है।
जांच का अगला कदम: बेनामी संपत्ति और राजनीतिक कनेक्शन पर फोकस
ED की जांच से साफ है कि सरीन ने दवा कंपनियों से रिश्वत लेकर बेनामी संपत्तियां खरीदीं और लग्जरी लाइफ जी। कोमल खन्ना के साथ फर्जी पार्टनरशिप ने उन्हें करोड़ों का फायदा पहुंचाया। हरियाणा पुलिस की 2022 की FIR में भी सरीन का नाम आया, जहां उन्होंने धमकी देकर हिस्सेदारी हथियाई। ED अब राजनीतिक संरक्षण की परतें खोलने पर जुटी है, क्योंकि सरीन की पोस्टिंग में ऊपरी प्रभाव की आशंका है। गिरफ्तारी के बाद सरीन को कोर्ट में पेश किया गया, जहां उन्होंने आरोपों से इनकार किया। विशेषज्ञों का मानना है कि यह केस हिमाचल के फार्मा हब बद्दी में व्यापक भ्रष्टाचार को उजागर करेगा। SV&ACB और ED की संयुक्त जांच से और खुलासे हो सकते हैं, जो दवा नियंत्रण व्यवस्था पर सवाल खड़े करेंगे। सरीन की कस्टडी में पूछताछ से नेटवर्क का पर्दाफाश होगा।
