• October 14, 2025

प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी तीसरा विकल्प, ‘पढ़ाई और रोजगार’ पर जोर

पटना, 3 जुलाई 2025: बिहार में इस साल अक्टूबर-नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव में मतदाताओं के सामने जन सुराज पार्टी के रूप में एक नया विकल्प होगा। पिछले 35 सालों से लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार के नेतृत्व में चल रहे बिहार में क्या प्रशांत किशोर (पीके) की जन सुराज पार्टी बदलाव ला पाएगी? यह सवाल हर किसी के जेहन में है। अपनी ‘बिहार बदलाव यात्रा’ के तहत पीके बिहार के गांव-गलियों में लोगों से मिल रहे हैं और शिक्षा व रोजगार जैसे मुद्दों पर जोर दे रहे हैं।
सीवान में पीके का संबोधन
1 जुलाई को सीवान जिले के मैरवां ब्लॉक में उमस भरी गर्मी के बीच प्रशांत किशोर ने लोगों को संबोधित किया। सफेद कुर्ता-पजामा और पीले गमछे में पसीने से लथपथ पीके ने ठेठ भोजपुरी में कहा, “नेता लोगों ने इतना खून चूस लिया कि मुंह से आवाज कैसे निकलेगा?” उन्होंने बताया कि तीन साल पहले उन्होंने नेताओं को सलाह देने का काम छोड़कर बिहार की जनता की जिंदगी बदलने का फैसला किया। पीके ने कहा, “नेता जीतते हैं, लेकिन आप और आपके बच्चे जहां हैं, वहीं रह जाते हैं। मैं बिहार को बदलने के लिए आपके सामने हूं।”
वोट नहीं मांगते, बदलाव की बात करते हैं
प्रशांत किशोर वोट मांगने के बजाय लोगों को उनकी गलतियों का अहसास कराते हैं। वे कहते हैं, “कांग्रेस, लालू और नीतीश को वोट देने के बावजूद आपके बच्चों की पढ़ाई और रोजगार की स्थिति नहीं सुधरी। आपने मंदिर-मस्जिद, अनाज, सिलेंडर और बिजली के नाम पर वोट दिया, लेकिन बच्चों के भविष्य के लिए नहीं।” मैरवां की सभा में जब उन्होंने पूछा कि कितनों ने पढ़ाई और रोजगार के लिए वोट दिया, तो भीड़ में सन्नाटा छा गया। पीके ने तंज कसते हुए कहा, “आपने नेताओं को वोट दिया, लेकिन अपने बच्चों को राजा बनाने की चिंता नहीं की।”
बिहार की दुर्दशा पर सवाल
पीके ने बिहार के पलायन और बेरोजगारी पर तीखे सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी वोट लेकर गुजरात का विकास करते हैं, लेकिन बिहार में फैक्ट्रियां नहीं लगतीं। बिहार के बच्चे मजदूर बनकर गुजरात जाते हैं। एक गुजराती सौ बिहारियों को नौकर बनाकर रखता है।” उन्होंने लोगों से अपील की कि वे अपने बच्चों के चेहरे को देखकर वोट दें, न कि जाति या धर्म के नाम पर।
जन सुराज का वादा
पीके ने वादा किया कि अगर जन सुराज सत्ता में आई, तो एक साल के भीतर हर व्यक्ति के लिए 10-12 हजार रुपये मासिक की रोजगार व्यवस्था की जाएगी, ताकि बिहारियों को पलायन न करना पड़े। उन्होंने 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों के लिए 2,000 रुपये मासिक सम्मान राशि और सरकारी स्कूलों की स्थिति सुधारने तक 15 साल से कम उम्र के बच्चों को निजी अंग्रेजी स्कूलों में मुफ्त शिक्षा का वादा भी किया।
लोगों पर कितना असर?
पीके की सभाओं में भारी भीड़ उमड़ रही है। सी-वोटर सर्वे के अनुसार, जून 2025 में वे 18.2% लोगों की पहली पसंद बन चुके हैं और सीएम उम्मीदवार के रूप में दूसरी पसंद हैं। राजनीतिक समीक्षक सौरव सेनगुप्ता कहते हैं, “पीके ने बिहार के गांव-कस्बों में लंबा समय बिताया है। वे लोगों की नब्ज पकड़ चुके हैं और जाति-धर्म के मोह से ऊपर उठकर बच्चों की पढ़ाई और रोजगार पर वोट देने की अपील कर रहे हैं।”
क्राउड फंडिंग से चुनावी तैयारी
चुनाव रणनीतिकार के रूप में अनुभव रखने वाले पीके ने क्राउड फंडिंग के जरिए धन जुटाने का ऐलान किया है। उनकी दो साल पहले की 5,000 किलोमीटर की जन सुराज पदयात्रा और अब बदलाव यात्रा ने बिहार में एक नया विकल्प पेश किया है। क्या यह विकल्प एनडीए और महागठबंधन के दबदबे को चुनौती दे पाएगा, यह तो मतगणना के बाद ही पता चलेगा।
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Rama Niwash Pandey

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