अपराध पर शिकंजा: बड़े भाई माफिया विनोद का हो चुका है एनकाउंटर, अब संजय के खिलाफ जारी हुआ एनबीडब्ल्यू- जानिए क्यों
गोरखपुर, 21 अप्रैल 2025: उत्तर प्रदेश में योगी सरकार की अपराध और माफियाओं के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति का असर साफ दिख रहा है। गोरखपुर के कुख्यात माफिया विनोद उपाध्याय के जनवरी 2025 में यूपी एसटीएफ के साथ मुठभेड़ में मारे जाने के बाद अब उसके छोटे भाई संजय उपाध्याय पर पुलिस का शिकंजा कस गया है। शाहपुर इलाके में प्रॉपर्टी डीलर अंकु शुक्ल के घर पर फायरिंग के मामले में संजय का नाम सामने आने के बाद पुलिस ने उसके खिलाफ गैर-जमानती वारंट (एनबीडब्ल्यू) जारी किया है। साथ ही, संजय पर जल्द ही इनाम घोषित करने की तैयारी है। इस घटनाक्रम ने एक बार फिर गोरखपुर में अपराध की दुनिया पर चर्चा को गर्म कर दिया है।
विनोद उपाध्याय का एनकाउंटर: अपराध की दुनिया में हड़कंप
विनोद उपाध्याय, जो गोरखपुर के टॉप माफियाओं में शुमार था, पर हत्या, फिरौती, जमीन कब्जा और रंगदारी जैसे 34 संगीन मुकदमे दर्ज थे। वह यूपी पुलिस की टॉप 61 अपराधियों की सूची में शामिल था। कई सालों तक पुलिस को चकमा देने के बाद 5 जनवरी 2025 को सुल्तानपुर में यूपी एसटीएफ ने उसे घेर लिया। मुठभेड़ के दौरान विनोद ने एसटीएफ पर फायरिंग की, जिसके जवाब में उसे दो गोलियां लगीं और वह मौके पर ढेर हो गया। इस एनकाउंटर ने गोरखपुर में अपराध की दुनिया में एक बड़ा खालीपन पैदा किया, लेकिन विनोद के नेटवर्क को पूरी तरह खत्म करने के लिए पुलिस अब उसके करीबियों पर नजर रख रही है।
विनोद की अपराध यात्रा कम उम्र से शुरू हुई थी। उसने जमीन कब्जे और फिरौती जैसे अपराधों के जरिए अपनी संपत्ति बनाई थी, जिसे बाद में पुलिस ने कुर्क कर लिया। गोरखपुर जिला प्रशासन ने उसके मकान पर बुलडोजर भी चलाया था, जिससे उसके आर्थिक साम्राज्य को बड़ा झटका लगा।

संजय उपाध्याय पर क्यों कसा शिकंजा?
विनोद के एनकाउंटर के बाद उसका छोटा भाई संजय उपाध्याय पुलिस के रडार पर आ गया। शाहपुर में प्रॉपर्टी डीलर अंकु शुक्ल के घर पर हुई फायरिंग की घटना में संजय का नाम सामने आया। पुलिस जांच में पता चला कि इस फायरिंग की साजिश में संजय की अहम भूमिका थी। इसके अलावा, संजय की पत्नी की भी इस मामले में संलिप्तता सामने आई, जिसके आधार पर उसे भी आरोपी बनाया गया है।
घटना के बाद से संजय फरार है, और पुलिस उसकी तलाश में लगातार छापेमारी कर रही है। शाहपुर पुलिस ने संजय पर इनाम घोषित करने के लिए एसएसपी को फाइल भेजी है, जिसके जल्द लागू होने की संभावना है। सूत्रों के अनुसार, संजय ने गिरफ्तारी से बचने के लिए कोर्ट में आत्मसमर्पण की अर्जी दी है, लेकिन पुलिस और क्राइम ब्रांच की टीमें उसके संभावित ठिकानों पर दबिश दे रही हैं। गोरखपुर के एसपी सिटी अभिनव त्यागी ने कहा, “संजय के खिलाफ एनबीडब्ल्यू जारी हो चुका है। उसकी गिरफ्तारी जल्द होगी।”
क्या है मामला?
शाहपुर में प्रॉपर्टी डीलर अंकु शुक्ल के घर पर फायरिंग की घटना ने स्थानीय स्तर पर सनसनी फैला दी थी। पुलिस को शक है कि यह फायरिंग जमीन विवाद या रंगदारी से जुड़ी हो सकती है, जिसमें संजय उपाध्याय ने अपने भाई विनोद के नेटवर्क का इस्तेमाल किया। विनोद की मौत के बाद संजय ने उसके अपराध नेटवर्क को संभालने की कोशिश की, जिसके चलते वह पुलिस के निशाने पर आ गया। जांच में यह भी सामने आया कि संजय की पत्नी ने इस साजिश में सहयोग किया, जिसके बाद उसे भी केस में शामिल किया गया।
योगी सरकार की माफिया विरोधी मुहिम
योगी आदित्यनाथ सरकार ने 2017 में सत्ता में आने के बाद अपराधियों और माफियाओं पर सख्त कार्रवाई शुरू की थी। सीएम योगी ने स्पष्ट कहा था कि अपराधी या तो यूपी छोड़ दें या जेल जाने को तैयार रहें। इस नीति के तहत पिछले आठ सालों में डकैती, लूट, हत्या, अपहरण और बलात्कार जैसे अपराधों में 85% तक की कमी आई है। 617 अपराधियों को गिरफ्तार किया गया, और 752 पर गैंगस्टर एक्ट लागू किया गया।
यूपी पुलिस ने टॉप माफियाओं की सूचियां तैयार कीं, जिनमें विनोद उपाध्याय जैसे नाम शामिल थे। सरकार ने न केवल अपराधियों को सजा दिलाई, बल्कि उनकी अवैध संपत्तियों को भी कुर्क किया। विनोद उपाध्याय के मामले में भी उसकी संपत्ति जब्त की गई थी। अब संजय के खिलाफ कार्रवाई इस बात का संकेत है कि पुलिस विनोद के पूरे नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए प्रतिबद्ध है।
विपक्ष का आरोप और सरकार का जवाब
विनोद उपाध्याय के एनकाउंटर के बाद कांग्रेस के यूपी प्रभारी अविनाश पांडेय ने योगी सरकार पर “हत्यारी सरकार” होने का आरोप लगाया था। उन्होंने दावा किया कि सरकार कानूनी प्रक्रिया के बजाय एनकाउंटर जैसे शॉर्टकट अपना रही है। जवाब में, योगी सरकार ने कहा कि उनकी नीति अपराध के खिलाफ है, न कि किसी धर्म या जाति के। यूपी पुलिस की मोस्ट वांटेड लिस्ट में विभिन्न समुदायों के अपराधी शामिल हैं, जो इस बात का सबूत है कि कार्रवाई निष्पक्ष है।
आगे क्या?
संजय उपाध्याय के खिलाफ एनबीडब्ल्यू और संभावित इनाम घोषणा से साफ है कि पुलिस उसे जल्द पकड़ना चाहती है। अगर संजय आत्मसमर्पण नहीं करता, तो उसका एनकाउंटर भी संभव है, जैसा कि विनोद के मामले में हुआ। पुलिस सूत्रों का कहना है कि संजय के पास विनोद जैसा बड़ा नेटवर्क नहीं है, लेकिन वह अपने भाई के कुछ पुराने सहयोगियों के साथ मिलकर अपराध को अंजाम दे सकता है।
